सिंधिया समर्थकों का हो रहा मोहभंग, BJP छोड़ कर रहे कांग्रेस ज्वाइन

कांग्रेस नेताओं की घर वापसी का सिलसिला जारी, समंदर पटेल ने वापस कांग्रेस की शरण ली

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सिंधिया समर्थकों का हो रहा मोहभंग, BJP छोड़ कर रहे कांग्रेस ज्वाइन

भोपाल. तीन साल पहले केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ ग्वालियर, चंबल क्षेत्र से कांग्रेस से बगावत कर भाजपा ज्वाइन करने वाले नेताओं का अब बीजेपी से मोहभंग होने लगा है और दो माह के अंतराल में इस अंचल के आधा दर्जन वरिष्ठ नेताओं ने कांग्रेस में घर वापसी कर ली है।

वहीं आने वाले दिनों में भी कई नेता कांग्रेस ज्वाइन करने की तैयारी में हैं। इसमें सबसे अधिक झटका केंद्रीय मंत्री सिंधिया के समर्थक नेता दे रहे हैं।

जून से शुरू हुआ बीजेपी में गए कांग्रेस नेताओं की घर वापसी का सिलसिला जारी है और कांग्रेस भी ग्वालियर, चंबल क्षेत्र में नेता विहीन होने के कारण जनाधार वाले पूर्व नेताओं को वापस पार्टी में ले रही है।

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चौबीस घंटे पहले कोलारस से धाकड़ समाज के नेता रघुराज सिंह धाकड़, चंदेरी से जयपाल सिंह यादव एवं यदुराज सिंह यादव ने कार्यकर्ताओं के साथ कांग्रेस ज्वाइन कर ली है। रायसेन जिले की सांची विधानसभा क्षेत्र में बीजेपी नेता व सिंधिया समर्थक जिला पंचायत सदस्य प्रीति मालवीय, बीजेपी नेता प्रदीप दीक्षित भी कांग्रेस में आ चुके हैं।

इसके पहले जून माह में शिवपुरी के सिंधियानिष्ठ भाजपा जिला उपाध्यक्ष राकेश गुप्ता ने भाजपा से नाता तोड़ लिया था। बीजेपी प्रदेश कार्यसमिति सदस्य व सिंधिया के कट्टर समर्थक रहे बैजनाथ सिंह यादव ने 14 जून को कांग्रेस पार्टी ज्वाइन की है।

गुना-शिवपुरी से ज्यादा छोड़ रहे बीजेपी, इंदौर से भी तैयारी

सिंधिया के साथ भाजपा ज्वाइन करने वाले नेताओं में सबसे अधिक कांग्रेस ज्वाइन करने वालों नेताओं में गुना शिवपुरी लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले गुना, शिवपुुरी, अशोकनगर के नेता शामिल हैं। ग्वालियर, भिंड और मुरैना लोकसभा में अभी इस तरह की स्थिति सामने नहीं आई है।

केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के कट्टर समर्थक माने जाने वाले समंदर पटेल ने भाजपा छोड़कर कांग्रेस की शरण ली है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा में रहकर वे कार्यकर्ताओं की मदद नहीं कर पा रहे थे।मंत्री ओमप्रकाश सकलेचा और उनके समर्थकों की वजह से जनता परेशान है।माना जा रहा है कि वह नीमच जिले की जावद विधानसभा सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ सकते हैं। 2018 में उन्होंने इसी सीट पर कांग्रेस से बगावत कर निर्दलीय चुनाव लड़ा और पार्टी के उम्मीदवार को हराने में अहम भूमिका निभाई थी। 18 अगस्त को विधिवत तौर पर कांग्रेस में शामिल होंगे।

ज्योतिरादित्य सिंधिया जब 2020 में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए थे, तब समंदर पटेल भी उनके साथ ही सत्ताधारी पार्टी में आए थे। इसके बाद उन्होंने कई बार उपेक्षा की शिकायत की। अब चुनावों से ठीक पहले उन्होंने भाजपा का साथ छोड़कर पुरानी पार्टी में शरण ली है। खास बात यह है कि 2018 में उन्होंने जावद में निर्दलीय चुनाव लड़कर 30 हजार से अधिक वोट हासिल किए थे। नतीजा यह निकला कि भाजपा का उम्मीदवार जीत गया और कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा।

भाजपा पर लगाए आरोप

इंदौर में रहने वाले पटेल ने कहा कि वे भाजपा में रहकर कार्यकर्ताओं की मदद नहीं कर पा रहे थे। कार्यकर्ता उनके पास आते थे, लेकिन उन्हें निराश लौटना पड़ता था। उन्हें आर्थिक नुकसान पहुंचाया जा रहा था। मंत्री (अेाम प्रकाश सकलेचा) और उनकी चांडाल-चौकड़ी (समर्थक) से जावद की जनता और कार्यकर्ता परेशान है। मंत्री सिर्फ अपने कुछ समर्थकों के ही घर भर रहे हैं। उनके खिलाफ शिकायत करने पर ऊपर से लेकर नीचे तक सुनवाई नहीं होती। वे खुद के विधानसभा क्षेत्र में एक उद्योग नहीं लगा पाए। अब मैं कांग्रेस के साथ मंत्री सकलेचा से लोहा लूंगा।

क्या टिकट का आश्वासन मिला है?

क्या कांग्रेस ने जावद के टिकट का आश्वासन दिया है, जो समंदर पटेल ने पार्टी बदली है? इस सवाल पर उन्होंने गोल-मोल जवाब ही दिया। उन्होंने कहा कि टिकट का फैसला कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता करेंगे। मुझे मौका मिला तो पूरी दमदारी से लडूंगा।

फेसबुक पर लौटी कांग्रेस वाली तस्वीर

समंदर पटेल ने भाजपा छोड़ने के साथ ही फेसबुक पर अपनी डीपी बदल दी है। अब वहां कांग्रेस के तिरंगे और चुनाव चिह्न के साथ उनकी तस्वीर लगी है। बताया गया कि वे 18 अगस्त को कांग्रेस की विधिवत सदस्यता लेंगे। उनकी वॉट्सएप डीपी पर भी अब कांग्रेस का चुनाव चिह्न नजर आ रहा है।

इस कारण छोड़ रहे भाजपा

सूत्रों के अनुसार कांग्रेस से भाजपा में आने के बाद अब फिर कांग्रेस ज्वाइन करने के पीछे जो मुख्य वजह बताई जा रही है वह यह है कि बीजेपी संगठन में कांग्रेस से आए कार्यकर्ताओं की स्वीकार्यता नहीं है। बीजेपी के पुराने कार्यकर्ता इन कार्यकर्ताओं को बाहरी मानते हैं और वैसा ही बर्ताव करते हैं। कांग्रेस से आने वाले इन नेताओं को अपना राजनीतिक भविष्य संकट में दिखाई दे रहा है। इन नेताओं को न पद मिल रहा और न ही आगामी चुनाव में टिकट मिलने की गारंटी है जबकि कांग्रेस में उन्हें राजनीतिक भविष्य के साथ टिकट की संभावना दिख रही है।

इन नेताओं का कहना है कि जब वे कांग्रेस पार्टी में थे तो उन्हें कम से कम सम्मान तो मिलता था लेकिन बीजेपी में उन्हें मंच पर तक जगह नहीं मिल रही है। चुनावी सर्वे में बीजेपी की स्थिति इस बार कमजोर बताई जा रही है, ये भी कारण माना जा रहा है।