रंग लाई शिवराज की सोच और प्रयास…

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रंग लाई शिवराज की सोच और प्रयास…

मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री के बतौर शिवराज सिंह चौहान ने पौधरोपण की जो शुरुआत की थी, वह अब रंग ला रही थी।‌ तीन साल तक वह स्मार्ट सिटी पार्क में पौधरोपण करते रहे और जहां रहे वहां हर दिन पौधरोपण किया, पर अब जब वह मुख्यमंत्री नहीं है तब उन्होंने पौधरोपण करने के लिए और पुख्ता इंतजाम कर लिया है। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के प्रतिदिन पौधारोपण अभियान के तीन वर्ष पूर्ण होने पर आयोजित किया गया पर्यावरण सम्मेलन में शामिल हुए मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने कहा कि लंबे समय से वह शिवराज को अपना आदर्श मानते हैं और सरकार इस अभियान को आगे बढ़ाने में हर संभव सहयोग करेगी।मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि पौधरोपण के संबंध में स्थान तय करने और ट्री बैंक बनाने के सुझाव पर शीघ्र ही अधिकारियों से चर्चा करेंगे और इस दिशा में आगे बढ़ेंगे। दरअसल पर्यावरण सम्मेलन में शिवराज ने यह व्यावहारिक मदद मांगी थी कि पौधरोपण के लिए भोपाल में सरकारी जमीन की व्यवस्था हो तब पर्यावरण प्रेमी इस कार्य को आसानी से कर पाएंगे। सरकार द्वारा यह व्यवस्था करने पर पर्यावरण संरक्षण और पौधरोपण का यह अभियान नई ऊंचाइयों को छू सकेगा। शिवराज ने पर्यावरण सम्मेलन में विशेष दिवस पर पौधारोपण करने का संकल्प दिलाया तो हजारों लोगों ने जन्मदिन, शादी की सालगिरह और अपनों की स्मृति में पौधरोपण का भरोसा दिलाया। शिवराज सम्मेलन में पर्यावरण एंबेसडर की भूमिका में आ गए थे, तो हर व्यक्ति को प्रेरित करते रहे कि जीवन में अपने कार्य‌ के अलावा हर व्यक्ति को एक सामाजिक कार्य का निर्वाह अवश्य करना चाहिए।

शिवराजसिंह चौहान के यह उद्गार कि, हरे भरे जंगल को देखते हैं तो मन आनंद और प्रसन्नता से भर जाता है, क्योंकि पेड़ नहीं, जिंदगी रोपी है, जीवन रोपा है। पेड़ ही तो जीवन हैं जो हमें ऑक्सीजन देते हैं। जिससे हमें जिंदगी मिलती है। सही बात यह है कि विश्व का कल्याण हो यह भारत का मूल मंत्र है और विश्व का कल्याण तब होगा जब धरती सुरक्षित बचेगी और धरती सुरक्षित बचाने का सबसे बड़ा माध्यम है पौधारोपण। आध्यात्मिक शिवराज ने कहा कि धरती पर कोई भी खराब नहीं है। सब अपने हैं। उनकी बातें वहां उपस्थित जनसमुदाय के दिल को छूती रहीं।

 

सराहना तो सबकी मिलनी ही थी। आखिर शिवराज की सोच की बराबरी शायद ही किसी राजनेता के लिए कर पाना संभव हो। पौधारोपण के पश्चात प्रदेश अध्यक्ष व सांसद विष्णुदत्त शर्मा ने पूर्व मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान द्वारा प्रतिदिन पौधारोपण के सफलतम 3 वर्ष पूर्ण होने पर सराहा कि यह पहल पर्यावरण संरक्षण और मानव जाति के सुखद भविष्य के लिए महत्वपूर्ण कदम है। अपनी अत्यधिक व्यस्तताओं के बाद भी शिवराज का पौधारोपण का अटूट संकल्प समाज के लिए प्रेरणादायी है। पर्यावरण सम्मेलन में सम्मिलित हुए पदमश्री व पद्म विभूषण से सम्मानित विख्यात पर्यावरणविद् अनिल जोशी ने कहा कि, मैनें शिवराज सिंह चौहान के अंदर पर्यवारण के प्रति गंभीरता देखी तो मेरा भ्रम टूट गया कि एक राजनीतिज्ञ भी पर्यावरण के प्रति इतना गंभीर हो सकता है। उस वर्ग के बीच में उन्होंने लौ जगाकर एक उदाहरण दिया है। उन्होंने कहा कि, मैं पूर्व मुख्यमंत्री जैसे शब्द का प्रयोग नहीं करता, पूर्व तो पूर्व होता है आप तो पदों से ऊपर हैं, आपको तो मोक्ष प्राप्त हो चुका है, आपने प्रकृति के ऋण को उतार दिया है। हार्टफुलनेस संस्थान के प्रमुख कमलेश डी.पटेल “दाजी” ने पूर्व मुख्यमंत्री के इस अभियान और जीवन के मिशन को लेकर कहा कि, शिवराज जी को शुरू से ही पर्यावरण संरक्षण और पौधारोपण में रूचि रही है। उन्होंने कहा कि, शिवराज जी ने मुख्यमंत्री रहते एक पहाड़ी पर पौधारोपण के लिए जमीन दी थी, हमने तीन महीने में उसकी सूरत बदल दी और पौधारोपण की वजह से आसपास के गांवों को भरपूर पानी भी मिला। गीतकार समीर अंजान ने कहा कि, जब मुझे यह खबर मिली कि, हमारे शिवराज जी पौधारोपण का कार्यक्रम करते हैं और हर दिन एक पौधा लगाते हैं तो मुझे बहुत खुशी मिली। शिवराज जी कुछ ऐसे लोगों में से हैं जो इस विषय पर अपना ध्यान आकर्षित करते हैं। यह हमारा सौभाग्य है कि, पूर्व मुख्यमंत्री जी ने यह शुरूआत की है।

तो पूर्व मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि, चार प्रयास करना बेहद जरूरी है पहला.. हर किसी को साल में एक बार जन्मदिवस, वैवाहिक वर्षगांठ, अपनों की स्मृति या किसी भी विशेष दिन पौधा अवश्य लगाना चाहिए। दूसरा.. अपने घरों को सोलर पैनल से रोशन करने का प्रयास करें, शहर को ग्रीन एनर्जी में बदलने का प्रयास करें क्योंकि थर्मल पॉवर से पर्यावरण को खासा नुकसान पहुंचता हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी सोलर ग्रीन एनर्जी का संकल्प लिया है। तीसरा.. सिंगल यूज़ प्लास्टिक का इस्तेमाल नहीं करने के लिए खुद भी जागरूक हों और लोगों को भी जागरूक करें। चौथा.. बेटा-बेटी में कोई अंतर नहीं है इसलिए बेटियों को भी बेटों के बराबरी पर सम्मान मिले। बेटा-बेटी में कोई भेद न करें। उन्होंने कहा कि, बेटी है तो कल है। तो निश्चित तौर पर शिवराज के संकल्प के तीन साल पूरे होना अद्भुत है और उनकी सोच हमेशा मध्यप्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे देश को प्रेरणा देती रहेगी। वाकई शिवराज की सोच और प्रयास रंग लाई है…।