पुष्यमित्रमय‌ हुए शिव-विष्णु और मध्यप्रदेश…

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पुष्यमित्रमय‌ हुए शिव-विष्णु और मध्यप्रदेश…

राजधानी भोपाल के कुशाभाऊ ठाकरे कंवेंशन सेंटर में गॉंग सेरेमनी का अनूठा आयोजन मध्यप्रदेश के इतिहास में दर्ज हो गया है। अंग्रेजी का शब्द गॉंग यानि हिंदी में घंटा। 21 फरवरी 2023 को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा और इंदौर महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने कुशाभाऊ ठाकरे कंवेंशन सेंटर में घंटा बजाया और इंदौर नगर निगम का महत्वाकांक्षी ग्रीन बांड, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) में सूचीबद्ध हो गया। और ग्रीन बांड को एनएसई में सूचीबद्ध कराने वाला इंदौर देश का पहला नगर निगम बन गया। इंदौर मेयर इसका श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सोच और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के विजन, श्रम और सहयोग को देते नहीं थक रहे थे, तो वास्तव में मुख्यमंत्री शिवराज, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णु पूरी तरह से पुष्यमित्रमय थे। न तो सरकार की गारंटी ली और न ही किसी से लोन लिया और 60 मेगावाट का सोलर प्लांट लगाने के लिए 244 करोड़ की राशि ग्रीन बांड के जरिए जुटा ली। ग्रीन बांड से प्राप्त राशि से नगर निगम जलूद में 60 मेगावाट का सोलर प्लांट लगाएगा। इससे जो बिजली बनेगी,उससे करोड़ों रुपए के बिजली भुगतान में कमी आएगी। इस बांड के लिए नगर निगम को 721 करोड़ रुपये के आवेदन प्राप्त हुए है,जबकि नगर निगम ने 244 करोड़ रुपये के लिए पब्लिक इश्यू जारी किया था। यह हुई न भरोसे वाली बात, यह भरोसा है इंदौर नगर निगम की उपलब्धियों का, यह भरोसा है इंदौर नगर निगम का हर चुनौती पर खरा उतरने का और यह भरोसा है इंदौर के महापौर पुष्यमित्र भार्गव का मोदी की सोच, शिवराज के विजन और विष्णु के भरोसे पर खरा उतरने का। अब बिना सरकार पर बोझ बने इंदौर नगर निगम ने अपने बलबूते देश के स्वच्छतम शहर को नवाचारों की नई श्रंखला संग आगे बढ़ते रहने की राह पर दौड़ना शुरू कर दिया है। इसीलिए तो मोदी को कहना पड़ा कि इंदौर एक दौर है जो जब दूसरे सोचते हैं, उससे पहले ही कहीं बहुत आगे दौड़ लगा लेता है। इसीलिए तो शिवराज को कहना पड़ता है कि इंदौर उनके ही नहीं दुनिया के सपनों का शहर बन गया है। इसीलिए तो शिव-विष्णु और संपूर्ण मध्यप्रदेश को इंदौर पर गर्व है और इस मामले में तो विपक्षी दल कांग्रेस भी सहमत होने से इंकार नहीं कर सकता। 21 फरवरी 2023 इसीलिए वह खास तारीख है, जब कुशाभाऊ ठाकरे कंवेंशन सेंटर में घंटा बजते ही शिव-विष्णु और पूरा मध्यप्रदेश पुष्यमित्रमय था। भाजपा के पितृ पुरुष कुशाभाऊ ठाकरे भी अपने पार्टी नेताओं के अच्छे कामों पर खुश हो रहे होंगे। अब तो भरोसा बन गया है कि इंदौर नगर निगम की उपलब्धियां ऐसी ही बनी रहेंगीं और आगे भी मध्यप्रदेश इंदौरमय और पुष्यमित्रमय बना रहेगा। शिवराज को इंदौर की उपलब्धियों पर गौरवान्वित होकर ही तो यह कहना पड़ा कि इंदौर लीक से हटकर काम करता है।
इंदौर नगर निगम का यह खुद धन जुटाओ और अपने शहर के विकास में लगाओ मॉडल अब पूरे देश के लिए नजीर बन गया है। सबसे पहली चुनौती तो मध्यप्रदेश के महानगरों के नगरीय निकायों को मिल चुकी है। घंटा इंदौर नगर निगम ने बजा दिया है, अब घंटा लगातार बजता रहे यह भार प्रदेश के दूसरे नगर निगमों को अपने कंधों पर भी उठाना ही पड़ेगा। गॉंग सेरेमनी होती रहे, इसकी सर्वाधिक चुनौती भोपाल नगर निगम को मिल चुकी है। खतरे की घंटी बज चुकी है, स्वस्थ प्रतिस्पर्धा करने के लिए। यह स्वस्थ प्रतिस्पर्धा भोपाल सहित ग्वालियर, जबलपुर, रीवा, सतना, सागर सहित सभी नगर निगम को करनी ही पड़ेगी। क्योंकि आगे की स्थिति यही बनने वाली है कि प्रदेश सरकार ऋण लेकर शहरों के घी पीते रहने का तनाव नहीं लेगी। आगे तो शहरों के साथ छोटे नगरों को भी अपना भरोसा बनाना पड़ेगा और अपने-अपने शहर को ऊंचाई पर ले जाने का कर्तव्य पूरी ईमानदारी से निभाना पड़ेगा। अपने-अपने लिए धन जुटाना पड़ेगा। और निश्चित तौर पर यही स्थिति का सामना देश के नगरीय निकायों को भी करना पड़ेगा। और विकसित देशों में भी तो यही हो रहा है। भारत भी विश्व के उन पांच‌ देशों में शामिल है, जिनकी अर्थव्यवस्था सुदृढ़ है। और मध्यप्रदेश की करेंट ग्रोथ रेट तो देश में सर्वाधिक है। फिर मध्यप्रदेश का सर्वाधिक विकसित शहर इंदौर भी कैसे पीछे रह सकता है।
खैर बात इंदौर के भरोसे की है। तो वह यह होता है कि पिछले छह दफा से देश के स्वच्छतम शहर इंदौर ने सातवीं बार देश का स्वच्छतम शहर बने रहने का दावा पहले से ही कर दिया है और इसका ठोस आधार किसी से छिपा नहीं है। रही बात ग्रीन इंदौर बनाने की, तो मुख्यमंत्री ने उम्मीद जताई है कि इंदौर को पुष्यमित्र सोलर सिटी बनाकर कीर्तिमान रचें। तो हो सकता है कि पुष्यमित्र ने शिवराज के इस सुझाव को भी आत्मसात कर ही लिया होगा। इकहरे बदन के दुबले-पतले पुष्यमित्र का भी परिश्रम की पराकाष्ठा के मामले में कोई सानी नहीं है, तो अपनी बुद्धि, विवेक और प्रबंधन क्षमता का लोहा वह मनवा ही चुके हैं। ऐसे में साफ है कि वह चुनौती स्वीकार करना और चुनौती पर खरे उतरना भली भांति जानते हैं। ऐसे में उम्मीद करना उचित ही है कि मध्यप्रदेश आगामी समय में पुष्यमित्रमय बना रहेगा और इंदौर दुनिया के सपनों का शहर बना रहकर नई ऊंचाइयों को छूता रहेगा।