Shardiya Navratra: नवरात्र की चित्रा नक्षत्र व वैधृति योग में हुई शुरुआत,घट स्थापना ब्रह्म व अभिजीत मुहूर्त में ही रहेगी शुभ

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Shardiya Navratra

आठ दिनों की होगी नवरात्रि, चतुर्थी तिथि का क्षय, देवी चन्द्रघंटा व कुष्मांडा काएक ही दिन होगा पूजन, माँ डोली पर सवार हो आएगी,गुरुवार से प्रारम्भ हो गुरुवार को ही होगा समापन,तिथि,वार व नक्षत्र के अनुसार देवी को भोग अर्पित करें, नवदुर्गा स्वरूप नो कन्याओं के पूजन से होगी मनोकामनाएं पूर्ण

आचार्य पण्डित रामचन्द्र शर्मा वैदिक,अध्यक्ष, मध्यप्रदेश ज्योतिष व विद्वत परिषद ने बताया कि वैसे तो वर्ष में कुल चालीस नवरात्रियां होती है। उसमें भी चार प्रमुख दो गुप्त आषाढ़ व माघ माह की यंत्र,तंत्र व मंत्र सिद्धि हेतु . दो उजागर चैत्र व आश्विन माह की चैत्र नवरात्रि (वासन्तिक व राम ) नवरात्र के नाम से प्रसिद्ध है। आश्विन माह की नवरात्र शरद ऋतु में आती है अतः( शारदीय ) नवरात्र के नाम से प्रसिद्ध है। यह प्रमुख नवरात्रि है।

7 अक्टूबर गुरुवार से शारदीय नवरात्र का आरम्भ होगा ।माँ डोली पर सवार हो पधार रही है।देवी भागवत व ज्योतिर्ग्रन्थों की माने तो गुरु वार व शुक्रवार को नवरात्रि का आरम्भ हो तो माँ डोली पर सवार हो आती है।पुराणादि धर्मशास्त्रों की माने तो जब माँ डोली पर सवार हो आती है तो यह अच्छा शगुन माना जाता है. । इस वर्ष नवरात्रि चित्रा नक्षत्र व वैघृति योग में शुरू हो रही है जो देश की अर्थव्यवस्था के लिहाज से शुभ नही है,, देश की अर्थ व्यवस्था कमजोर बनी रहेगी।छत्र भंग योग ,राजनीतिक उठापटक,प्राकृतिक आपदा,नई नई असाध्य बीमारियों व महामारी का भय आदि।

इस वर्ष नवरात्र आठ दिनों की होगी तृतीया व चतुर्थी दोनों एक ही दिन 9 अक्टूबर शनिवार को प्रातः 7.48 बजे तक तृतीया है। बाद में चतुर्थी प्रारम्भ होगी। 15 को अपरान्ह में दशमी है अतः दशहरा शमी पूजन शुक्रवार को मनाया जाएगा।

चित्रा नक्षत्र व वैधृति योग के चलते घटस्थापना ब्रह्ममुहूर्त अथवा अभिजीत मुहूर्त में ही शुभ रहेगी। अतः शुभ मुहूर्त में ही अपनी,,अपनी कुल परम्परानुसार घटस्थापना करें।
आचार्य शर्मा वैदिक ने बताया कि शारदीय नवरात्रि इस वर्ष आठ दिनों की है ।नवरात्र की तिथियों का घटना व श्राद्ध की तिथयों का बढ़ना अशुभ है,,अच्छा संकेत नही है।शारदीय नवरात्र में माँ की साधना , उपासना व विविध कामना पूर्ति हेतु नव कन्याओं को नवदुर्गा के स्वरूप में तिथि
वार व नक्षत्र अनुसार नैवेद्य अर्पण करने से वांछित फल की प्राप्ति के साथ माँ की कृपा बनी रहती है।

