Shivpuri Assembly Seat : क्या सिर्फ सिंधिया से मुकाबले के लिए केपी सिंह को पिछोर से हटाया!

बुआ की जगह भतीजे को भाजपा ने उतारा, क्या है कांग्रेस का गेम प्लान!

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Shivpuri Assembly Seat : क्या सिर्फ सिंधिया से मुकाबले के लिए केपी सिंह को पिछोर से हटाया!

Bhopal : ज्योतिरादित्य सिंधिया के विधानसभा चुनाव लड़ने पर असमंजस है। वे इंकार जरूर कर रहे, पर भाजपा ने अभी ऐसे कोई संकेत नहीं दिए। इससे पहले भी पार्टी ने 3 केंद्रीय मंत्री समेत 7 सांसदों को मैदान में उतारा तो उनसे पूछा नहीं गया था। इसलिए संभावना है कि सिंधिया से भी पूछा नहीं जाएगा। उनके शिवपुरी सीट से उम्मीदवार बनाए जाने के आसार हैं। लेकिन, कांग्रेस ने उनकी संभावित उम्मीदवारी देखकर शिवपुरी से भारी भरकम नेता केपी सिंह के नाम की घोषणा कर दी। वे पिछोर से 6 बार कांग्रेस से विधायक रहे हैं।

पिछोर से मौजूदा विधायक केपी सिंह की सीट कांग्रेस ने इसी रणनीति के तहत बदली है। उन्हें शिवपुरी से टिकट दिया गया कि वे ज्योतिरादित्य सिंधिया से मुकाबला करेंगे। उनकी सीट बदलना कांग्रेस के बड़े गेम प्लान का हिस्सा है। कांग्रेस को पता है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया से मुकाबला के लिए केपी सिंह की जरूरत है। सिंधिया के शिवपुरी से चुनाव लड़ने के कयास इसलिए लगाए जा रहे, क्योंकि इस सीट से उनकी बुआ यशोधरा राजे सिंधिया लम्बे समय से विधायक हैं। इस बार चुनाव लड़ने से इनकार कर चुकी हैं।

पिछोर से हटाने की एक और वजह
एक कारण यह भी माना माना जा रहा है कि पिछोर सीट से 30 साल से विधायक केपी सिंह की भाजपा ने मुश्किलें बढ़ा दी। भाजपा ने पहले ही पिछोर से प्रीतम लोधी को मैदान में उतार दिया। प्रीतम लोधी ने पिछले दो चुनाव लड़े और काफी कम अंतर से कांग्रेस से हारे। पिछोर सीट लोधी बहुल भी है। यहां करीब 40 हजार लोधी वोटर हैं। इस समीकरण पर ध्यान देते हुए भाजपा ने तीसरी बार भी प्रीतम लोधी पर भरोसा जताया है। इस बार पिछोर में केपी सिंह के खिलाफ एंटी इन्कम्बेंसी के आसार भी बन रहे हैं, जिस वजह से उनके हारने की आशंका के चलते कांग्रेस ने सीट बदल दी।

ये तय है कि भाजपा सिंधिया परिवार से ही किसी को यहां से टिकट देगी। यह संभावना जताते हुए राजनीतिक गलियारों में हलचल भी है। भाजपा इस बार एमपी और राजस्थान में कई सांसदों को विधायक का टिकट दे चुकी है। कांग्रेस भी जानती है कि अगर ज्योतिरादित्य सिंधिया शिवपुरी से लड़ते हैं, तो उन्हें हराने के लिए बड़े नेता की जरूरत होगी, इसलिए केपी सिंह को इस सीट से टिकट दिया गया।