राज-काज: आखिर! मुख्यमंत्री भी नहीं मिला पाए इनके दिल….

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राज-काज: आखिर! मुख्यमंत्री भी नहीं मिला पाए इनके दिल….

– जो आशंका थी, वह सच साबित हुई। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के निर्देश पर सागर के दो मंत्री गोविंद सिंह राजपूत और भूपेंद्र सिंह, राजकुमार धनौरा के साथ समझौते के लिए बैठे, समझौते की बातें भी हुईं लेकिन आपस में दिल नहीं मिल सके। रविदास जयंती पर सागर में आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री चौहान ने गोविंद, भूपेंद्र को बैठ कर आपसी मतभेद सुलझाने के निर्देश दिए थे। राजकुमार धनौरा भूपेंद्र के रिश्तेदार हैं। उन्होंने सुरखी क्षेत्र में पद यात्रा का ऐलान कर गोविंद के खिलाफ मोर्चा खोल रखा था। लगातार उनके खिलाफ वीडियो जारी कर उन्हें एक्सपोज भी कर रहे थे।

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जवाब में गोविंद ने उन्हें भाजपा से निकलवा दिया था और पुलिस में प्रकरण दर्ज कराए थे। समझौता बैठक के बाद लगभग डेढ़ माह से शांति थी, अचानक दोनों पक्ष फिर आमने-सामने हैं। राजकुमार ने गोविंद के खिलाफ नया वीडियो जारी किया है। जवाब में आपराधिक प्रकरण में राजकुमार के खिलाफ कुछ धाराएं बढ़ गई। अर्थात गोविंद, भूपेंद्र और राजकुमार के बीच तनातनी यथावत है। गोविंद राजपूत को केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और भूपेंद्र सिंह को मुख्यमंत्री चौहान का खास माना जाता है। इस लिहाज से इनका कद बड़ा है, लेकिन कम हैसियत वाले राजकुमार इनके बीच प्रतिद्वंद्विता की वजह बने हुए हैं।

 पीके की टीम का कांग्रेस के लिए भोपाल में डेरा….!

-चुनावी रणनीतिकार पीके अर्थात प्रशांत किशोर। ये कई बार कह चुके हैं कि अब वे पहले की तरह किसी भी दल की जीत के लिए काम नहीं करेंगे, लेकिन सूचना उनके इस ऐलान के बिल्कुल विपरीत है। खबर है कि वे मध्यप्रदेश में कमलनाथ के आग्रह पर कांग्रेस के लिए काम करने के लिए तैयार हो गए हैं। खबर यहां तक है कि लोगों की नजरों से बचने के लिए पीके की लगभग डेढ़ सौ लोगों की टीम भोपाल के एक निजी विश्वविद्यालय में डेरा डाल चुकी है।

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इस टीम ने कांग्रेस के लिए काम भी शुरू कर दिया है। इसीलिए कमलनाथ अपवाद छोड़ अधिकांश टिकट पार्टी के किसी नेता की सिफारिश पर देने की बजाय पीके की टीम की रिपोर्ट के आधार पर ही देंगे। पीके की टीम के सदस्य प्रदेश की सभी विधानसभा सीटों में पहुंच चुके हैं। पहले चरण में टीम कांग्रेस के जिताऊ प्रत्याशी के लिए सर्वे कर रही है। इसके साथ मुद्दों को कलेक्ट किया जा रहा है। कांग्रेस इन्हें चुनाव अभियान के अपने एजेंडे में शामिल करेगी। यह अभियान पीके की रिपोर्ट के आधार पर ही चलेगा। साफ है कि अपवाद स्वरूप ही सही लेकिन पीके अब भी राजनीतक दलों के लिए रणनीति बनाने का काम कर रहे हैं। विधानसभा के पिछले चुनाव में भी कमलनाथ ने पीके की मदद ली थी। उनकी टीम ने कांग्रेस के लिए काम किया था। नतीजा कांग्रेस के पक्ष में गया था।

 

हुजूर में रामेश्वर के लिए संकट बनेंगे सबनानी….!

– राजधानी की हुजूर विधानसभा सीट में भाजपा टिकट के लिए इस बार बड़ा घमासान देखने को मिल सकता है। रामेश्वर शर्मा हुजूर के प्रभावशाली विधायक हैं। सीट पर भाजपा के प्रदेश महामंत्री भगवानदास सबनानी की भी नजर है। हुजूर में सिंधी समाज का सर्वाधिक वोट है। सबनानी भारतीय सिंधु सभा के जरिए भोपाल में ताकत दिखाने की तैयारी में हैं। भोपाल के भेल दशहरा मैदान में 31 मार्च को हेमू कालानी जन्मोत्सव मनाने की तैयारी चल रही है। इसमें देश भर से सिंधी समाज के लोग इकट्ठा होंगे। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के तौर पर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत को आमंत्रित किया गया है। भागवत आएंगे तो संघ और भाजपा की सभी प्रमुख हस्तियां कार्यक्रम में शिरकत करेंगी ही।

