मध्यप्रदेश में भाजपा में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और कांग्रेस में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ फिलहाल सर्वाधिक प्रभावशाली भूमिका में हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जहां मध्यप्रदेश में सर्वाधिक समय और सबसे ज्यादा चार बार के मुख्यमंत्री हैं, तो पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ केंद्र में लंबा कार्यकाल और महत्वपूर्ण विभागों के मंत्री रहने के बाद मध्यप्रदेश में 15 माह के मुख्यमंत्री और इससे कुछ ज्यादा महीने नेता प्रतिपक्ष रहने के बाद फिलहाल प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष हैं। महत्वपूर्ण बात यह है कि शिवराज जब 15 माह मुख्यमंत्री नहीं थे और अब मुख्यमंत्री रहते हुए भी परिश्रम की पराकाष्ठा का पर्याय हैं, तो दूसरी तरफ पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के हौंसले की बराबरी कोई नहीं कर सकता।
शिवराज जहां शुक्रवार को दिल्ली में एनडीए की राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रोपदी मुर्मू का नामांकन भरने में पहले प्रस्तावक बनते हैं, तो दोपहर में जबलपुर में कार्यक्रमों में शामिल और शाम को भोपाल के महापौर पद की उम्मीदवार मालती राय के पक्ष में चुनाव प्रचार करने में शामिल होकर उन्हें जिताने की अपील करते हैं। यह एक दिन का काम नहीं, बल्कि परिश्रम की यह पराकाष्ठा हर दिन की है। शनिवार को फिर छिंदवाड़ा पहुंचकर चुनाव प्रचार में जुट जाते हैं। तो दूसरी तरफ कमलनाथ हैं, जिनका हौसला उन्हें कभी हारने नहीं देता। जिनकी वजह से कांग्रेस संगठन प्रदेश में न केवल जिंदा है वरन लौटने की हुंकार भरने में भी नाथ देरी नहीं करते। 2018 विधानसभा चुनाव मतगणना के समय भी नाथ ने नौकरशाहों को चेताया था कि कल के बाद परसों भी आएगा। तो अब पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव में भी नाथ चेता रहे हैं कि 15 माह बाद फिर कांग्रेस सरकार आएगी। यह हौसला ही है कि जो हार स्वीकार करने की कभी हामी नहीं भरता। और वह जिंदादिली संग आगे बढ़ते जाते हैं।
जब नाथ शनिवार को फिर से सरकार बनाने का दावा कर रहे होंगे, तब शिवराज छिंदवाड़ा में नाथ को आइना दिखा रहे थे। शिवराज कह रहे थे कि संबल योजना फिर चालू और जितने नाम कट गए हैं सबकी सूची बना लो। सबके नाम जोड़ दिए जायेंगे, कोई वंचित नहीं रहेगा। तुमने काटने का काम किया लेकिन, मामा काटता नहीं है मामा जोड़ता है मैं, जोड़ने आया हूं। वो दिल तोड़ते हैं हम दिलों को जोड़ते हैं। कमलनाथ जी कितनी योजनाओं की बात करूं। कांग्रेस और कमलनाथ ने क्या किया। विकास की बात करते हैं, छिंदवाड़ा मॉडल….।
1600 करोड़ रुपए का माचागोरा डेम हमने बनाया। पीने का पानी माचागोरा डेम से आ रहा है। एक और सिंचाई कॉम्प्लेक्स बन रहा था और सिंचाई कॉम्प्लेक्स ऐसा कमाल का कि काम हुआ ही नहीं और पैसा पूरा निकाल गया। कहां चला गया वो पैसा…? जवाब तो देना पड़ेगा। मेडिकल कॉलेज 1600 करोड़ का बहुत बड़ा बन रहा था। ये 1600 करोड़ किस लिए, 1600 करोड़ इसलिए कि….. ठेकेदार…। हम लोग छिंदवाड़ा में साढ़े 700 करोड़ का बना रहें हैं जिसके लिए 1600 करोड़ स्वीकृत किए थे, साढ़े 700 करोड़ में, मैं बना कर दे दूंगा छिंदवाड़ा वालों चिंता मत करना। ये जनता का पैसा है इसलिए, ज्यादा पैसा स्वीकृत करो…. इधर उधर का कुछ निकल जाए। ये कोई छिंदवाड़ा मॉडल है, छिंदवाड़ा की जनता का अपमान करते हो। शिवराज के यह सब तंज कमलनाथ और उनकी कार्यशैली पर थे।
तो कमलनाथ हुंकार भर रहे हैं कि प्रशासन निष्पक्ष तरीके से निकाय और पंचायत चुनाव कराए, याद रहे 15 महीने बाद कांग्रेस सरकार बन रही है।प्रशासन तंत्र के कामकाज पर हर समय जनता की नजर रहती है। भाजपा सरकार अनैतिकता और सौदेबाजी की नींव पर खड़ी है, इससे नैतिकता की उम्मीद नहीं है। पूर्व मुख्यमंत्री एवं मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कमलनाथ ने बयान जारी कर कहा कि प्रशासनिक मशीनरी पर अनाधिकृत दबाव डालकर उसका दुरूपयोग किये जाने की सम्भावनाओं से इंकार नहीं किया जा सकता, परंतु मुझे विश्वास है कि मध्यप्रदेश की प्रशासनिक मशीनरी चुनावों को संवैधानिक मूल्यों का पालन करते हुए निष्पक्षता से सम्पन्न करायेगी। तो याद दिलाया कि कांग्रेस पार्टी जनता की आवाज पर काम कर रही है। अगले 15 महीनों में मध्यप्रदेश में परिवर्तन होने जा रहा है और कांग्रेस की सरकार प्रदेश की जनता के बीच आ रही है। सभी ध्यान रखें कि समय बदलता है और साथ उसी का दिया जाता है, जो सच्चाई के साथ मजबूती से खड़ा रहा हो।
हालांकि नाथ ने 28 उपचुनावों में भी हौसला दिखाया था और यहां तक कहा था कि उपचुनावों के बाद वही झंडा फहराएंगे। पर जनता नाथ की उम्मीदों पर खरी नहीं उतरी थी। 15 महीने बाद एक बार फिर यह बात साफ हो जाएगी कि जनता जनार्दन और मतदाता के मन में क्या है? पर नाथ के हौसले की बदौलत कांग्रेस कार्यकर्ताओं में निराशा घर नहीं कर पाती। वहीं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान हमेशा जनता की आवाज बनकर दिन-रात परिश्रम में भरोसा रखते हैं। सरकार में रहते हैं तब भी और 15 माह विपक्ष में रहे तब भी वह न केवल परिश्रम की पराकाष्ठा के मंत्र को चरितार्थ करते रहे, बल्कि उन्होंने खुलकर कहा कि हम प्रदेश की जनता के लिए जिएंगे और मरना भी पड़ा तो प्रदेश की जनता के लिए जान भी दे देंगे।