एसडीओपी पुलिस को भ्रष्टाचार के मामले में हुई 3 वर्ष की सजा 20 हजार जुर्माना, विशेष न्यायाधीश का फैसला
मंदसौर से डॉ घनश्याम बटवाल की रिपोर्ट
विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम न्यायालय दमोह के गुरुवार को दिये निर्णय में तत्कालीन एसडीओपी ( पुलिस ) जी पी शर्मा को दोषी पाते हुए तीन साल के सश्रम कारावास एवं बीस हजार रुपये जुर्माना की सजा सुनाई है ।
आरोपीगण:- 1.जी. पी. शर्मा, आयु करीब 62 वर्ष सेवानिवृत्त उप पुलिस अधीक्षक, निवासी एच.बी 51 अभिरुचि परिसर पुराना सुभाष नगर भोपाल, (तत्कालीन
एसडीओपी थाना तेंदूखेड़ा जिला दमोह)
2. विजय कुमार चढ़ार आयु करीब 54 वर्ष SI (MTO) तत्कालीन ASI वाहन चालक
सजा- आरोपी जी पी शर्मा को धारा 7 भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 में 03 वर्ष का सश्रम कारावास एवं ₹20,000 जुर्माना ।
अभियोजन की घटना इस प्रकार है कि दिनांक- 27.09.2015 को आवेदक बृजपाल पटेल पिता श्री बाबूलाल पटेल उम्र 58 वर्ष, निवासी- फुटेरा वार्ड न 04 हटा जिला दमोह ने जी.पी. शर्मा एस.डी.ओ.पी. तेन्दुखेड़ा जिला दमोह के विरुद्ध पुलिस अधीक्षक लोकायुक्त सागर के समक्ष आवेदन पत्र दिया था कि, आवेदक के पुत्र अजय पटेल पर थाना जबेरा में लड़की को भगाकर ले जाने का एस.सी./एस.टी. एक्ट के अंतर्गत अपराध कायम किया गया था, जिसकी विवेचना जी.पी. शर्मा, एस.डी.ओ.पी. तेन्दूखेड़ा कर रहा था, आवेदक ने उक्त अपराध में अपने पुत्र की अग्रिम जमानत दमोह न्यायालय से मंजूर कराई थी,जिसका आदेश लेकर दिनांक 22.09.2015 को आवेदक एवं उसका पुत्र अजय पटेल अपने अधिवक्ता के साथ उनके कार्यालय गया था, जो अनावेदक जी.पी. शर्मा एस.डी.ओ.पी. जमानत तस्दीक के लिये 10,000/- रुपये रिश्वत की मांग कर रहे थे।
आवेदक रिश्वत नही देना चाहता था, बल्कि उसे रिश्वत लेते हुये रंगे हाथो पकड़वाना चाहता था। उक्त शिकायत का सत्यापन लोकायुक्त पुलिस सागर द्वारा किया गया और दिनांक 28/09/2015 को रिश्वत मांग वार्ता रिकॉर्ड की थी जिसमें दिनांक 29-09-2015 को आरोपी और आवेदक के मध्य रिश्वत का लेनदेन होना तय हुआ था, जिस पर लोकायुक्त पुलिस द्वारा ट्रैप दल का गठन किया गया और आरोपी एसडीओपी तेंदूखेड़ा के शासकीय आवास में आरोपी को आवेदक से 1000- 1000₹ के 02 नोट एवं 500-500₹ के 06 नोट कुल ₹5000 रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा गया और समस्त कार्यवाही एवं विवेचना उपरांत अभियोग पत्र माननीय न्यायालय विशेष न्यायाधीश (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988) दमोह के समक्ष प्रस्तुत किया गया।
माननीय न्यायालय द्वारा प्रकरण के विचारण उपरांत अभियोजन द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजी साक्ष्य एवं मौखिक साक्ष्य व प्रस्तुत न्याय दृष्टांत एवं अभियोजन के तर्कों से सहमत होते हुए माननीय न्यायालय द्वारा आज दिनाँक 24/11/2022 को पारित निर्णय में आरोपी जी पी शर्मा तत्कालीन एसडीओपी तेंदूखेडा को दोषसिद्ध पाते हुए धारा 7 भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 में 03 वर्ष का सश्रम कारावास एवं ₹20,000 अर्थदंड से दंडित किया गया। माननीय न्यायालय द्वारा अभियुक्त क्रमांक 2 विजय कुमार चढ़ार के संदर्भ में अभियोजन मामला प्रमाणित नहीं पाया है फलतः दोषमुक्त किया ।
अभियोजन की ओर से पैरवी विशेष लोक अभियोजक श्री हेमंत कुमार पाण्डेय एवं श्री अनंत सिंह ठाकुर द्वारा की गई।