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यहां सबनानी को सिंधी समाज के सबसे प्रमुख नेता के तौर पर प्रस्तुत किया जाने वाला है। इससे सबनानी को एक टिकट का दावा स्वाभाविक तौर पर बन जाएगा। दूसरी तरफ रामेश्वर ने हिंदू नेता की अपनी छवि और मजबूत की है। वे क्षेत्र में किसी भी नेता से ज्यादा सक्रिय नजर आते हैं। ऐसे में रामेश्वर का टिकट काटना आसान नहीं है। संभव है, सबनानी को हुजूर से टिकट देकर रामेश्वर को दक्षिण-पश्चिम क्षेत्र से मैदान में उतार दिया जाए। इस तरह चुनाव से पहले ही रामेश्वर-भगवानदास के बीच रोचक मुकाबला देखने को मिल सकता है।

 

 बाबा रामदेव के सन्यासी बनाएंगे ‘हिंदू राष्ट्र’….!

– हिंदुस्तान में हिंदू ह्रदय सम्राट नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा की सरकार 2014 से है लेकिन पहली बार हिंदू राष्ट्र का शोर देश के हर कोने में गूंजता दिख रहा है। बागेश्वर धाम के प्रमुख धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ज्यादा मुखर हैं। वे अपने धार्मिक मंचों से इस संदर्भ में घोषणा कर लोगों को संकल्प दिला रहे हैं। योग और आयुर्वेद का प्रचार करने वाले बाबा रामदेव ने इसके लिए अलग रास्ता चुना है। वे बाकायदा विज्ञापन जारी कर सन्यासियों की भर्ती कर रहे हैं। विज्ञापन में कहा गया है कि इन सन्यासियों को मानदेय दिया जाएगा और ये हिंदू राष्ट्र के लिए प्रचार का काम करेंगे।

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सवाल है, तो क्या भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने के अभियान में ये तेजी आरएसएस के इशारे पर आई है या धीरेंद्र शास्त्री और बाबा रामदेव यह अपने स्तर पर ही कर रहे हैं? सच जो भी हो लेकिन दोनों के अभियानों पर संघ के साथ भाजपा की नजर है और कांग्रेस सहित विपक्ष की भी। इसीलिए धीरेंद्र शास्त्री के कार्यक्रमों का विरोध होने लगा है। कांग्रेस शासित राज्य राजस्थान में उनके खिलाफ प्रकरण दर्ज हो गया है। महाराष्ट्र के मुंबई में विपक्ष के तगड़े विरोध के बावजूद धीरेंद्र शास्त्री का कार्यक्रम हुआ। भारी भीड़ भी जुटी। तो क्या अगले चुनाव में हिंदू राष्ट्र भी मुख्य मुद्दा होगा? भाजपा और संघ यह चाह सकते हैं!

क्या ‘महू’ से बन रहे इस बार ‘योगेश’ के योग….

– विधानसभा चुनाव के लिए दावेदारों को चिन्हित करने का काम कांग्रेस में शुरू हो गया है।  अंतरसिंह दरबार के नाम से जाने जानी वाली महू विधानसभा सीट में इस बार समीकरण बदलते नजर आ रहे हैं। अंतरसिंह के लगातार तीन चुनावों में पराजय के कारण यह स्थिति बनी है। प्रदेश कांग्रेस सेवादल के मुख्य संगठक योगेश यादव का योग इस बार महू में जोर मारता दिख रहा है। लगभग दो दशक से जब भी महू सीट के लिए कांग्रेस का पैनल बनता है, योगेश दो या तीन नामों के पैनल में शामिल रहते हैं। लेकिन चुनाव हारने के बावजूद बाजी अंतरसिंह दरबार मार ले जाते हैं। अंतरसिंह के ऊपर प्रदेश में एक वर्ग के ताकतवर नेताओं का हाथ है, जबकि योगेश की गिनती सुरेश पचौरी समर्थकों में होती है। योगेश लंबे समय से प्रदेश में कांग्रेस सेवादल के पर्याय भी बन गए हैं। वे संभवत: ऐसे पहले नेता हैं, जिन्हें दुबारा चुनावी वर्ष में सेवादल की कमान सौंपी गई है। इससे पता चलता है कि वे अन्य नेताओं के साथ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ के नजदीक भी आए हैं। कमलनाथ ने तय कर रखा है कि इस बार वे जीतने की क्षमता वाले प्रत्याशी को ही मैदान में उतारेंगे, ऐसे में अंतरसिंह का पत्ता कट सकता है। सेवादल कोटे से यदि एक भी टिकट मिला तो भी योगेश को मौका मिल सकता है, बशर्ते कि सर्वे में भी उनका नाम आए।