
Saransh and Archana : आखिर सारांश का अर्चना तिवारी से क्या रिश्ता है, कहीं उसकी ‘सपना’ ही अर्चना तो नहीं!
Indore : शुजालपुर के सारांश जोगचंद ने अर्चना तिवारी को इंदौर से काठमांडू भागने में मदद की। सारांश से ही रेल पुलिस को अर्चना तिवारी के बारे में जानकारी मिली थी। वह मूल रूप से शाजापुर जिले के शुजालपुर का रहने वाला है। अर्चना तिवारी ने बरामदगी के बाद पुलिस को बताया था कि सारांश उसका दोस्त है। वहीं, सारांश के पिता जोगचंद्र ने बेटे का नाम सामने आने के बाद यह जरूर कहा था कि उसका किसी के साथ अफेयर है। उसका नाम उसने सपना बताया था।
यदि सारांश के पिता की बातों का इशारा समझा जाए, तो बेटे ने तीन महीने पहले अपने प्रेम संबंध का जिक्र किया था। वह इंदौर में ही रहता था। लेकिन, उसने लड़की का नाम सपना बताया था। सपना पेशे से वकील है। मैंने उसे सलाह दी थी कि कुछ गलत नहीं करना। सारांश ने अपने पिता को बताया था कि सपना नाम की लड़की है। वह भी वकील है। मैंने उससे कई कागज बनवाए हैं।
सारांश के पिता ने अर्चना का नाम नहीं सुना
पिता ने कहा था कि मैंने उससे अर्चना तिवारी का नाम नहीं सुना। काम से ही वह सपना के संपर्क में था। ऐसे में सवाल है कि क्या अर्चना ही सपना है क्या? पुलिस ने अर्चना की बरामदगी के बाद कहा था कि वह सारांश के संपर्क में काम के दौरान आई थी। सारांश ने अर्चना से अपनी कंपनी के दस्तावेज भी बनवाए। लेकिन, परिवार और अर्चना खुद भी सारांश से प्रेम संबंध की बात को खारिज की। हालांकि इस मामले में जांच जारी है।
सारांश के पिता हमेशा यह कहते रहे हैं कि मैं अर्चना को नहीं जानता हूं। वे 7 और 8 अगस्त को चेन्नई में थे। फोन पर बेटे से बात होते रहती थी। मैं सिर्फ हालचाल पूछते रहता था। मां को भी सारांश ने सपना के बारे में ही बताया। वहीं, मां ने इनकार कर दिया था कि हम इतने बड़े परिवार में शादी नहीं करेंगे।
सारांश ने ही अर्चना की मदद की
अर्चना तिवारी की साजिश में खुलकर सारांश जोगचंद ने ही मदद की थी। इटारसी रेलवे स्टेशन से ले जाने से लेकर काठमांडू भिजवाने तक में सारांश जोगबंद ने की मदद की। साथ ही काठमांडू में रहने की व्यवस्था भी उसी ने करवाई थी। ऐसे में सवाल यह उठ रहा है कि सब कुछ दाव पर लगाकर सारांश जोगचंद ने क्यों मदद की। क्या दोनों सिर्फ दोस्ती तक की सीमित हैं। दोनों की बातें सिर्फ व्हाट्सएप कॉल पर होती थी।





