Sheikh Hasina’s Refuge : शेख हसीना अब किस देश में शरण लेंगी, अभी कोई नहीं जानता!

भारत लंबे समय रखना नहीं चाहता, लंदन ने इंकार किया, अमेरिका ने वीजा रद्द किया! 

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Sheikh Hasina’s Refuge : शेख हसीना अब किस देश में शरण लेंगी, अभी कोई नहीं जानता!

New Delhi : बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना का अगला पड़ाव क्या होगा, ये कोई नहीं जानता। अभी तो किसी को यह भी नहीं पता कि वे कहां है। जब 5 अगस्त को इस्तीफा देकर वे ढाका से अपनी बहन के साथ निकली थी, तो कयास लगाए गए थे कि वे दिल्ली होते हुए लंदन जाएंगी। लेकिन, इंग्लैंड ने हाथ खड़े कर दिए कि वे उन्हें किसी जांच से नहीं बचा पाएंगे। अमेरिका ने शेख हसीना का वीजा रद्द कर दिया। अब संभावना है कि वे फ़िनलैंड जा सकती हैं। लेकिन, ये तय है कि वे भारत में ज्यादा दिन नहीं रहेंगी। संभव है कि वे अगले 24 घंटों में भारत छोड़ दें।

भारत के रुख से भी जाहिर है, कि वो शेख हसीना को लंबे समय तक रखना नहीं चाहता। भारत चाहता है कि हसीना किसी और देश में राजनीतिक शरण लें। शेख हसीना भी शायद भारत में नहीं रहना चाहेंगी। एक जमाने में शेख हसीना ने भारत में लंबा निर्वासन का समय बिताया। वे दिल्ली में कई साल रही हैं। उनके बच्चों की पढ़ाई नैनीताल से लेकर तमिलनाडु तक में हुई। वह भी भारत को अपना दूसरा घर मानती हैं। भारत के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी उन्हें अपनी दूसरी बहन मानते थे। जब वे 1975 से 1981 के बीच निर्वासन काल में दिल्ली में रहीं तो इंदिरा गांधी और प्रणब मुखर्जी के घर के दरवाजे उनके लिए हमेशा खुले थे।

किंतु, अब वो समय नहीं रहा। भारत भी रणनीतिक तौर पर इस मामले में फूंक फूंक कर कदम रख रहा है। वह नहीं चाहता कि वे यहां रहें और बांग्लादेश के साथ संबंधों में तनाव आए। हालांकि, भारत की मित्र होने के नाते वह उनकी तब तक हिफाजत जरूर करना चाहता है, जब तक उन्हें किसी देश में राजनीतिक शरण न मिल जाए। लेकिन, लंबे समय नहीं क्योंकि जितना लंबा वो भारत में रहेंगी उतना ही बांग्लादेश में भारत को लेकर नाराजगी बढ़ सकती है। तब वहां रह रहे भारतीय नागरिकों और हिंदू लोगों के लिए मुश्किल हो सकती है।

न लंदन जाएंगी न अमेरिका 

संकेत हैं कि हसीना को यूके में अपनी कानूनी स्थिति के संबंध में चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है, विशेष रूप से कार्यालय में उनके समय से संबंधित संभावित जांच के संबंध में। ब्रिटिश अधिकारियों ने बांग्लादेश में हाल की हिंसा की गहन जांच की आवश्यकता का सुझाव दिया है, जिससे उनका शरण आवेदन जटिल हो सकता है. लिहाजा जब तक उनके शरण आवेदन पर कार्यवाही नहीं की जाती तब तक वह भारत में रह सकती हैं और अपने अन्य विकल्पों को देख सकती हैं।

वो चार कारण जिसके चलते भारत नहीं चाहेगा कि अबकी बार वे यहां लंबे समय तक रहें।

(1) बांग्लादेश से तनाव बढ़ने के आसार

भारत खुलेआम हसीना का समर्थन करने को लेकर सतर्क है। क्योंकि, ऐसा करने से बांग्लादेश में नई सरकार के साथ उसके संबंध जटिल हो सकते हैं।  भारत सरकार का उद्देश्य तटस्थता बनाए रखना। फिलहाल बांग्लादेश में जो भी राजनीतिक इकाई उभरती है, उसे उसके साथ जुड़ना है, विशेष रूप से बांग्लादेशी आबादी के बीच भारत विरोधी भावनाओं को बढ़ने से रोकने के लिए।

