महारानी अहिल्या का धर्म-कर्म देखकर सिर गर्व से ऊंचा हो जाता है…

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माता अहिल्या के कार्यों से मालवा और मध्यप्रदेश के निवासी हमेशा ही खुद को गौरवान्वित महसूस करने के हकदार हैं। कुछ समय पहले ही में इंदौर में गोबर-धन प्लांट के लोकार्पण समारोह को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मां अहिल्या का पुण्य स्मरण किया था। और बताया था कि देवी अहिल्या ने ही ज्योतिर्लिंग काशी विश्वनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण कराया था। यहां दान-पुण्य किया था और काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग का विशालकाय मंदिर जब केंद्र सरकार ने बनवाया, तो इस परिसर में मां अहिल्या की मूर्ति भी लगाई गई है, ताकि हर आस्थावान व्यक्ति काशी विश्वनाथ को नमन करे, तो मां अहिल्या को नमन करना न भूले। मोदी ने ठीक ही कहा था, क्योंकि मां अहिल्या के धार्मिक और सामाजिक कार्य हर धार्मिक स्थान पर हर आस्थावान हिंदू का मान बढ़ाते हैं।
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सोमनाथ आने वाला हर श्रद्धालु भी मां अहिल्या द्वारा निर्मित स्वयंभू सोमनाथ के मंदिर के दर्शन कर भगवान सोमनाथ और माता अहिल्या के प्रति श्रद्धा से भर जाता है। सोमनाथ मंदिर के पास ही स्थित है महाराणी अहिल्याबाई द्वारा पुनर्स्थापित श्री सोमनाथ महादेव मंदिर, स्थापना ईसवी सन् 1783। मंदिर में सोमनाथ महादेव का स्वरूप ठीक वैसा ही है, जैसा वल्लभभाई पटेल के विशेष प्रयास से निर्मित मंदिर में भगवान सोमनाथ का है। देवी अहिल्या द्वारा पुनर्स्थापित मंदिर की मूर्ति स्वयं प्रकट हुई थी, यही मान्यता है। गर्भगृह के ठीक ऊपर भी शिव का मंदिर है, ठीक उसी तरह जैसा महाकाल मंदिर में श्रद्धालु देखते हैं। हालांकि व्यक्ति पहले सोमनाथ मंदिर में ही मत्था टेकने पहुंचता है, लेकिन जैसे ही देवी अहिल्या द्वारा पुनर्स्थापित मंदिर में पहुंचता है…तो यहां भी सोमनाथ के साक्षात दर्शन कर मन प्रफुल्लित हो जाता है। इस मंदिर को पुराना सोमनाथ मंदिर कहते हैं और यह अब सोमनाथ मंदिर ट्रस्ट के अधीन ही है। यहां भी भक्त श्रद्धा पूर्वक भगवान सोमनाथ का पूजन-अर्चन करते हैं।
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इस मंदिर के परिसर में शिवलिंग के ठीक सामने करीब बीस मीटर की दूरी पर मां अहिल्या की मूर्ति लगाई गई है। इस पर अंकित है- “जय सोमनाथ”, ई.स. 1703 में श्री सोमनाथ मंदिर का विध्वंस होने के बाद ई.स. 1783 में मालवा प्रदेश की महारानी पुण्यश्लोका मातो श्री अहिल्या देवी ने शिव मंदिर का निर्माण करवाया था। शिव पूजन की परंपरा को सात्यय के साथ यहां बनाए रखने में मातो श्री अहिल्या देवी के योगदान के लिए हम सदैव उनके ऋणी रहेंगे।
तो गोलोकवासी प्रातः स्मरणीय देवी अहिल्या यहां भी न केवल मालवा, बल्कि संपूर्ण मध्यप्रदेश को गौरवान्वित होने का अवसर प्रदान कर रही हैं।  जैसी कि सरदार वल्लभभाई पटेल की गुजरात के भरूच जिले में विश्व की सबसे ऊंची 182 मीटर की मूर्ति स्थापित कर विश्व प्रसिद्ध पर्यटन स्थल बनाया गया है। इस मूर्ति का शिलान्यास गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने सन 2013 में किया था। ऐसी ही एक स्टेच्यू मध्यप्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा मां अहिल्या की बनवाकर उसे लोक को समर्पित कर विश्व प्रसिद्ध पर्यटक स्थल का रूप दिया जा सकता है। निश्चित तौर पर पूरी दुनिया मां अहिल्या के त्याग, समर्पण और दानवीरता के साथ ही उनके धार्मिक, सामाजिक योगदान को याद करने के लिए मां अहिल्या तीर्थ पहुंचकर उनके प्रति अपनी आस्था जरूर प्रकट करेगी।