Shop Boards : दुकानों के बोर्ड पर निगम का डंडा, दुकानदारों की बात नहीं मानी!
Indore : दुकानों पर लगे बोर्ड पर कंपनी के विज्ञापन लगाने के लिए बुधवार को मार्केट विभाग टेंडर निकाले। टेंडर के बाद विज्ञापन की साइज के मान से दुकान को शुल्क चुकाना होगा। एक माह पहले निगम के इस फरमान का व्यापारी वर्ग कड़ा विरोध जता चुका है, लेकिन निगम अपने फैसले पर अडिग रहा और सारे विरोधों को दरकिनार कर टेंडर की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
मार्केट विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक, जेंट्रीगेटर, यूनिपोल, शासकीय सम्पत्ति पर लगने वाले कंपनियों के विज्ञापन का शुल्क निगम वसूलता है। शुल्क की राशि निर्धारित समय सीमा के मान से वसूली जाती है। हर साल इस तरह के विज्ञापन के शुल्क को लेकर मेयर इन काउंसिल की बैठक में निर्णय लिया जाता है। इसी क्रम में अब दुकानों पर लगने वाले बाहरी कंपनियों के विज्ञापनों का शुल्क भी वसूला जाएगा। शुल्क वसूलने की प्रक्रिया पूर्व महापौर मालिनी गौड़ ने अपने कार्यकाल में निर्धारित की थी, लेकिन तब विरोध के स्वर मुखर नहीं हुए थे।
नए महापौर के कार्यकाल में जब इसकी फाइल सामने आई तो व्यापारी विरोध में उतर गए। व्यापारियों ने इसे तुगलकी फरमान बता दिया था। हालांकि, महापौर ने उन्हें आश्वस्त किया था कि शुल्क को लेकर किसी प्रकार से परेशान नहीं किया जाएगा। नियम के अनुसार ही टैक्स वसूलेंगे। व्यापारी हित को सर्वोपरि रखा जाएगा। टेंडर के बाद एक दिसम्बर से दुकानों के बोर्ड पर लगने वाले विज्ञापन की दर तय की जाएगी।
एमआईसी की बैठक
नगर निगम की नई महापौर परिषद की कार्यकारिणी की बैठक कल होगी। नई कार्यकारिणी की तीन माह के कार्यकाल में यह तीसरी बैठक है, जिसमें दुकानों के हार्डिंग जैसे पुराने लंबित प्रकरणों सहित कई प्रकरणों पर निर्णय लिया जाएगा। नै महापौर परिषद के कार्यकाल को 3 माह हो चुके हैं और 3 महीनों में महापौर परिषद की तीसरी मासिक बैठक गुरुवार को आयोजित की जाएगी। बैठक में जनकार्य, ड्रेनेज, उद्यान, जलकार्य, यातायात और हॉकर्स जोन जैसे कई महत्त्वपूर्ण कामों को स्वीकृति दी जाएगी।
संभावना है कि दीपावली के पहले विवादित हुए दुकानों के बाहर लगे 3 फीट से बड़े बोर्ड पर टैक्स वसूली के मुद्दे पर भी चर्चा की जाएगी। प्रदेश सरकार की नई विज्ञापन नीति के अनुसार दुकानों पर लगे 3 फीट से बड़े हार्डिंग पर टैक्स वसूला जाएगा। लेकिन, व्यापारियों द्वारा विरोध किए जाने के कारण इस पर नगर निगम कोई निर्णय नहीं ले सका। वही पिछली बैठक के प्रधानमंत्री आवास योजना के प्रस्ताव भी लंबित है। इस पर भी विचार हो सकता है।