SDO Suspend: ठेकेदार को उपकृत करने बिना काम किए कर दिया लाखों का भुगतान

प्रभारी मंत्री को हुई शिकायत पर कलेक्टर ने की थी जांच

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SDO Suspend: ठेकेदार को उपकृत करने बिना काम किए कर दिया लाखों का भुगतान, जांच के बाद SDO सस्पेंड

भोपाल: लोक निर्माण विभाग पीआईयू के परियोजना यंत्री केके जैन ने कन्या छात्रावास में बिना कोटा स्टोन लगाए ही ठेकेदार को उपकृत करते हुए अस्सी लाख से अधिक का भुगतान कर दिया। इस मामले की प्रभारी मंत्री को शिकायत हुई तो कलेक्टर उमरिया से इस पूरे मामले की जांच कराई गई। कलेक्टर के द्वारा जांच में इंजीनियर द्वारा शासकीय धन का दुरुपयोग प्रमाणित पाया गया है। कलेक्टर के प्रतिवेदन पर शहडोल कमिश्नर राजीव शर्मा ने परियोजना यंत्री जैन को निलंबित कर दिया है।

उमरिया जिले के प्रभारी मंत्री को उमरिया भाजपा जिलाध्यक्ष दिलीप पाण्डेय ने शिकायत की थी कि कन्या छात्रावास में में ठेकेदार ने निर्माण कार्य पूरा नहीं किया है और हास्टल के बरामदे में देशी कोटा स्टोन नहीं लगाया है इसके बाद भी उन्हें पूरा भुगतान कर दिया गया है। इस शिकायत पर कलेक्टर उमरिया ने हॉस्अल ब्लॉक का निरीक्षण किया था। निरीक्षण में पाया गया कि कोर्टयार्ड में कोटा स्टोन नहीं लगाया गया है। ठेकेदार द्वारा कोटा स्टोन तीन-चार दिन पूर्व लाकर हास्टल ब्लॉक के बाहर रखा गया है। कोर्टयार्ड में बेस तैयार करने कार्य किया जा रहा था। कलेक्टर ने निर्माण कार्य की विस्तृत जांच और निराकरण न होंने तक यथास्थिति बनाए रखने के लिए संभागीय परियोजना यंत्री पीआईयू उमरिया को आदेश जारी किया था। इसके संबंध में संभागीय परियोजना यंत्री पीआईयू उमरिया को आदेश जारी किया गया जिसके संबंध में संभागीय परियोजना यंत्री ने यथास्थिति बनाने के निर्देश दिए थे।

लेकिन परियोजना यंत्री केके जैन ने वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देशों के विपरीत निर्माण कार्य पूरा कराया इस पर कलेक्टर उमरिया ने जैन को कारण बताओ नोटिस जारी किया और जवाब मांगा। जैन ने उत्तर में बताया कि काम पूरा न होंने की स्थिति में डेढ़ लाख रुपए की कटौती किये जाने और यथास्थिति की जानकारी विलंब से प्राप्त होंने का जवाब दिया। जबकि रोकी गई राशि कोटा स्टोन की नहीं है। कोर्टयार्ड कोटा स्टोन कार्य का माप पुस्तिका में दर्ज कर इसके लिए 5 लाख 26 हजार रुपए सहित कुल 80 लाख 47 हजार का भुगतान कर दिया गया। जबकि डेढ़ लाख रुपए विविध राशि के रुप में रोके गए। जबकि यह काम पूरा ही नहीं हुआ था तो पूरी राशि रोकी जाना चाहिए था। बिल बुक में भी कहीं भी कटौती राशि का जिक्र नहीं किया गया। जैन का जवाब संतोषजनक नहीं था। कलेक्टर उमरिया का अभिमत लेकर कमिश्नर शहडोल राजीव शर्मा ने इस मामले की सुनवाई की। उन्होंने माना कि इंजीनियर का जवाब संतोषजनक नहीं है और उन्होंने अपने कर्त्तव्यों के प्रति लापरवाही और उदासीनता बरती है। इसलिए उनका यह कृत्य सिविल सेवा नियमों के विपरीत है। इसलिए कमिश्नर ने केके जैन परियोजन यंत्री लोक निर्माण विभाग पीआईयू को निलंबित करने के निर्देश दिए है।