नवरात्र में 7 अक्टूबर, गुरु वार,प्रतिपदा तिथि व चित्रा नक्षत्र:– विवाह योग्य कन्याओं को सुयोग्य वर की प्राप्ति हेतु माँ शैलपुत्री के रूप में दो वर्ष की कन्या का गाय के घी से निर्मित हलवा व मालपूए का भोग लगाए। 8 अक्टूबर,शुक्रवार, द्वितीया तिथि स्वाति नक्षत्र:-विजय प्राप्ति व सर्वकार्य सिद्धि हेतु तीन वर्ष की कन्या का माँ ब्रह्मचारिणी के रूप में पूजा कर मिश्री व शक्कर ने बने पदार्थ का भोग लगाए।

9अक्टूबर तृतीया व चतुर्थी तिथि शनि वार विशाखा /अनुराधानक्षत्र:– दुःखों के नाश व सांसारिक कष्टों से मुक्ति हेतु चार व पांच वर्ष की कन्या का माँ चंद्रघंटा /कुष्मांडा के रूप में पूजन कर दूध से निर्मित पदार्थो का व मालपुए का भोग अर्पित करें।

10 अक्टूबर रवि वारपंचमी तिथि व अनुराधा नक्षत्र:–विद्यार्थियों को परीक्षा में सफलता व मनोकामना पूर्ती हेतु छः वर्ष की कन्या का माँ स्कंदमाता के स्वरूप में पूजन कर माखन का भोग लगाएं।11अक्टूबर सोमवार षष्ठी तिथि व ज्येष्ठा नक्षत्र:–चारों पुरुषार्थ व रूप लावण्य की प्राप्ति हेतु सात वर्ष की कन्या का माँ कात्यायनी के स्वरूप में पूजन कर मिश्री व शहद का भोग समर्पित करें।

12 अक्टूबर मंगलवार, सप्तमी तिथि व मूल नक्षत्र:– नवग्रह जनित बाधाएं व शत्रुओं के नाश हेतु आठ वर्ष की कन्या का माँ कालरात्रि का के स्वरूप में पूजा अर्चना कर दाख,गुड़ व शक्कर का नैवेद्य अर्पित करें।

13 अक्टूबर बुधवार अष्टमी तिथि व पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र:–विभीन्न संतापों से मुक्ति व मनोकामना पूर्ती हेतु नौ वर्ष की कन्या का महागौरी स्वरूप में पूजन कर गाय के घी से निर्मित पदार्थ व श्रीफल का भोग लगाये।

14 अक्टूबर गुरुवार,नवमी तिथि व उत्तराषाढ़ा नक्षत्र :–परिवार में सुख समृद्धि, भय नाश व मनोकामना पूर्ती हेतु दस वर्ष की कन्या का माँ सिद्धि दात्री व नवदुर्गा स्वरूप में पूजन कर खीर,हलवा व सूखे मेवे का भोग लगाये। उपर्युक्त विधि विधान से नवरात्रि में दो से 10 वर्ष की कन्याओं का माँ नवदुर्गा स्वरूप में पूजन अर्चन कर वांछित नैवेद्य समर्पण से देवीभक्तों की सभी वांछित मनोकामना शीघ्र प्राप्त होती है व भगवती की कृपा सदैव बनी रहती है।

अष्टमी व नवमी को कुलदेवी पूजन का भी विधान है। नवरात्र में अभ्यंग स्नान,घट स्थापना,ज्वारे का रोपण,प्रतिमा पूजा,चंडी पाठ, उपवास व हवन पूजन का ही विशेष महत्व है।सभी क्रियाएं शुद्धता,पवित्रता के श्रद्धा भक्ति पूर्वक सविधि किये जाने से ही वांछित फल की प्राप्ति सम्भव है। महामारी व उसके भय के चलते माँ की श्रद्धा व भाव से आराधना करने से आप शीघ्र ही भयमुक्त हो सकते है,,या देवी सर्वभूतेषु मातृ रूपेण संस्थिता,नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमोनमः