Shocking Collector transfers: Find out who jumped up the ranks and who is loop-lined: कहानी 2 IAS अधिकारियों की

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Shocking Collector transfers: Find out who jumped up the ranks and who is loop-lined: कहानी 2 IAS अधिकारियों की

Bhopal : भारतीय प्रशासनिक सेवा के हाल ही में हुए कई अधिकारियों के तबादला आदेशों में सबसे चौंकाने वाले आदेश इंदौर कलेक्टर मनीष सिंह और धार कलेक्टर डॉ पंकज जैन के थे। एक तरफ जहां मनीष सिंह को प्रमुख सचिव और सचिव स्तर के अधिकारी की जिम्मेदारी सौंपी गई, वहीं डॉ पंकज जैन को लूपलाइन में भेजकर जूनियर IAS वाली कुर्सी दी गई।

दरअसल, ये सरकार का मूल्यांकन है कि जिले में किस अफसर ने अपने दायित्वों को कितनी अच्छी तरह से निभाया। कहा जा सकता है कि मनीष सिंह को जनता में उनकी लोकप्रियता, काम की सजगता और तत्काल फैसलों का पुरस्कार मिला तो धार कलेक्टर डॉ पंकज जैन को उनके स्वभाव और जनता से जुड़कर न रहने की सजा मिली।

मनीष सिंह प्रबंध संचालक मध्य प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास निगम तथा प्रबध संचालक, मप्र मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड भोपाल बनाए गए हैं। बता दें कि देश के धाकड़ IAS अधिकारियों में शामिल एमपी राजन, एसआर मोहंती, पीके दाश भी सचिव स्तर की रैंक हासिल करने के बाद प्रबंध संचालक मध्य प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास निगम रहे हैं।

जहां तक मेट्रो कॉरपोरेशन लिमिटेड के एमडी के पद का सवाल है, यह आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए सरकार के लिए समय पर कराए जाने वाला महत्वपूर्ण कार्य है। मनीष सिंह के पहले इस पद पर प्रमुख सचिव स्तर के अधिकारी निकुंज श्रीवास्तव पदस्थ थे। तो यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि मनीष सिंह को उनकी कार्य कुशलता को देखते हुए प्रमुख सचिव और सचिव स्तर की जवाबदारी दी गई है।

Indore's Collector

इतना ही नहीं, इसके अलावा उन्हें इंदौर में होने वाले इन्वेस्टर्स समिट और प्रवासी भारतीय सम्मेलन का दायित्व भी सौंपा गया है।

बता दे कि कोरोना की पहली लहर के पहले सरकार ने मनीष सिंह को कलेक्टर बनाकर इंदौर भेजा था। उनके कार्यकाल में विधानसभा उपचुनाव, नगर निगम, पंचायत चुनाव हुए। विधानसभा चुनाव तक इंदौर में उनके 3 साल पूरे हो जाते, इसलिए उनका हटना लगभग तय माना जा रहा था। वैसे भी सरकार के दो प्रतिष्ठा प्रसंग इंदौर से जुड़े हुए हैं- प्रवासी भारतीय सम्मेलन और इन्वेस्टर समिट जो जनवरी माह में इंदौर में संपन्न होने वाले हैं। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शिरकत करेंगे। राष्ट्रपति के आने की भी चर्चा है। ऐसे में औद्योगिक घरानों से बेहतर संवाद स्थापित करने वाले और अनुभवी अधिकारी के रूप में मनीष सिंह से बढ़िया कोई चयन हो नहीं सकता था। मनीष सिंह सरीखे अनुभवी और व्यवहार कुशल अधिकारी का प्रॉपर उपयोग करके सरकार इस आयोजन की सफलता को सुनिश्चित मानकर चल रही है।
हालांकि यह मनीष सिंह के लिए एक चुनौती पूर्ण दायित्व भी है। यह तो आने वाला समय ही बताएगा कि मनीष सिंह इस दायित्व का निर्वहन किस प्रकार करते हैं।

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डॉ पंकज जैन को कम महत्व वाला पद
भारतीय प्रशासनिक सेवा में 2012 बैच के IAS अधिकारी धार कलेक्टर रहे डॉ पंकज जैन को प्रबंध संचालक, मप्र पब्लिक हेल्थ सर्विसेस कॉर्पोरेशन लिमिटेड भोपाल की जिम्मेदारी दी गई। जबकि, देखा जाए तो उनको जो पद सौंपा गया है, वो जूनियर स्तर के IAS का रहा है। बताते हैं कि जिस मेडिकल कारपोरेशन में पंकज जैन को भेजा गया है उसे कोई जानता तक नहीं है। यहां तक की भोपाल में रहने वाले कई प्रशासनिक अधिकारियों ने इस कॉरपोरेशन का नाम तक नहीं सुना है। माना जाता है कि इस कॉरपोरेशन में अभी तक मेडिकल से जुड़े विभाग के अधिकारियों को अतिरिक्त प्रभार दिया जाता रहा है या कोई जूनियर आईएएस अधिकारी यहां पदस्थ रहा है।

