Showcause Notice To Officers: कोर्ट केस में अवमानना रोकने कलेक्टर ने 200 अफसरों को थमाए शोकॉज नोटिस
भोपाल: न्यायालय के आदेश पर अमल नहीं करने के कारण मुख्य सचिव और प्रमुख सचिव स्तर के अफसरों को हाईकोर्ट में व्यक्तिगत तलब किए जाने के मामले में कलेक्टरों पर जिम्मेदारी तय करने के शासन के आदेश का असर अब दिखने लगा है। कई जिलों में कलेक्टरों ने शासन के आदेश के बाद लापरवाह अफसरों की मुश्कें कसने का काम किया है जिसके बाद अब कोर्ट में विभागों की ओर से समय पर जवाब पेश करने और वरिष्ठ अधिकारियों को तलब करने के मामले में कमी आई है। जीएडी भी इसको लेकर पूर्व में कई निर्देश जारी करने के साथ समय समय पर जिलों से रिपोर्ट तलब कर रहा है।
हाईकोर्ट में सबसे अधिक मामले राजस्व, स्वास्थ्य, पंचायत और ग्रामीण विकास तथा नगरीय विकास विभाग से संबंधित होते हैं। इन विभागों के कामकाज की समीक्षा तो समय समय पर होती है लेकिन कोर्ट में दर्ज होने वाले केस के जवाब देने के मामले में लापरवारी सामने आती रही है। इसलिए सरकार पिछले छह माह से इस मामले में सख्ती बरत रही है। जल संसाधन, पीडब्ल्यूडी, नगरीय विकास, खनिज साधन विभाग, राजस्व, पंचायत और ग्रामीण विकास समेत अन्य विभागों के अधिकारी शासन स्तर पर अवमानना के प्रकरणों की रिपोर्ट कलेक्टरों और जिला अधिकारियों से मंगा रहे हैं ताकि गंभीर मामलों में त्वरित कार्यवाही की जा सके।
रीवा कलेक्टर ने 200 अफसरों को थमा दिए शोकॉज नोटिस
राज्य शासन के निर्देश पर अमल के लिए रीवा कलेक्टर मनोज पुष्प ने सबसे पहले विभागीय अधिकारियों की बैठकें लीं और ऐसे मामलों में कार्यवाही करने के लिए कहा। इसके बाद भी सुधार नहीं हुआ तो पुष्प ने जिले के सभी संबंधित विभागों के ऐसे 200 अधिकारियों व कर्मचारियों को कारण बताओ नोटिस जारी कर जवाब मांगा जिन्होंने न्यायालयीन प्रकरणों में शासन का पक्ष प्रस्तुत नहीं किया था। कलेक्टर के नोटिस का असर हुआ और विभागीय अधिकारियों द्वारा उच्च न्यायालय में अपना विभागीय पक्ष रखने का काम शुरू किया गया। स्थिति यह है कि नवम्बर माह की स्थिति में रीवा जिले में विभिन्न विभागों के रिट पिटीशन वाले 487 न्यायालयीन प्रकरणों में शासन का पक्ष प्रस्तुत किया गया। साथ ही 75 अवमानना के प्रकरणों में जबावदावा प्रस्तुत कर दिया गया।