Sanand Diwali : अभंगों की शानदार प्रस्तुतियों से दमका दिवाली प्रभात का ओज

कोरोना काल के बाद पहली बार 'सानंद फुलोरा' का आयोजन

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इंदौर से अनुराग तागड़े की रिपोर्ट

Indore : दीपावली की सुबह भगवान विठ्ठल की भक्ति में सुर लगे और जयतीर्थ मेवुंडी जैसे कलाकार प्रस्तुति दे रहे हों, तब निश्चित रुप से दीपावली की सुबह अपने आपमें अनूठी बन जाती है। ‘सानंद फुलोरा’ कार्यक्रम लगभग दो साल बाद यूसीसी ऑडिटोरियम में आयोजित किया गया। कोरोना प्रोटोकॉल्स के साथ आयोजित इस बोलावा विट्ठल कार्यक्रम में विख्यात गायक जयतीर्थ मेवुंडी और भाग्यश्री देशपांडे ने अभंगों की प्रस्तुति दी। भगवान विट्ठल की भक्ति में अभंगों को गाया जाता है जो कि शास्त्रीय संगीत के रागों पर आधारित होते हैं।

कार्यक्रम की शुरुआत में विट्ठल नाम लिया जाता है और उसके बाद औपचारिक कार्यक्रम आरंभ होता है। सबसे पहले भाग्यश्री देशपांडे ने मंच संभाला और सबसे पहले राग चारुकेशी में रुपी गुंतले अभंग की प्रस्तुति दी। इसके बाद सुबह के राग भटियार में प्रस्तुत ‘आता जावो पंढरी’ से सही मायने में सुबह के कार्यक्रम का रंग जमा। प्रसिद्ध अभंग अबीर गुलाल की प्रस्तुति दर्शकों को आनंदित कर गई। राग पुरिया धनाश्री में ‘माउली माउली अभंग’ की प्रस्तुति अच्छी बन पड़ी। बोलावा विठ्ठल अभंग से भाग्यश्री देशपांडे जी ने प्रस्तुति का समापन किया।

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फिर मंच संभाला जयतीर्थ ने। रियाजी गले की बात ही कुछ और होती है और जयतीर्थ ने जैसे ही षडज लगाया और पंढरी एकदा अभंग की प्रस्तुति दी, सही मायने में भक्ति और सुर एकाकार होते नजर आ गए। इस अभंग के बोल भी अपने आप में अर्थपूर्ण थे। इसमें विट्ठल की भक्ति को लेकर गूढ अर्थ था। ‘याज साठी केला होता’ अट्टाहास अभंग की प्रस्तुति के पश्चात जयतीर्थ ने उनके प्रसिद्ध अभंग विठलैया विठलैया की प्रस्तुति दी, तो दर्शक भी उनके साथ हो लिए। इसी अभंग में माझे माहेर पंढरी को राग जोग में प्रस्तुत कर विविधता प्रस्तुत की। राजस सुकुमार अभंग के बाद सौभाग्य भाग्यलक्ष्मी से आपने गायन का समापन किया।

कार्यक्रम में सभी संगत कलाकारों प्रसाद पाध्ये, आदित्य ओक, सूर्यकांत सुर्वे, प्रताप आवड ने शानदार संगत की खासतौर पर युवा बांसुरी वादक षड्ज गोडखिंडी की तारीफ करना होगी। उन्होंने इतनी कम उम्र में जो संगत की, जिसमें कर्नाटकी और हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत का मेल था, वह अपने आप में अनूठापन लिए था।

कार्यक्रम का शुभारंभ संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर, मराठी साहित्य अकादमी के निदेशक उदय परांजपे व पंचम निषाद मुंबई के शशि व्यास ने किया। उस्ताद अलाउद्दीन खां अकादमी के निदेशक नियुक्त होने पर जयंत भिसे का भी शॉल श्रीफल से सम्मान किया गया। इस अवसर पर एके सिंह का भी सम्मान किया गया। अतिथि स्वागत श्रीनिवास कुटुंबळे, सुधाकर काळे, सुभाष देशपांडे ने किया। संस्कृति मंत्री ने बोलावा विठ्ठल कार्यक्रम प्रदेश में अन्य जगहों पर भी आयोजित करने के लिए कहा। संचालन सानंद मित्र अथर्व पंडित व ईशा इंगळे ने किया। कार्यक्रम में दर्शकों के लिए एक एक सीट छोड़कर बैठने की व्यवस्था की गई थी। इसके अलावा सभी कोरोना प्रोटोकॉल्स का पालन भी किया गया।

वेशभूषा प्रतियोगिता

सानंद दिवाली प्रभात कार्यक्रम में वेशभूषा प्रतियोगिता का भी आयोजन करता है। वेशभूषा प्रतियोगिता में महिलाओं में प्रथम मंगला आठवले, द्वितीय प्रणिता द्रविड व तृतीय विभा गोड़बोले रहीं। वहीं पुरुषों में प्रथम उल्हास गुर्जर, द्वितीय तेजस गोडबोले, तृतीय शुभम इंगळे रहे। पुरस्कार वितरण जयतीर्थ मेवुंडी जी ने किया। निर्णायक थे कल्पना ताई झोकरकर व उदय झोकरकर। स्मिता देशमुख ने प्रतियोगिता का संचालन किया।