तीजा बाई, गंगाबाई, दोलू कोल और फरजाना से पत्रकारों की तरह रूबरू हुए शिवराज …

एक योजना का लाभ देकर पूछा कैसा है सरकार का पूरा कामकाज...

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मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान चौथी पारी में बिंदास अंदाज में संवाद कर आम जन के मन की बात से सरकार के कार्यों का रिपोर्ट कार्ड बना रहे हैं। “आम के आम और गुठलियों के दाम” की तर्ज पर शिवराज जब वर्चुअल संवाद करते हैं तो योजना विशेष की जानकारी तो हासिल करते ही हैं, साथ में सरकार की सभी योजनाओं का फीडबैक लेने से भी नहीं चूकते।

पत्रकारों की तरह तीखे सवाल और बिना जवाब लिए आगे न बढ़ने का तेवर लिए सरकार के पूरे कामकाज का हिसाब किताब लेना। प्रधानमंत्री आवास योजना के हितग्राहियों से वर्चुअल संवाद के दौरान मुख्यमंत्री इसी अंदाज में दिखे। आमजन को रोटी, कपड़ा, मकान के साथ बच्चों की पढ़ाई-लिखाई, दवा-इलाज का इंतजाम, राशन, सरकारी योजनाओं का लाभ और कहीं गड़बड़ तो नहीं है जैसा पूरा फीडबैक लेकर यह पूछना भी नहीं भूले कि सरकार के काम से खुश हैं या नहीं।

जहां पूरे देश में हिजाब पर कोहराम मचा है, वहीं मध्यप्रदेश में फरजाना बहन प्रधानमंत्री आवास योजना के हितग्राही के तौर पर मुख्यमंत्री से खुलकर बात भी करती हैं और बताती हैं कि गार्ड का काम कर वह परिवार की आजीविका चला रही हैं। दो बेटों रेहान व अयान की परवरिश कर रही हैं। रतलाम जिले की जावरा नगर परिषद की फरजाना न केवल मध्यप्रदेश की महिला सशक्तिकरण की प्रतीक हैं, बल्कि यह भी संदेश देती हैं कि वही व्यक्ति दंगे-फसाद का मोहरा बनते हैं जिन्हें जीवन में वास्तविक संघर्ष से दो-चार नहीं होना पड़ता है। शिवराज फरजाना की खुलकर तारीफ भी करते हैं तो आवास योजना के साथ दूसरी योजनाओं का फीडबैक भी लेते हैं।

धार जिले की बदनावर नगर परिषद की  तीजा बाई से संवाद करते हुए शिवराज राशन ठीक से मिल रहा या नहीं और पूरी मात्रा में समय पर मिलता है या नहीं, जैसे सवाल करते हैं। तो दूसरी योजनाओं का लाभ लेने की जानकारी लेने के साथ यह सवाल भी कि सरकार के काम से खुश हैं? और जब जवाब मिलता है कि सरकार बहुत अच्छा काम कर रही है, तब शिवराज मन ही मन खुद को यह दिलासा जरूर देते होंगे कि शिवराज तू सही दिशा में जा रहा है।

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अंत्योदय का लक्ष्य हासिल हो रहा है। तो मुख्यमंत्री तीजाबाई के बेटा-बहू और पोती को भी बधाई देना नहीं भुलते। और पूरी तौर पर अनौपचारिक होकर यह भी पूछ लेते हैं कि मकान की बाजार की कीमत तो लागत से बहुत ज्यादा है न। और फिर यह भी अपनत्व दिखाना नहीं भूलते कि धार आऊंंगा तो घर में खाना खाने भी आऊंगा। तीजाबाई का चेहरा खिल जाता है और जरूर आना कहकर अच्छा खाना खिलाने का भरोसा भी दिलाती हैं। अनूपपुर की जेतहरि नगर परिषद के दोलू कोल के मकान के लिए भूमिपूजन हो रहा है और सवाल-जवाब का वही सिलसिला शुरू होता है। दोलू बताते हैं कि एक एकड़ खेती है, उसी में गेहूं और दूसरी फसल लेते हैं,काम चल जाता है।

राशन समय पर मिल जाता है और एक लाख रुपए की पहली किश्त मिल गई है। जिसका उपयोग वह मकान बनाने में ही करेंगे। तो भिण्ड के महगाँव की  गंगाबाई बताती हैं कि उन्हें पहली किश्त का एक लाख रुपए मिल गया है। सवालों का सिलसिला शुरू होता है तो जवाब देती हैं कि उज्जवला का सिलेंडर मिल गया है, आयुष्मान कार्ड बन गया है, पेंशन भी मिलती है, राशन भी ठीक से मिल रहा है। संतोष की सांस लेते हुए शिवराज कहते हैं कि सरकार के काम से खुश हैं? तो गंगाबाई जवाब देती हैं कि बहुत खुश हैं। तब शिवराज के मन की बात सामने आती है कि प्रदेश में सभी के पास रोटी, कपड़ा और मकान, इलाज और आजीविका की व्यवस्था हो, यही भाजपा सरकार का लक्ष्य है।

चौथी पारी में शिवराज अपने उन सपनों में रंग भर रहे हैं, जहां पंडित दीनदयाल उपाध्याय की अंत्योदय की कल्पना मध्यप्रदेश में चरितार्थ हो सके। जब कमलनाथ चंबल में सरकार की आलोचना कर अगली बार प्रदेश में कांग्रेस की वापसी का जतन कर रहे थे, तब शिवराज कुशाभाऊ ठाकरे अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन केन्द्र में आवासों की सौगात देने के साथ सरकार के कामकाज का फीडबैक लेकर आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश बनाने का भरोसा जता रहे थे।

प्रधानमंत्री मोदी के पांच मंत्र, हर नगर राज्य के विकास का चेहरा बने,शहरों में जीवन जीना सभी के लिए आसान हो, हर नगरवासी को बेहतर से बेहतर जीवन की गुणवत्ता मिले, शहरों के आकार भले ही बढ़ जाएँ लेकिन असमानताएँ कम होना चाहिए और शहर ऐसा हो कि यहाँ गरीब से गरीब व्यक्ति को भी आत्म-सम्मान के साथ जीवन-यापन का अवसर उपलब्ध हो…को याद करते हुए भरोसा दिला रहे थे कि प्रधानमंत्री के इन मंत्रों पर राज्य सरकार कार्य कर रही है।

मुख्यमंत्री विश्वास व्यक्त कर रहे थे कि रोटी, कपड़ा और मकान, पढ़ाई-दवाई और रोजगार प्रत्येक व्यक्ति की आवश्यकता है। इन आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए राज्य सरकार प्राण-प्रण से कार्य कर रही है। निश्चित तौर से चौथी पारी चुनौती भरी है, क्योंकि लक्ष्य बड़े हैं। शिवराज भी पूरी ऊर्जा के साथ देशभक्ति जनसेवा के काम में जुटे हैं। जनता को योजनाओं का लाभ मुहैया करा रहे हैं तो सरकारी कामकाज का फीडबैक लेने का कोई मौका भी नहीं गंवा रहे हैं।