संजा लोक कला हमारी धरोहर हैं, इस कला को जीवित रखने में महिलाओं की अहम् भूमिका

संजा प्रतियोगिता का रंगारंग कार्यक्रम आयोजित

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संजा लोक कला हमारी धरोहर हैं, इस कला को जीवित रखने में महिलाओं की अहम् भूमिका

इंदौर: संजा लोक कला हमारी धरोहर हैं, इस कला को जीवित रखने में महिलाओं की अहम् भूमिका रही है। लोक संस्कृति और लोक कला के संरक्षण और संवर्धन को लेकर मालवी निमाड़ी साहित्य शोध संस्थान, इंदौर लेखिका संघ ने सम्मिलित रूप से उमरिया शासकीय हाईस्कूल में संजा प्रतियोगिता का रंगारंग कार्यक्रम आयोजित किया गया।

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कार्यक्रम के माध्यम से छात्राओं को लोक परम्पराओं के पीछे छुपी सांस्कृतिक अवधारणा का महत्व बताया गया।

कार्यक्रम की संयोजक सुश्री मणि माला शर्मा ने छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि यह पर्व पर्यावरण संरक्षण का संदेश देता है। कार्यक्रम में छात्राओं को सुन्दर प्रस्तुति के लिये संजा पर्व पुस्तक का वितरण किया गया।

दोनों संस्थाओं की संस्थापक अध्यक्ष डा स्वाति तिवारी ने शुभ कामनाये दी.बच्चों को अपनी संस्कृति संपदा का हस्तांतरण भी नितांत आवश्यक है।

 

इस अवसर पर विद्यालय की प्राचार्य श्रीमती अंजनी कामेश्वरी ने छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि लोक कलाएं हमारी सांस्कृतिक विरासत है। इन्हें सहेजना आवश्यक होता जा रहा है।

 

उन्होंने इंदौर लेखिका संघ की ओर से आयोजित इस कार्यक्रम के लिए संस्था को धन्यवाद देते हुए कहा कि इस तरह के आयोजन भविष्य में भी होने चाहिए। संघ की ओर से छात्राओं को प्रथम, द्वितीय और तृतीय पुरस्कार देकर प्रोत्साहित किया गया।

मालवी निमाड़ी शोध संस्थान की ओर से सभी छात्राओं को सुश्री हेमलता शर्मा भोली बेन द्वारा लिखित संजा पर्व पुस्तक का वितरण किया गया। यह पुस्तक मालवी भाषा में लिखी गई है।

छात्राओं के द्वारा संजा की किला कोट आकृति निर्मित की गई। इस अवसर पर विद्यालय के शिक्षक और बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं मौजूद रहे। वैष्णवी रमेश को 101/- मानसी सरदार को 75/-, अतिका सुरेश को 60/- शिवानी जीवन को 55/- जय श्री दीपक को 55/- रूपए नगद पुरस्कार राशि प्रदान की गई।

अनूठा आयोजन: मालवी निमाड़ी शोध संस्थान और इंदौर लेखिका संघ ने मनाया संजा-पर्व “16 दिन 16 गीत “

“हिन्दी की जड़ें बहुत मज़बूत हैं, साहित्य और हिन्दी को लेकर ऐसे आयोजन होते रहे”