

सीमा हैदर की राखी और लक- झक प्रदर्शन!
स्वाति तिवारी का चिंतन
सीमा हैदर के रूप में हम भारतीय संस्कृति में एक नया अध्याय जोड़ रहे है। उनके नए नए आयोजित या कहें प्रायोजित स्वरूपों को दिखा दिखा कर .अभी हाल ही में मैंने एक वीडियो देखा ,शायद आपने भी देखा होगा .क्या आपके घर में भी ख़ास कर मध्यमवर्गीय या निम्न मध्यमवर्गीय परिवार जो है,उनमें ऐसा संभव है । इन घरों की स्त्रियाँ क्या रक्षाबंधन पर अपने भाइयों के घर इस तरह की चमकती -धमकती साज सज्जा कर पाती हैं ? मैंने तो कभी नहीं देखी ! लम्बे चौड़े कुटुंब में नव ब्याहता बेटियों को राखी पर आते देखा ,नई बहुओं को अपने मायके जाते देखा लेकिन जो मेकअप आज सीमा का हुआ है वह या उसके जैसा तो छटांग भर भी देखने को नहीं मिला ?
याद नहीं आता है कि मैंने अपने परिवार में किसी भी स्त्री को सामान्य त्योहारों पर सीमा हैदर जैसे साजो शृंगार में कभी देखा हो .चार बच्चों की गृहस्थी में इतनी फुर्सत कहाँ होती है . पर्व पर पकवान बनाना ,बहन बेटियों को देना लेना ,भोजन व्यवस्था ,पूर्णिमा का पूजन ,तैयारी ,घर की परम्पराएँ सब निभाते निभाते कई बार तो बस जल्दी में रसोई की मुचकी साड़ी ही बदल कर पर्व मनाते देखा है खासकर राखी पर .बाल ना संवार पाने पर पल्लू होता है ना भारतीय वह सब कवर कर त्यौहार निपटा देता है ,एक पारंपरिक स्त्री की बात कर रही हूँ .हाँ सब मिलकर खुश है यह संतुष्टि की चमक जरुर देखी है . बहने -बेटियां किसके घर नहीं आती ,सभी के घर आती है,तैयार भी होती है लेकिन दुल्हन भी जिस तरह तैयार होने में संकोच कर जाय उस तरह के मेकअप में सीमा को मुंह बोले भाई को राखी बांधने के लिए बाकायदा पार्लर वाले मेकअप में देखना कुछ अजीब लगता है .संजना संवरना कोई गलत नहीं है ,अच्छे से पर्व मनाया जाना चाहिए ,लेकिन इतना भी प्रयोजन सवाल खड़े करता है ?
आश्चर्य इस बात पर भी होता है कि उसने तीज मनाई ,निर्जला व्रत रखा,उसने रक्षा बंधन मनाया क्या यह कोई दुनिया का अजूबा है ? भारत में कई मुस्लिम बहनें किसी हिन्दू भाई को और कई हिन्दू बहनें मुस्लिम भाई को राखी बांधती है ,लेकिन उनकी ख़बरें कभी नहीं बनी। यह गंगा जमुनी संस्कृति रही है। भाई बहन के राखी जैसे पर्व पर यह सामान्य बात है. मुझे इससे कोई शिकायत नहीं है ,शिकायत है उस महिमा मंडन और उसके दिखावे से .
क्या हम सब मिल कर अनजाने में बेटियों को इस अनूठी प्रेम कहानी के माध्यम से अंजू बन जाने की कोई गलत दिशा तो नहीं दे रहे ? जिसमें एक पतिव्रत ,एक निष्ठा ,एक कुटुंब ,एक देश ,सब संस्कारों को ताक में रख स्वछन्द जीवन के लिए भाग जाने और इस हद तक भटक जाने के रास्ते तो नहीं दिखा रहे? अपने ही बच्चों के साथ गुमराह हो गयी सीमा या अंजू के रूप में कोई रोल मॉडल तो नहीं परोस रहे ?
#RakshaBandhan पर कैसे सजी-संवरी #SeemaHaider?
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इतना मेकअप ,इतने भड़कीले रंग ,इतने गहने ,इतनी चमक ,और वह भी एक डरी सहमी कथित अवैधानिक रूप से सीमाएं पार कर आयी पाकिस्तानी स्त्री ,जो चार बच्चे लेकर पाकिस्तान जैसे कट्टर देश से भाग कर अपने से कम उम्र के एक गरीब लड़के को प्यार में परिपक्व उम्र में भाग आयी है ? क्या वह किसी भी दिन आपको मजबूर शोषित मुस्लिम स्त्री लगी? जो डरी सहमी हो जो राष्ट्रपति तक बचाव की गुहार लगा रही है , दो तीन देशों की सुरक्षा व्यवस्था को ठेंगा बताते हुए, भारत में आने और डंके की चोंट पर रह रही है ?सीमा को भारत की नागरिकता भी नहीं मिली है तब इस दिखावे को क्या समझा जाय ?
सीमा को अपना जीवन जीने का पूरा अधिकार है ,मुझे कोई आपत्ति नहीं है लेकिन भय है कि जाने अनजाने वह भारतीय संस्कारों की सीमा लांघने की प्रेरणा ना बन जाय ? भारतीय समाज में सामाजिक ,पारिवारिक भय की अनकही महीन रेखा कई बार लड़कियों को गलत कदम उठाने से रोकने वाली सीमा रेखा होती है पर कही हम इस महीन रेखा को ही ना मिटा दें ?
स्त्री सुलभ वह भाव जो साधारण प्रेम कहानी तक में दिखता है वो दूर दूर तक मुझे दिखाई क्यों नहीं देता ? हर स्त्री जो एक घर छोड़ कर दुसरे घर आती है वह वहां के तीज त्यौहार अपनाती है .अपनाने की परम्पराएँ हैं पर उनका फिल्मांकन, उनका प्रदर्शन, मेरी स्त्रीयोचित संवेदना पर जाने क्यों चोंट करता है ,और मैं सीमा के लक- झक प्रदर्शन को अस्वीकार कर देती हूँ .उसके साथ मेरे लेखकीय संवेदना के तार जुड़ क्यों नहीं पाते ?उसके पति की क्रूरता की कहानी क्यों मेरे अन्दर सीमा के प्रति सहानुभूति नहीं जगा पाती .