मैं  क्षिप्रा सा सरल तरल सा बहता हूँ । मैं  कालिदास की काव्य ऋचाएँ कहता हूं-शिवमंगल सिंह सुमन

पंडित दीनानाथ व्यास स्मृति प्रतिष्ठा समिति भोपाल आज शिवमंगल सिंह  सुमन जी पर केन्द्रित रहा

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पंडित दीनानाथ व्यास स्मृति प्रतिष्ठा समिति द्वारा आज शिवमंगल सिंह  सुमन जी पर केन्द्रित एक आयोजन

मैं  क्षिप्रा सा सरल तरल सा बहता हूँ । मैं  कालिदास की काव्य ऋचाएँ कहता हूं-शिवमंगल सिंह सुमन

पंडित दीनानाथ व्यास स्मृति प्रतिष्ठा समिति द्वारा आज शिवमंगल सिंह  सुमन जी पर केन्द्रित एक आयोजन में उन्हें उनके अलग अलग अंदाज के लिए स्मरण किया गया .इस अवसर पर उनके प्रशंसकों ने उनकी कविताओ पर  चर्चा की .उन्हें बहुत ही आदर और  भाव भरे मन से स्मरण करते हुए शिक्षाविद पंडितनवीन शर्मा जी ने उनके साथ महाकाल की नगरी के कविसम्मेलन में उनकी शिरकत पर बात कीBannner 6x3 1 scaled 1

पंडित दीनानाथ व्यास स्मृति प्रतिष्ठा समिति द्वारा आज शिवमंगल सिंह  सुमन जी पर केन्द्रित एक आयोजन
पंडित दीनानाथ व्यास स्मृति प्रतिष्ठा समिति द्वारा आज शिवमंगल सिंह  सुमन जी पर केन्द्रित एक आयोजन

शिवमंगल जी सुमन का नाम आते ही महाकाल की नगरी मेरा जन्म स्थल याद आ जाता है मुझे  अपने विद्यार्थी जीवन ने उनसे कई बार मिलने का सौभाग्य मिला क्योकि वे पहले प्रोफेसर बाद ने प्राचार्य ओर उन्हें  कुलपति महाकाल की नगरी ने ही बनाया  ।मुझे उनका परिचय देने का अंदाज बहुत भाता था वे जब भी कवि सम्मेलन ने शिरकत करते तो अपना परिचय इन शब्दों में देते थे मैं  क्षिप्रा सा सरल तरल सा बहता हूँ । मैं  कालिदास की काव्य ऋचाएँ कहता हूं ।काल भी भय नही दिखला सकता मुझको में महाकाल की नगरी में रहता हूं।उनके समय मे होली की पूर्णिमा के दिन मालीपुरा में विराट कवि सम्मेलन होता था जिसमे समय के प्रख्यात कवि अपनी रचना पड़ने को लालायित रहते थे ।वे कविता पढ़ते हुए कहते थे.

कवि की अपनी सीमाएं है कहता जितना कह पाता है
कितना भी कह डाले, लेकिन-अनकहा अधिक रह जाता है।

शिवमंगल सुमन प्अरगतिशील विचारधार के थे वे अपनी कविताओं में समसामयिक मुद्दों पर चर्चा करते नजर आते हैं. उनकी रचनाओं में मजबूत आस्था और विश्वास का स्वर है-

हम पंछी उन्‍मुक्‍त गगन के
पिंजरबद्ध न गा पाएंगे,
कनक-तीलियों से टकराकर
पुलकित पंख टूट जाएंगे।

नीड़ न दो, चाहे टहनी का
आश्रय छिन्‍न-भिन्‍न कर डालो,
लेकिन पंख दिए हैं, तो
आकुल उड़ान में विघ्‍न न डालो।

मुझे साहित्य से लगाव होने के कारण मैं इस तरह के  हर आयोजन में जाता था ।कुलपति बनने के बाद भी उनसे संपर्क रहा ।एक बार कालिदास समारोह का उदघाटन था और हमारे विभाग प्रमुख का जन्मदिन था हम उन्हें आमंत्रित करने गए पहले तो उन्होंने असमर्थता प्रकट की पर साहब का नाम सुनकर कुछ समय के लिए आने का वादा किया लव बात उनकी सरलता का उदाहरण है ।वे हर व्यक्ति से ऐसे मिलते थे जैसे वे उनके परिवार का सदस्य है संस्मरण तो बहुत है पर में उनकी सरलता विद्वत्ता ओर मृदुभाषी को नमन करता हूँ ।शिवमंगल सुमन की कविताओं की अभिव्यंजनता भी कविता के सौन्दर्य का एक गुण है. साहित्यिक रचनाओं के माध्यम से सुमन जी खुद को एक प्रगतिशील कवि के रूप में ही प्रस्तुत करते  थे . सुमन जी की रचनाएं दलित, उत्पीड़ित, शोषित और बेसहारा मजदूर वर्ग के पक्ष में न केवल खड़ी नजर आती हैं बल्कि उनमें ऊर्जा का नया संचार करती हैं. उनके चरणों ने नमन करता  हूँ .

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नवीन शर्मा .

सेवा निवृत प्राचार्य ,इंदौर