
Satire: कुत्तों की आवारगी और सुप्रीम कोर्ट का फैसला
मुकेश नेमा
देश की सबसे बडी अदालत आवारा कुत्तों से नाराज है। कोर्ट ने ज़िम्मेदार लोगों से कहा है कि कुत्तों को दिल्ली से दूर रखा जाए। सुप्रीम कोर्ट की बात मानना पड़ती है सबको। क़ानून लागू करवाने वाले इसे कैसे कर पाएंगे ये उनका सरदर्द है। बहरहाल तो यही लगता है कि इस आदेश से कुत्ते पशोपेश में होंगे और रोटी डाल कर उनका हौसला बढ़ाने वाले दयालु लोगों को पुण्य कमाने का कोई नया तरीक़ा तलाशना होगा।
कुत्ते आवारा होना नहीं चाहते।आवारा हो जाते है। आदमी भी आवारा होते है। और बहुत बार राजी खुशी आवारा होते है। खाए पिए लोग मानते है कि आवारा आदमी कुत्तों से ज्यादा कुत्ता हो सकता है। उससे ज्यादा खराब तरीके से काट सकता है। पर मैं उनकी इस राय से इत्तफ़ाक़ नही रखता।

आवारगी तो सोच है। खुली हवा जैसी चीज़। कभी बिना मतलब सड़कों पर भटक कर देखिए आपको दुनिया नई नई लगेगी। आवारगी आपको तनाव मुक्त करती है। जब आप आवारगी करते हुए नए लोगों से मिलते है ,नई दिक़्क़तों से जूझते है तो आपका दिमाग बेहतर तरीके से काम करने लगता है। आप आत्मनिर्भर होते है। आत्मविश्वास बढता है आपका। और बहुत बार आवारागर्दी करते वक्त खुद से भी मिल पाते है।आवारागर्दी से आदमी भी मजबूत होता है और कुत्ता भी। आपने आवारा कुत्तों के सामने सरकारी बंगलों के सफेदपोश कुत्तों के पूँछ दबाए कूँ कूँ करते देखा ही होगा। ऐसे में मुझे लगता है आवारगी उतनी बुरी चीज़ भी नही जितना उसे बदनाम किया गया है।
निदा फ़ाज़ली फरमा गए है। और बहुत सही फरमा गए है। बहुत मुश्किल है बंजारा-मिज़ाजी। सलीक़ा चाहिए आवारगी मे। आवारगी सबके बस की बात नही। इसके लिए कलेजा चाहिए। सुबह तैयार होकर टिफ़िन लेकर ऑफिस जाने वाले ,शाम को सब्जी का थैला लेकर घर लौटने वाले सरकारी बाबू आवारगी के मजे क्या जाने। आवारगी हौसले का दूसरा नाम और आवारगी ही वो मुलम्मा जो आदमी को चमका कर कलाकार में तब्दील कर सकता है।

और फिर यदि आपने अपनी माशूक़ा की गलियों के बेमतलब चक्कर नहीं काटे। तो खाक प्रेमी हुए आप। मीर तक़ी मीर ने ऐसे ही तो नही कहा। तिरी गली तक आवारगी हमारी। ज़िल्लत की अपनी अब हम इज़्ज़त किया करेंगे। बिना आवारगी के प्यार मुमकिन नही और ये दुनिया जितनी भी खूबसूरत है वो प्यार करने वालो की बदौलत ही है।
आवारा आदमी गर्दिश मे होकर भी आसमान का तारा हो सकता है। ऐसे कुत्तों को आवारा कहा सुप्रीम कोर्ट ने। उन्हें दिल्ली से निकाल रहे है वो। ठीक है। पर बात आगे न बढ़े अब। आवारा आदमी बख्श दिए जाए। इसलिए क्योंकि उनका होना कायनात के लिए जरूरी है।और फिर सुप्रीम कोर्ट को ऐसा इसलिए भी नही करना चाहिए क्योंकि उनके ऐसा करने से दिल्ली आठवी बार उजड़ सकती है।

मुकेश नेमा




