महाकुंभ में हो रहे हैं सनातन के दर्शन…जरूर जाएं प्रयाग…

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महाकुंभ में हो रहे हैं सनातन के दर्शन…जरूर जाएं प्रयाग…

कौशल किशोर चतुर्वेदी

सनातन के दर्शन करना हैं तो आस्था, संस्कृति और एकता के संगम ‘महाकुंभ मेले में किए जा सकते हैं। 13 जनवरी 2025 से शुरू हुए महाकुंभ में यह योग 144 साल बाद बने हैं। जिस वजह से इसका महत्व कई गुना बढ़ जाता है। ऐसे में करोड़ों की संख्या में श्रद्धालु प्रयागराज के त्रिवेणी संगम में पवित्र स्नान करने के लिए पहुंच रहे हैं। मान्यताओं अनुसार महाकुंभ में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। साथ ही मनुष्य को उसके सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है। महाकुंभ मेला 26 फरवरी तक लगा रहेगा। मकर संक्रांति के दिन कुंभ मेले का पहला शाही स्नान संपन्न हो चुका है और अब अगला शाही स्नान मौनी अमावस्या पर यानी 29 जनवरी को है। मकर संक्रांति पर करीब 3.50 करोड़ श्रद्धालुओं ने पुण्‍य की डुबकी लगाई। तो एक शहर में 3.5 करोड़ श्रद्धालु कैसे समा गए, इसकी कल्पना कर कोई भी आश्चर्य में पड़ सकता है। पर यह सनातन की शक्ति ही है कि बिना भेदभाव के देश-देशांतर के लोग किस तरह एक साथ आस्था की डुबकी लगा रहे हैं। बिना किसी शिकायत किए सभी स्नान कर प्रेम की गंगा ब॒हा रहे हैं।

हालांकि सरकारी व्यवस्थाएं सुनिश्चित की जाती हैं। पर करोड़ों की भीड़ के हिसाब से यह नाकाफी ही मानी जा सकती हैं। लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए 60,000 से अधिक सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया गया है। किसी भी आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए भी व्यवस्था की गई है। सभी अधिकारी अच्छी तरह से प्रशिक्षित हैं। यह संतोष करने के लिए काफी है, मगर असल ताकत सनातनी भाव की है। इस भाव ने ही मकर संक्रांति पर भीड़ होने के बाद भी श्रद्धालुओं को कोई दिक्‍कत नहीं होने दी।

मकर संक्रांति स्‍नान करने के बाद साधु-संतों ने सरकार की व्‍यवस्‍था पर खुशी जाहिर की है। जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य ने कहा कि सरकार ने महाकुम्भ की व्यवस्था बहुत अच्छी की है। इस व्यवस्था से वह बहुत प्रसन्न हैं। रामभद्राचार्य ने कहा कि सरकार ने इतनी बड़ी भीड़ को भी नियंत्रित किया है, इसलिए सरकार साधुवाद की पात्र है। वहीं, परमार्थ निकेतन आश्रम ऋषिकेश के आध्यात्मिक प्रमुख स्वामी चिदानंद सरस्वती ने कहा कि यह पूरे सनातन का स्नान है। यह अमृत व सनातन के अमर होने का पर्व है। उन्‍होंने कहा कि जो लोग कहते हैं हम बटे पड़े हैं, आखिर हम कहां बटे पड़े हैं। करोड़ों कल, करोड़ों आज आए और करोड़ों आ रहे हैं। हर घाट पटा है। महाकुम्भ के पहले अमृत स्नान मकर संक्रांति पर्व पर मंगलवार को करोड़ों लोगों ने आस्था की डुबकी लगाई। श्रद्धालुओं की प्राथमिकता संगम नोज रहा, जहां पर अखाड़ों के संतों और गुरुओं ने भी स्नान किया। संगम नोज पर एक तरफ जहां अखाड़ों के संत आरक्षित स्थान पर स्नान कर रहे थे तो वहीं दूसरी तरफ श्रद्धालुओं भी संगम नोज पर स्नान कर पा रहे थे।

तो इसी सनातनी भाव के दर्शन महाकुंभ में किए जा सकते हैं। महाकुम्भ अब सिर्फ भारतीय आयोजन नहीं रहा, यह एक वैश्विक पर्व बन गया है। ब्राजील, जर्मनी, जापान, इंग्लैंड, अमेरिका और स्पेन जैसे देशों के श्रद्धालु भी प्रयागराज पहुंचने लगे हैं। यह आयोजन अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सनातन संस्कृति के बढ़ते प्रभाव को दिखा रहा है। खास बात ये है कि पाकिस्तान और अरब समेत इस्लामिक देश भी महाकुम्भ में रुचि दिखा रहे हैं।

इतनी ठंड के बावजूद इतनी बड़ी संख्या में लोगों का यहां आना अद्भुत है। सभी के अनुभव बहुत खास हैं। इतनी बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं को एक जगह देखकर एक अनोखी ऊर्जा पैदा होती है, जो आम दिनों में नहीं होती। यहां आने वाले हर व्यक्ति को यहां शांति, ज्ञान, आध्यात्म और संस्कृति का संगम मिलेगा। प्रयागराज में इस समय इन सबका समागम देखने को मिल रहा है। तो एक बार जरूर महाकुंभ जाएं और सनातन की शक्ति, भव्यता, एकता और आस्था के दर्शन जरूर करें

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