Science of Fruits: मुझको बाद में घूरना पहले खा लो चुरना {Zizyphus_rugosa}

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Science of Fruits: मुझको बाद में घूरना पहले खा लो चुरना {Zizyphus_rugosa}

अरे कोई पहेली नही बुझा रहा हूँ। एक मजेदार फल की बात बता रहा हूँ। पातालकोट ने खूब खाया जाता है।
आपने, कभी खाया है चुरना? क्या…? नाम भी नही सुना, तो चलिए मैं ही इसके बारे में बताये देता हूँ। इससे पहले कि चुरना पुराण प्रारम्भ करूँ, ये बता दूँ कि इन सतपुड़ा के इन घने जंगलों में 50 से अधिक खाये जाने वाले फल लगते हैं, किसी भी समय चले आये कोई न कोई फल आपके खाने के लिए उपलब्ध हो ही जायेगा। वैसे आप सामान्य जीवन मे कितने फल खाते हैं उनके नाम फटाफट कमेंट में लिख  दीजिये .
फिलहाल अभी बात करते हैं, चुरना की। ज़िज़िफस रूगोसा रैमनेसी परिवार में पेड़ की एक प्रजाति है । ज़िज़िफस रूगोसा को ज़ुन्ना बेरी या चुन्ना फल के नाम से भी जाना जाता है। इसे चूर्ण फल के नाम से भी जाना जाता है । यह एक जंगली फल है.चुरना या चुन्ना बेर परिवार का एक खास और जंगली फल है जिसे ताजे या सूखे हुए दोनो रूपों में खाया जाता है। अतः इसे जंगली फल या सूखा मेवा (ड्राई फ्रूट) मान लें तो गलत नही होगा। इसके फलों का आकार सामान्य बेर या देशी बेर की तुलना में काफी छोटा होता है, ताजे फलों में गुठली नही खाई जाती है किंतु सूखे फलों के बीच मे जो कोमल बीज होता है, इसे साबुत यानी बीजो समेत चबाया जा सकता है।
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गाँव देहात के मड़ई- मेलो और हाट बाजार में यह 10-20 रुपये गिलास मिल जाता है। महादेव मेला इसे प्राप्त करने का सबसे बढ़िया केंद्र है।छिंदवाड़ा जिले के आदिवासी क्षेत्रों में यह फल बड़े चाव से खाये जाते हैं। पहले स्थानीय मड़ाई मेलों आदि की दुकानों में भी ये खूब बेचे जाते थे, लेकिन अब इनकी उपलब्धता और मांग दोनो में भारी कमी आयी है। वजह है, इनकी संख्या में कमी आना और इनके जानकारों का शहर की ओर पलायन।
गाँव देहात या जंगलो में घूमते समय इसके मीठे फल ऊर्जा का महत्वपूर्ण स्त्रोत तो हैं ही लेकिन इसके अलावा यह विटामिन सी, प्रोटीन, फाइबर्स, कैल्शियम, मैग्नीशियम, कॉपर, आयरन, जिंक आदि की उपस्थिति के कारण यह शरीर में जल की कमी होने की स्थिति से भी बचाते हैं। इसकी छाल का काढ़ा डायरिया, मुँह के छाले, अल्सर तथा मधुमेह के लिये उत्तम औषधि माना गया है।
पातालकोट के गोंड तथा भारिया आदिवासियों के बच्चे अक्सर जंगलो में चुरणा के फलो को तोड़ने निकल पड़ते हैं। उनका ऐसा मानना है कि इसके फल औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं इनके सेवन से शरीर बलवान होता है, और मौसमी बिमारियाँ नही होती हैं। कल  हम पातालकोट के घने जंगलों और पहाड़ों के बीच  निकल पड़े। ढेर सारे चुरना, चिरौंजी और ककई निपटाये और शाम होते ही लौट आये। सच मे कितना कुछ प्रकृति ने हमे दिया लेकिन हम दौलत के लालची इंसान इनकी कद्र नही कर पाये। खैर अब जो है, उसे संजोने का प्रयास करें तो भी बहुत कुछ बच सकता है।
क्या आपने कभी इस जंगली फलों के बारे में सुना है, या इसे चखा है। अगर आपका जबाब हाँ है तो कृपया अपने अनुभव साझा करें।।
धन्यवाद
डॉ. विकास शर्मा
शासकीय महाविद्यालय चौरई,
जिला छिंदवाड़ा (म.प्र.)
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