संस्कृत जिंदा रहेगी स्टालिन नहीं…

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संस्कृत जिंदा रहेगी स्टालिन नहीं…

कौशल किशोर चतुर्वेदी
संस्कृत भाषा को लेकर तमिलनाडु के उपमुख्यमंत्री उदयनिधि स्टालिन का विवादित बयान घोर आपत्तिजनक और असहनीय है। इस पर केवल तमिलनाडु में सियासी तूफान नहीं आना चाहिए बल्कि पूरे देश में स्टालिन को राष्ट्रद्रोही की तरह देखा जाना चाहिए। तमिलनाडु के डिप्टी सीएम और डीएमके नेता उदयनिधि स्टालिन ने संस्कृत को ‘मरी हुई भाषा’ बताकर तमिल के साथ पक्षपात करने का आरोप लगाया है। उन्होंने तमिल को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हालिया कमेंट्स पर निशाना साधा। डिप्टी सीएम के बयान पर बीजेपी नेता तिमिलसाई सुंदरराजन ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। बता दें कि उदयनिधि पहले भी सनातन धर्म को डेंगू बताने वाली टिप्पणी की थी, जिस पर देश की राजनीति में काफी बवाल मचा था। ऐसे में स्टालिन वास्तव में
सनातन, हिन्दी और संस्कृत के कट्टर विरोधी साबित हो चुके हैं। और इन तीनों के बिना भारत की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। ऐसे में उदयनिधि स्टालिन द्वारा संस्कृत का अपमान पूरे राष्ट्र का अपमान है। और राष्ट्र का अपमान यानी राष्ट्रद्रोह है। और स्टालिन का यह रवैया माफी योग्य भी नहीं है। सनातन के रक्षक शंकराचार्यो, धर्मगुरुओं और कथावाचकों को देवभाषा संस्कृत के ऐसे अपमान पर स्टालिन को खुली चेतावनी देकर बयान वापस लेने और माफी मांगने के लिए बाध्य करना चाहिए।
चेन्नई के एक कार्यक्रम में उदयनिधि स्टालिन ने संस्कृत भाषा को मृत भाषा बताकर राजनीतिक तूफान खड़ा दिया है। उदयनिधि ने कहा कि संस्कृत को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार ने तमिल को साइडलाइन कर दिया। उन्होंने पीएम मोदी से तीखे सवाल पूछते हुए कहा कि जब आप तमिल सीखने के लिए उत्सुक हैं, तो आप बच्चों को हिंदी और संस्कृत क्यों सिखा रहे हैं? उदयनिधि ने दावा किया कि केंद्र की बीजेपी सरकार ने पिछले दस सालों में संस्कृत के लिए 2400 करोड़ रुपये दिए हैं, लेकिन तमिल के लिए सिर्फ 150 करोड़ दिए। यह वही उदयनिधि स्टालिन हैं, जो पहले भी विवादित बयान दे चुके हैं।
उदयनिधि के बयान का तमिलनाडु बीजेपी ने विरोध किया है। बीजेपी नेता तेलंगाना की पूर्व गवर्नर तमिलिसाई सुंदरराजन ने कहा कि उदयनिधि तमिल संस्कृति और धार्मिक भावना का अनादर करते रहे हैं। तमिलिसाई ने कहा कि तमिल संस्कृति दूसरी भाषाओं को नीचा दिखाने का समर्थन नहीं करती है। उन्होंने कहा कि हम अपनी भाषा की तारीफ कर सकते हैं, लेकिन तमिल भी दूसरी भाषाओं को नीचा दिखाने की इजाजत नहीं देती है। सुंदरराजन ने कहा कि उन्होंने पहले भी सनातन धर्म का अपमान किया था। उदयनिधि एक ऐसी भाषा को टारगेट कर रहे हैं, जो हमारी सभी प्रार्थनाओं में इस्तेमाल होती है। बीजेपी नेता ने कहा कि मेरी तमिल मातृभाषा खुले विचारों वाली है और दूसरी भाषाएं बोलने वाले लोग इसकी तारीफ़ करते हैं। उन्हें अपनी बातें वापस लेनी चाहिए। उदयनिधि के बयान पर भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव तरुण चुग ने कहा कि भारत के प्राचीन मूल्यों और संस्कृति के खिलाफ बोलना फैशन बन गया है। चुग भाजपा की ओर से आयोजित समीक्षा बैठक में भाग लेने के लिए चेन्नई में थे।
समस्या यह है कि राजनैतिक प्रतिद्वंद्विता की आड़ में राजनेता अपनी सीमा रेखा लांघने के आदी हो चुके हैं। वास्तव में इनका देश व्यापी विरोध होना चाहिए और राष्ट्रद्रोह के तहत इन पर कड़ी कार्रवाई भी की जानी चाहिए ताकि राष्ट्र के सम्मान को बचाया जा सके। और नेताओं को यह समझ में आना चाहिए कि राजनेता होने का मतलब यही है कि राष्ट्र का सम्मान बनाए रखना उनकी प्रतिबद्धता है…और स्टालिन को यह समझ में आना चाहिए कि संस्कृत हमेशा जिंदा रहेगी लेकिन वह इस दुनिया में हमेशा नहीं रहेंगे
लेखक के बारे में –
कौशल किशोर चतुर्वेदी मध्यप्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार हैं। प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में पिछले ढ़ाई दशक से सक्रिय हैं। पांच पुस्तकों व्यंग्य संग्रह “मोटे पतरे सबई तो बिकाऊ हैं”, पुस्तक “द बिगेस्ट अचीवर शिवराज”, ” सबका कमल” और काव्य संग्रह “जीवन राग” के लेखक हैं। वहीं काव्य संग्रह “अष्टछाप के अर्वाचीन कवि” में एक कवि के रूप में शामिल हैं। इन्होंने स्तंभकार के बतौर अपनी विशेष पहचान बनाई है।
वर्तमान में भोपाल और इंदौर से प्रकाशित दैनिक समाचार पत्र “एलएन स्टार” में कार्यकारी संपादक हैं। इससे पहले इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में एसीएन भारत न्यूज चैनल में स्टेट हेड, स्वराज एक्सप्रेस नेशनल न्यूज चैनल में मध्यप्रदेश‌ संवाददाता, ईटीवी मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ में संवाददाता रह चुके हैं। प्रिंट मीडिया में दैनिक समाचार पत्र राजस्थान पत्रिका में राजनैतिक एवं प्रशासनिक संवाददाता, भास्कर में प्रशासनिक संवाददाता, दैनिक जागरण में संवाददाता, लोकमत समाचार में इंदौर ब्यूरो चीफ दायित्वों का निर्वहन कर चुके हैं। नई दुनिया, नवभारत, चौथा संसार सहित अन्य अखबारों के लिए स्वतंत्र पत्रकार के तौर पर कार्य कर चुके हैं।