बीजेपी की दिग्गज नेता उमा भारती का कहना है कि, राम मंदिर का श्रेय कोई नहीं ले सकता

1072

बीजेपी की दिग्गज नेता उमा भारती का कहना है कि, राम मंदिर का श्रेय कोई नहीं ले सकता

राम मंदिर के उद्घाटन का लोगों को बेसब्री से इंतजार है. इस बीच बीजेपी की दिग्गज नेता व राम मंदिर आंदोलन का रहीं उमा भारती का कहना है कि 5 शताब्दी हो गई थीं और इसकी सफलताओं के परिणाम तक पहुंच गए हैं.

इस आंदोलन के लिए जिन लोगों ने अपने जीवन और जवानी को दिया है उनका अभिनंदन होना चाहिए. इसका श्रेय कोई नहीं ले सकता. पहला श्रेय कार सेवकों का है, जिन्होंने ढांचा गिरा दिया था. अगर ढांचा नहीं गिरता तो पुरातत्व विभाग खुदाई नहीं कर सकता था.

उन्होंने कहा कि ढांचे को गिराकर खुदाई करने की ताकत पुरातत्व विभाग की नहीं हो सकती थी. जब ढांचा गिर गया तो सबूत मिल गए. सबूत को माननीय कोर्ट ने स्वीकार कर लिया. उस पर मुसलमानों ने भी आपत्ति नहीं की. इसके बाद का श्रेय बाकी लोगों को जाता है. अंतिम समय का श्रेय अशोक सिंघल को जाता है, जिन्होंने अभियान को चरम सीमा तक पहुंचाया. इन सबके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमित शाह और योगी आदित्यनाथ को जाता है.

मुलायम सिंह कार सेवकों का हत्यारे- उमा भारती

बीजेपी नेता ने कहा कि देश में शांतिपूर्ण तरीके से मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा हो रही है. इस विषय का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रस्तुतीकरण किया. अमित शाह ने लॉ एड ऑर्डर पर काबू रखा, योगी आदित्यनाथ ने यूपी को संभाला. आगे उन्होंने कहा कि हम लोगों का कोई श्रेय नहीं है. जिंदा रहे तो बहुत दुख हुआ था. कुछ कार सेवकों को गोली से मार दिया गया था इसलिए मुलायम सिंह को मैं हमेशा कार सेवकों का हत्यारा ही कहती हूं.

1 1

उमा भारती ने कहा कि सबसे पहला संघर्ष 500 सालों में हनुमानगढ़ी के महंतों ने किया था और अंतिम बलिदान राम और शरद कोठारी का था. अंत समय में हम लोग अशोक सिंघल के साथ हो गए थे और प्रण किया था कि अंतिम निष्कर्ष तक पहुंचकर ही दम लेंगे. हमको भी CBI ने चार्जशीट दिया था और फिर ट्रायल हुआ. लोग कहते हैं कि हम धर्म की राजनीति करते हैं, लेकिन जब CBI ने हमारे केस को टेकओवर किया, तो उस समय अटल जी प्रधानमंत्री थे. CBI ने जब हमको चार्जशीटेड किया तो मोदी जी प्रधानमंत्री थे. उन्होंने हमारे बचाव की कोई चेष्टा नहीं की. हम किसी भी प्रकार के बलिदान के लिए तैयार थे.

याद आते हैं ठण्ड के वे दिन

उन्होंने कहा कि लालकृष्ण आडवाणी जी ने रथ यात्रा निकाली और उन्होंने किसी की परवाह नहीं की. विश्वनाथ प्रताप सिंह घड़ी-घड़ी रंग बदल रहे थे. कभी कार सेवा लिए हां भर रहे थे, कभी शिलान्यास के लिए न कह रहे थे, लालू जी ने मुस्लिम तुष्टिकरण के चलते आडवाणी जी का रथ रोक लिया. कांग्रेस हिंदुओं को भी खुश रखना चाहती थी और मुस्लिम को भी. ये नेहरू जी के समय में ही शुरू हो गया था.

Bilkis Bano Case: बिलकिस बानो केस में बड़ा फैसला, सुप्रीम कोर्ट ने निरस्त की दोषियों की रिहाई