Screw On 3 Seats : तीन सीटों पर दोनों पार्टियों में पेंच, किसका नंबर लगेगा पता नहीं!
Indore : रविवार को कांग्रेस के 144 उम्मीदवारों की घोषणा के साथ ही जिले की 6 सीटों पर दोनों प्रमुख पार्टियों के उम्मीदवार तय हो गए। तस्वीर साफ हो गई है। भाजपा और कांग्रेस दोनों ने अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए। लेकिन, अभी भी तीन सीटों पर दोनों पार्टियों का पेंच फंसा हुआ है।
तीन सीट इंदौर-3, इंदौर-5 और महू के लिए दोनों ही पार्टियों ने उम्मीदवार घोषित नहीं किए। यही कारण है कि इन सीटों पर घमासान है। कांग्रेस ने अपनी पहली लिस्ट में यहां उम्मीदवार घोषित नहीं किया। इंदौर-3 सीट पर में कांग्रेस के दीपक (पिंटू) जोशी और अश्विन जोशी में पेंच फंसा है। इसके अलावा अरविंद बागड़ी भी मजबूत दावेदारी जता रहे हैं। यही कारण है कि कांग्रेस ने पहली लिस्ट में नाम घोषित नहीं किया।
भाजपा के सामने भी यक्ष प्रश्न इसलिए खड़ा हुआ कि कैलाश विजयवर्गीय को टिकट दिए जाने से बेटे आकाश विजयवर्गीय का टिकट कट गया। ऐसे में यहां से फिर उषा ठाकुर ने दावेदारी करना शुरू कर दिया, जो महू से विधायक हैं। इसके अलावा भाजपा प्रवक्ता गोविंद मालू भी वैश्य होने के नाते यहां से सशक्त दावेदार हैं।
इंदौर-5 में भी दोनों पार्टियों के लिए यही स्थिति है। यहां से पिछली बार हारे सत्यनारायण पटेल और शिक्षाविद स्वप्निल कोठारी दावेदार हैं। यहां भी पार्टी को विरोध के हालात बनने का डर है। भाजपा भी फूंक-फूंककर कदम रख रही है। क्योंकि, पिछला चुनाव भाजपा बहुत कम अंतर से जीती थी। लेकिन, अभी यहां भाजपा का कोई दमदार उम्मीदवार नहीं है, इसलिए अनुमान है कि महेंद्र हार्डिया को ही फिर टिकट दिया जाएगा।
महू में स्थानीय उम्मीदवार का हल्ला
महू में दोनों पार्टियों के लिए एक जैसी स्थिति है। महू में इस बार स्थानीय उम्मीदवार का हल्ला ज्यादा है, इसलिए भाजपा ने उषा ठाकुर का टिकट होल्ड पर रख दिया। यहां से स्थानीय होने के कारण राज्यसभा सदस्य कविता पाटीदार को टिकट देने की संभावना ज्यादा है। कांग्रेस की तरफ से भाजपा से वापस लौटे रामकिशोर शुक्ला का दावा मजबूत है। पर अभी टिकट घोषित नहीं किया गया।
इंदौर-4 में विरोध की राजनीति
कांग्रेस ने इंदौर-4 विधानसभा सीट से सिंधी समाज के उम्मीदवार राजा मंधवानी को टिकट दिया है। इससे पहले भी कांग्रेस ने तीन बार सिंधी नेता को उम्मीदवार बनाया, पर कोई भी भाजपा की अयोध्या कही जाने वाली इस सीट पर फतह नहीं पा सका। इस सीट पर इस समाज का अच्छा खासा वोट बैंक है। यदि एक-तरफा वोटिंग हुई तो मुकाबला कांटे का हो सकता है। दरअसल, कांग्रेस यहां 1985 का इतिहास दोहराने की कोशिश में है, जब यहां से नंदलाल माटा चुनाव जीते थे। लेकिन, राजा मंधवानी का नाम घोषित होते ही विरोध शुरू हो गया।