बोलो भुट्टा है महान !

499

आज हम ‘ भुट्टे ‘ की बात कर रहे हैं | भुट्टे ने देश में समाजवाद लाने में अहम भूमिका अदा की है |
भुट्टे कई प्रकार के होते हैं ,लेकिन जो शोहरत मक्के के भुट्टे ने देश-विदेश में हासिल की है वैसी शौहरत न बराक ओबामा को हासिल हुई न जवाहरलाल नेहरू को | दूसरे किसी नेता का नाम लेना बर्र के छत्ते में हाथ डालने जैसा है | भुट्टा ज्वार का भी होता है ,लेकिन उसे लोकमान्यता हासिल नहीं है | वजह साफ़ है क्योंकि ज्वार का भुट्टा एक तो बेशर्मों की तरह दिखाई देता है और दूसरे उसका आकार -प्रकार भी आम जनता को आकर्षित नहीं करता | असल आकर्षण तो मक्के के भुट्टे में ही है |
भुट्टा दरअसल मोटा अन्न है लेकिन बेहद सुघड़ और पर्दानशीं | सुघड़ इतना कि आप इसके दानों की तुलना किसी भी अभिनेत्री की दंतपंक्ति से कर सकते हैं | विशिष्ट इतना कि दुनिया के वैज्ञानिकों ने नकली चाँद बना लिया किन्तु नकली भुट्टा आज तक नहीं बना पाए | ईश्वर ने भुट्टे का निर्माण करने में अपना तमाम कौशल उड़ेलकर रख दिया | भुट्टे को भगवान ने इतने पर्दों में लपेटा की आप सीधे उसके दर्शन नहीं कर सकते | ज्वार के भुट्टे तो बेशर्मों की तरह खड़े रहते हैं ,ज्वार के भुट्टे अक्सर तोतों के शिकार हो जाते हैं | लेकिन मक्के के भुट्टे का स्वाद लेने के लिए तोते तक तरस जाते हैं | भुट्टों का स्वाद कभी-कभी बेशर्म इल्लियां जरूर ले लेतीं हैं |

हमारे देश में भुट्टा आदिलकाल से तो नहीं हाँ पांच-छह सदियों से पैदा किया जा रहा है ,इसलिए हम कह सकते हैं की भुट्टा हमारा आदि खाद्य है | भुट्टे को अपने ऊपर उतना ही गर्व होता है जितना कि किसी विश्व सुंदरी को अपने रूप के ऊपर | भुट्टा खेतों में इतराता है तो इसके सर से सुनहरे बाल हवा में लहराने लगते हैं | भुट्टा अपने भुट्टतत्व के लिए मशहूर है| दादी-नानियों के साथ ही वैद्य ,हकीम ही नहीं ,आधुनिक चिकित्सा शास्त्री भी भुट्टे को स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण मानते हैं और अक्सर अपने मरीजों से भुट्टा खाने के लिए कहते हैं |

यानी भुट्टे को लेकर न कहीं कोई विवाद है और न कोई किंवदंती | भुट्टा सिर्फ भुट्टा है | पूर्व से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण तक भुट्टा कांग्रेस और भाजपा की तरह लोकप्रिय है | परशुराम भगवान ने धरती को क्षत्रियविहीन करने की शपथ भले ही ली हो किन्तु भुट्टा विहीन करने की शपथ कभी नहीं ली | परशुराम को छोड़िये किसी ने भी भुट्टे से अदावत नहीं मानी | { एक जुल्फकार अली भुट्टो और उनकी बेटी बेनजीर जरूर अपने उपनाम के साथ भुट्टो लगा ओने की वजह से शहीद हुईं ] भुट्टा असल समाजवादी चीज है | मुझे तो लगता है आज दुनिया में जब चारों और नफरत ही नफरत है तब भुट्टे भाईचारा स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकते हैं |

अपने अध्ययन के आधार पर मै दावे के साथ कह सकता हूँ कि हमारा देश भुट्टा प्रधान देश है | भुट्टा प्रेमी अक्सर भुट्टों की जात-पांत के बारे में नहीं पूछते ,लेकिन मै आपको बता दूँ कि हमारे यहां भारत मे 7 प्रकार के भुट्टे पाए जाते है इनमें -पॉप कॉर्न , स्वीट कॉर्न, फ्लिंट कॉर्न ,वैक्सि कॉर्न ,पॉड कॉर्न ,फ्लोर कॉर्न और डेंट कॉर्न प्रमुख हैं | .लेकिन आपको भुट्टों की प्रजातियों में उलझने की जरूरत रहीं |आपतो केवल भुट्टे खाइये | ‘ जात न पूछो साधू की ‘ तरह आपको भी भुट्टों की जाति नहीं पूछना चाहिए |

भुट्टा भले ही मोटे अनाज में शुमार किया जाता हो लेकिन इसे खाने से आजतक कोई मोटा नहीं हुआ | भुट्टा मक्के का ही भला ,क्योंकि ये मक्का हर मिटटी में पैदा हो जाता है | मिटटी बलुई है या दोमट इससे मक्के यानि भुट्टे की सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ता | ये खूबसूरत भुट्टा आप मैदानी इलाकों से लेकर तीन हजार फीट ऊंचे पहाड़ों पर भी आसानी से हासिल कर सकते हैं |भुट्टा मारुती-सुजकी के सर्विस स्टेशन की तरह हर जगह उपलब्ध है | मै तो मक्के के सीजन का बेसब्री से इन्तजार करता हूँ| मुझे आग पर सकते भुट्टों के जिस्म से उठने वाली खुशबू दूर से ही खींच लेती है |