सूत्र बताते हैं कि जब मुख्यमंत्री ने उन्हें कलेक्टर विदिशा से धार का कलेक्टर बनाया था तो उनसे यह अपेक्षा की थी कि वे धार में बेहतर काम करेंगे। लेकिन माना जा सकता है कि वह मुख्यमंत्री की अपेक्षा पर खरे नहीं उतरे और शायद यही कारण था कि उन्हें उनकी वरिष्ठता के अनुरूप पद नहीं मिला। हां इतना जरूर है कि यह मानकर कि वे चूंकि डॉक्टर हैं इसलिए उन्हें डॉक्टरों से जुड़ा हुआ एक छोटे से कारपोरेशन का एमडी बना दिया गया।

धार के प्रशासनिक और सियासी हलकों में हमेशा यह चर्चा रही कि डॉक्टर पंकज जैन ने जनप्रतिनिधियों से तालमेल नहीं बनाया और जनता से भी वे जुड़कर नहीं रहे! जब भी उनकी चर्चा हुई, नकारात्मक बातों को लेकर ही हुई। इसीलिए मात्र 14 महीने के कार्यकाल में उन्हें धार से रुखसत होना पड़ा।

आधी नौकरी इंदौर में ही की
मनीष सिंह के तबादले के बाद इंदौर में इस बात की चर्चा रही कि उनका ज्यादातर समय इसी शहर में बीता। उन्होंने एसडीएम, एडीएम से लेकर निगम आयुक्त, आईडीए सीईओ से लेकर एकेवीएन एमडी और अब कलेक्टर तक की भूमिका निभाई। लेकिन, हर बार वे पहले से बड़ी जिम्मेदारी लेकर ही इंदौर लौटे।

अभी से यह मानकर चला जा सकता है कि जब वे सुपर टाइम स्केल में आएंगे तब इंदौर संभाग के कमिश्नर बनकर ही आयेंगे।हो सकता है इससे पहले ही सरकार उन्हें इंदौर का कमिश्नर बना दे क्योंकि आजकल सरकार सुपर टाइम के पहले ही IAS अधिकारियों को कमिश्नर पद से नवाज़ रही है। रीवा कमिश्नर अनिल सुचारी, हाल ही में ग्वालियर में पदस्थ दीपक सिंह के उदाहरण हमारे सामने है। वैसे मनीष सिंह को यानी 2009 बैच के IAS अधिकारियों को जनवरी 25 में सुपर टाइम मिलना सुनिश्चित है। सरकार चाहे तो इसके पहले भी यह कर सकती है।

1993 बैच के राज्य प्रशासनिक सेवा के अफसर बने मनीष सिंह को आईएएस अवार्ड होने के बाद भारतीय प्रशासनिक सेवा में 2009 बैच मिली है। करीब 30 साल में से आधे से अधिक समय तो उन्होंने इंदौर में ही सफलतापूर्वक विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया।

मनीष सिंह प्रदेश के बिरले IAS है जो न सिर्फ CM शिवराज सिंह चौहान वरन मुख्य सचिव के भी चहेते अफसर रहे है। और यह स्वाभाविक भी माना जा सकता है क्योंकि उन्हें जो भी जवाबदारी सौंपी गई उन्होंने बेहतर परिणाम दिए। वे मध्यप्रदेश के राज्य प्रशासनिक सेवा के एकमात्र ऐसे करिश्माई अधिकारी रहे हैं जो राज्य की राजधानी भोपाल नगर निगम के 2 बार और प्रदेश के सबसे बड़े शहर इंदौर के एक बार नगर निगम कमिश्नर रहे।इसे दुर्लभ उपलब्धि ही माना जाएगा कि जिन पदों पर आईएएस अधिकारी पदस्थ रहते आए हैं वहां पर राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी के तौर पर मनीष सिंह पदस्थ रहे और उन्होंने सफलतापूर्वक अपने काम को अंजाम दिया। दरअसल इंदौर को स्वच्छता की रैंकिंग में पहला स्थान छह साल पहले उनके निगम आयुक्त रहते हुए ही मिला था। उस वक्त वे IAS अधिकारी के रूप में नही वरन राज्य प्रशासनिक सेवा के वरिष्ठ अधिकारी के रूप में पदस्थ थे।

26 मार्च 2020 को वे इंदौर कलेक्टर बने। सिंह अब मेट्रो के काम के साथ एमपीएसआईडीसी में एमडी की भूमिका में रहेंगे। जनवरी में इंदौर इन्वेस्टर्स समिट होना है और अगले साल चुनाव से पहले सरकार ने मेट्रो ट्रेन के ट्रायल रन का लक्ष्य रखा है। ऐसे में मुख्यमंत्री ने दोनों विभागों की जिम्मेदारी उन्हें सौंपकर बता दिया कि बड़ी कुर्सी उसे ही मिलेगी, जो अच्छा काम करेगा और बेहतर परिणाम देगा!