संगीत अखाड़ा बकायन -परंपरा का संगीत
राजीव शर्मा की प्रस्तुत
राई और आल्हा गायन के लिये मशहूर बुंदेलखंड में शास्त्रीय संगीत की एक अदभुत परंपरा अब भी ज़िंदा है .दमोह ज़िले के बकायन गाँव में हर बरस संगीत का मेला लगता है।
पिछले एकसौ तीस वर्षों से गुरु पूर्णिमा यहाँ संगीत समारोह के सुरीले स्वरूप में मनाई जाती है .देश भर के शिखर संगीतज्ञ यहाँ सुधि श्रोताओं और दर्शकों के आगे अपनी कला का प्रदर्शन करते हैं.
बकायन के पूर्व जागीरदार पलनीट्कर परिवार ने मृदंगाचार्य नाना साहब पानसे स्मृति गुरु पूर्णिमा संगीत समारोह के सुर पूरी सरसता से साध रखे हैं.ग्राम्यांचल के रसिक श्रोता सवासौ साल से संगीत की तान सुनते सुनते इतने निपुण हो गए हैं कि गायक हों या वादक यहाँ संभलकर ही गाते बजाते हैं.
मप्र का संस्कृति विभाग ,दमोह का ज़िला प्रशासन और कभी कभी भारत सरकार भी इस आयोजन को संभव बनाती है .
पिछले दिनों बकायन में श्री संजय पलनीट्कर और स्थानीय ग्रामीणों से मिलने का मौक़ा मैंने हाथ से जाने नहीं दिया .इस साल भी आगामी गुरु पूर्णिमा को यहाँ संगीत गूँजने वाला है .बकायन की स्थानीय प्रतिभायें संगीत अखाड़ा बकायन के नाम से प्रारंभिक प्रस्तुतियाँ देती हैं .संगीत का यह मुक्ताकाश उत्सव प्रजा रंजन और प्रजा द्वारा संगीत के संरक्षण की प्रेरक मिसाल है .