SC comment on ED : सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ED के 5 हजार मामलों में सिर्फ 40 को सजा हुई!

इसलिए ED को अभियोजन की गुणवत्ता पर ध्यान रखने की जरूरत ज्यादा!

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SC comment on ED : सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ED के 5 हजार मामलों में सिर्फ 40 को सजा हुई!

 

New Delhi : सुप्रीम कोर्ट के प्रवर्तन निदेशालय (ED) पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़े सवाल उठाए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने धन शोधन निवारण अधिनियम (Prevention Of Money Laundering Act) मामले में कहा कि 5 हजार मामलों में सिर्फ 40 को सजा हुई। ED को अभियोजन की गुणवत्ता पर ध्यान रखने की जरूरत है। आप सिर्फ गवाहों के बयान पर निर्भर नहीं रह सकते। आपको वैज्ञानिक सबूत भी जुटाने चाहिए। जब आप खुद साबित नहीं कर सकते कि कोई दोषी है, तो उसे साबित करने का भार आरोपी पर है। आप घोड़े के आगे गाड़ी मत लगाइए।

छत्तीसगढ़ में कोयला परिवहन मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी की अंतरिम जमानत को नियमित जमानत मंजूर की। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आरोपी ने जमानत का मामला बनाया है। पीठ उस मामले की सुनवाई कर रही थी, जिसमें शीर्ष अदालत ने छत्तीसगढ़ के व्यवसायी सुनील कुमार अग्रवाल को अंतरिम जमानत दी थी।

उनको कोयला परिवहन पर अवैध लेवी से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया गया था। अदालत ने कहा था कि वह पहले ही एक साल और सात महीने की कैद काट चुके हैं। सुनवाई के दौरान जस्टिस उज्जल भुइयां ने ED की ओर से पेश ASG एसवी राजू को कहा कि पंजीकृत 5 हजार मामलों में से 40 में दोषसिद्धि हुई है। अब आप कल्पना कर सकते हैं कि स्थिति क्या है।

बेंच की अगुवाई कर रहे जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि अभियोजन की गुणवत्ता पर ध्यान देने की आवश्यकता है। ये ऐसे गंभीर आरोप हैं, जो इस देश की अर्थव्यवस्था को बाधित कर रहे हैं। यहां आप कुछ व्यक्तियों द्वारा दिए गए बयानों पर जोर दे रहे हैं। इस तरह के मौखिक सबूतों से क्या होगा! कल भगवान जाने कि वे इस पर कायम रहते हैं या नहीं. कुछ वैज्ञानिक साक्ष्य तो होने ही चाहिए।

जस्टिस दीपांकर दत्ता ने कहा कि क्या धारा 19 के तहत यह गिरफ्तारी आदेश टिकाऊ है? आप यह नहीं कह सकते कि जब आप खुद साबित नहीं कर सकते कि वह दोषी है तो उसे साबित करने का भार आरोपी पर है। घोड़े के आगे गाड़ी मत लगाइए। वहीं आरोपी की और से मुकुल रोहतगी ने कहा कि याचिका का विरोध सिर्फ इसलिए किया जा रहा है। क्योंकि, इसका विरोध किया जाना है। खास बात है कि PMLA पुनर्विचार याचिकाओं की सुनवाई में जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुइयां शामिल हैं।