(2) अब हालात पहले से अलग 

भारत में दलाई लामा जैसे संकटग्रस्त नेताओं को शरण देने का इतिहास रहा है। हालांकि, उसके लिए भी भारत को हमेशा से चीन की नाराजगी झेलनी पड़ी है। लेकिन, दलाई लामा को शरण देकर भारत ने वैश्विक राजनय में एक अलग संदेश हमेशा दिया। दुनिया उसे हमेशा सही मानती रही है। भारत ने पहले 1970 के दशक के आखिर में बेशक हसीना को शरण प्रदान की थी। तब हालात एकदम अलग थे। उस समय उन्हें लेकर न तो बांग्लादेश की जनता में कोई नाराजगी थी और न चीन इस तरह भारत के पड़ोसियों को लुभाते हुए हमारे इर्द-गिर्द एक अजीब सी बेचैनी पैदा कर रहा था। अब भारत किसी हालत में नहीं चाहेगा कि बांग्लादेश में बनने वाली नई सरकार पूरी तरह चीन की ओर झुक जाए।

चीन ने भारत के कई पड़ोसियों को लुभाते हुए वहां अपना असर बढ़ाया हुआ है, इसमें नेपाल से लेकर लंका और मालदीव तक आते हैं. पाकिस्तान तो खैर हमारे लिए घोषित दुश्मन देश है, उसे भी चीन से पर्याप्त शह मिलती है। फिलहाल भारत के पड़ोसियों में पाकिस्तान, मालदीव, श्रीलंका, म्यांमार और नेपाल काफी हद तक चीन की चालों में फंसे हैं। भूटान काफी हद तक सतर्क तटस्थता बरतने लगा है। शेख हसीना के राज में बांग्लादेश ही अकेला ऐसा पड़ोसी बचा था, जो उसके करीब था। भारत यही स्थिति आगे भी रखना चाहेगा।

(3) बांग्लादेश में लोगों का गुस्सा

बांग्लादेश में इस समय लोगों का गुस्सा शेख हसीना के लिए काफी ज्यादा है। उसी वजह से उन्हें इस्तीफा देकर वहां से भागना पड़ा। अगर भारत ने उन्हें लंबे समय तक अपने यहां रखा तो इसे बांग्लादेशी लोगों के सीधे अपमान के रूप में देखा जा सकता है। इससे भारत को लेकर उनकी नाराजगी और बढ़ सकती है। लिहाजा मौजूदा स्थितियों और विदेश नीति को देखते हुए भारत कभी नहीं चाहेगा।

(4) बांग्लादेश में रहने वाले भारतीयों का ख्याल

विदेश मंत्री जयशंकर ने संसद में बताया कि बांग्लादेश में फिलहाल करीब 19 हजार भारतीय हैं, जो वहां नौकरियों से लेकर व्यवसाय तक से जुड़े हुए हैं। भारत के लिए उनकी सुरक्षा बहुत जरूरी है, लिहाजा उसे इसका भी ख्याल रखना है। ये उसके लिए बड़ी प्राथमिकता है। साथ ही बांग्लादेश में करीब 1.3 करोड़ हिंदू रहते हैं। मौजूदा तनाव के बीच उनकी स्थिति बांग्लादेश में बहुत अजीब हो गई है। उन पर हमले हो रहे हैं। मंदिरों को भी तोड़े जाने की खबरें हैं, लिहाजा शेख हसीना को लंबा रखने ये हालात और बिगड़ सकते हैं।

ऐसी स्थिति में शेख हसीना भी भारत में नहीं रहना चाहेंगी। शायद भारत की चिंताओं से उन्हें अवगत करा दिया गया है। फिर वो इस बात को भी बखूबी समझती हैं कि भारत के लिए उन्हें लंबा रखना क्यों मुमकिन नहीं होगा।

कहां जाना चाहती हैं शेख हसीना

वैसे शेख हसीना खुद भी भारत में लंबा नहीं रहना चाहती होंगी. उनके अगले कदमों में मुख्य तौर पर ब्रिटेन में शरण लेना शामिल है. हालांकि शायद उनके लंदन में राजनीतिक शरण के आवेदन में कुछ दिक्कतें आ रही हैं, लेकिन उनकी प्राथमिकता वहीं जाना है। भारत में रहते हुए उनका लंदन जाना आसान होगा। वहां की यात्रा की तैयारी के लिए भारत उन्हें पूरी लॉजिस्टिक मदद दे रहा है. इसमें उनकी यात्रा व्यवस्था और सुरक्षा उपायों में सहायता शामिल है।