भुट्टे खाने और पैदा करने के मामले में हमारा मुकाबला हमेशा अमेरिका से रहा है | इस मामले में हमें मलाल है कि हम अमेरिका से आगे नहीं निकल पाए | हमारे कृषि वैज्ञानिक अमरीकी भुट्टों की तरह बड़े दाने वाले भुट्टे तैयार करने में अभी कामयाब नहीं हुए हैं | हालाँकि हमारे यहां रंग-बिरंगे भुट्ट मिलने लगे हैं | हम भुट्टे भूनकर खाते हैं जबकि अमेरिका वाले उबालकर | वे भुट्टे खाने के मामले में हमसे आगे नहीं हैं ये संतोष का विषय है | हमें एक ही तकलीफ है कि हमारी सरकार देश के जिन 80 करोड़ लोगों को मुफ्त का अन्न मुहैया कराती है उसमें भुट्टे को शामिल नहीं किया गया | भुट्टा प्रेमियों को इसके लिए आगे आना चाहिए |
दुनिया में चीन,ब्राजील और मैक्सिको वाले भी हमारी तरह ही भुट्टा प्रेमी हैं | दुनिया में भुट्टा प्रेमी प्रति वर्ष 05 से लेकर 100 किलो प्रति व्यक्ति के हिसाब से भुट्टा सेवन कर लेते हैं | भुट्टा आपका है इसलिए मर्जी है आपकी |.आप भुट्टे को भूने,उबाले, सुखाएं ,पीसें ,दलें.रोटी बनाएं बनाएं,ब्रेड बनायें ,पॉपकॉर्न बनाये | भुट्टा हर शक्ल सूरत में ढलने के लिए हमेशा राजी रहता है लेकिन उसे जो मजा सुर्ख कोयलों पर नृत्य करने में आता है उसका कोई तोड़ नहीं | आग पर नंगे जिस्म नृत्य केवल भुट्टा ही कर सकता है ,ज्वार के भुट्टे में ये दम कहाँ ? बाजरा हालाँकि भुट्टे की ही तरह भूना जाता है लेकिन वो भी भुट्टे का मुकाबला नहीं कर सकता| क्योंकि भुट्टा तो भुट्टा है |

भुट्टा खाने के लिए आपकी दंतपंक्ति मजबूत होना चाहिए | हमारे एक मित्र की दंतपंक्ति क्षतिग्रस्त हो गयी थी लेकिन उन्होंने भुट्टा खाने के लिए नयी बत्तीसी लगवाई | वे भुट्टा खाये बिना रह ही नहीं सकते थे | भुट्टा खाने के लिए आप ऊके जिस्म पर नीबू लगएं या लालमिर्च के साथ नमक ,उसे कोई फर्क नहीं पड़ता | आपकी हैसियत है तो आप उसे बटर में भी लपेट सकते हैं |]लेकिन आम आदमी तो निब्बू,नमक और लाल मिर्च वाला भुट्टा ही पसंद करता है | भुट्टे खाने के पूरे दस फायदे हैं ,लेकिन इन्हें गिनाने की क्या जरूरत ? आपतो भुट्टा खाइये क्योंकि अभी तक ये जीएसटी से मुक्त है | सीता बाई की दृष्टि सड़क किनारे सिंकते भुट्टे पर अब तक नहीं पड़ी है |

भुट्टा इतना उदार होता है कि आप इसे किसकर कोई भी व्यंजन बना सकते हैं | मालवा वाले इसकी कचौड़ी,पकोड़ी तक बना लेते हैं | भुट्टे का स्टार्च तो असंख्य कामों में आता है | मेरी मान्यता है कि जिस आदमी ने भुट्टा नहीं खाया उसका जन्म अकारथ गया | भुट्टा खाने के लिए ही मनुष्य योनि में जन्म मिलता है | इसलिए जैसे भी हो एक बार भुट्टे का सेवन अवश्य कीजियेअन्यथा आपको भुट्टा खाने के लिए पुनर्जन्म लेना पद सकता है | ,मै तो देश के कम्युनिष्टों से भी कहता हूं कि वे अपने ध्वज से गेंहूं की बालियां हटाकर हमारा भुट्टा स्थापित करें | भोजपुरी फिल्मों में तो भुट्टे के बिना कोई गीत बनता ही नहीं | भोजपुरी फिल्म का नायक नायिका को भुट्टा खिलाने का इसरार गाना गाकर करता ही है |’ मै जब पटना में था तो मैंने एक गीत सुना था | उसके बोल थे ‘ भुट्ट तोइर के भागल जाय छे ,छोरा कोइर फुट्टा ‘ | रम्पत और रजनीबाला कीनौटंकी में तो मोटा भुट्टा ही नायक है |बहरहाल भुट्टा जरूर बापरें क्योंकि ‘ भुट्टा है महान,भुट्टा है जग की शान ‘.भुट्टा ईश्वर,भुट्टा अल्ला ,भुट्टा है भगवान | अमरीका का कृषि विभाग कहता है कि दुनिया भर में वर्ष 2021-22 के लिए 120.46 करोड़ टन भुट्टा पैदा होने का अनुमान है जबकि वर्ष 2020-21 में यह पैदावार 111.90 करोड़ टन थी।

Author profile
RAKESH ANCHAL
राकेश अचल

राकेश अचल ग्वालियर - चंबल क्षेत्र के वरिष्ठ और जाने माने पत्रकार है। वर्तमान वे फ्री लांस पत्रकार है। वे आज तक के ग्वालियर के रिपोर्टर रहे है।