“संतूर” बड़ा ही मासूम साज है – संगीत विदुषी डॉ वर्षा अग्रवाल

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“संतूर” बड़ा ही मासूम साज है – संगीत विदुषी डॉ वर्षा अग्रवाल

लेकडेम विरासत श्रृंखला अंतर्गत स्पिक मैके द्वारा संगीत कार्यक्रम

मंदसौर से डॉ घनश्याम बटवाल की रिपोर्ट

मंदसौर। स्पिक मैके द्वारा आयोजित संतूर वाद्य “लेकडेम विरासत “श्रृंखला का पहला कार्यक्रम बुधवार जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डाइट) सभागृह में सम्पन्न हुआ।

देश की पहली महिला और अंतरराष्ट्रीय स्तर की संतूर वादिका विदुषी डॉ वर्षा अग्रवाल ने प्रशिक्षणार्थियों को संतूर वाद्य के बारे में विस्तार से समझाया संतूर मुलतः एक कश्मीरी वाद्य है यह 100 तारों की वीणा है इसलिए इसका नाम शत् तंत्रीय वीणा भी पड़ा। इसे अर्ध चक्रासन मुद्रा में बैठकर बजाया जाता है। जलतरंग के समान मधुर स्वरलहरों के साथ कर्णप्रिय लगता है यह साधना के साथ सीखा जा सकता है।

डॉ अग्रवाल ने प्रस्तुति की पहली कड़ी में राग भीम पलासी प्रस्तुत किया। गीत के स्वर थे “जा जा रे अपने मंदिर वा”तथा संतूर की बारीकियां एवं राग के अंग को 150 से अधिक विद्यार्थियों को समझाया। इसके बाद धमार ताल की प्रस्तुति हुई। राग भीमपलासी में आलाप जोड़ झाला की प्रस्तुति दी तत्पश्चात विलंबित गत का प्रदर्शन किया।

संतूर के साथ तबले की नोक झोंक एवं सवाल जवाब द्वारा कार्यक्रम का समापन हुआ। तबले पर सुंदर एवं मोहक संगति पंडित ललित महंत ने की।

इसके पूर्व मुख्य अतिथि जिला शिक्षा अधिकारी श्रीमती टेरेसा मिंज एवं प्राचार्य श्री दिलीप सिंह राठौर ने कलाकारों व अन्य अतिथियों का स्वागत किया।

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संस्था प्राचार्य श्री राठौर ने स्पिक मैके मंदसौर चेप्टर की परामर्शदाता श्रीमती चन्दा डांगी का संस्थान में कार्यक्रम आयोजित करने के लिए आभार ज्ञापित किया।

इस अवसर पर डाइट कालेज स्टाफ, व्याख्याता प्रदीप पंजाबी कोऑर्डिनेटर अजय डांगी, संगीत महाविद्यालय जनभागीदारी अध्यक्ष श्री नरेन्द्र त्रिवेदी तथा अखिल भारतीय साहित्य परिषद जिलाध्यक्ष श्री नरेन्द्र भावसार एवं सुधिजन उपस्थित थे।