
Shri Krishna Pathey : श्री कृष्ण के ‘श्री कृष्ण पाथेय’ की खोज के लिए उज्जैन के विद्वान अमझेरा आए!
धार से छोटू शास्त्री की रिपोर्ट
Amjhera (Dhar)। जहां-जहां भगवान श्रीकृष्ण के चरण पड़े, उन स्थानों को तीर्थ के रूप मे विकसित करने कि योजना अब साकार हो रही है। प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव गत दिनों जन्माष्टमी पर इस अति प्राचीन अमका-झमका तीर्थ दर्शन पूजन के लिए पहुंचे थे। मुख्य्मंत्री यादव ने कहा था कि गोकुल, मथुरा कि तरह प्रदेश मे भी भगवान श्री कृष्ण जिन स्थानों पर पहुंचे है उन्हे बड़े तीर्थ के रूप मे सरकार विकसित करेगी। साथ ही श्री कृष्ण पाथेय बनाकर उन स्थानों को जोड़कर धार्मिक क्षेत्र मे एक नई पहल कि जा रही। इस उद्देश्य को लेकर अमका झमका मंदिर पर महाराज विक्रमादित्य शोधपीठ संस्कृति विभाग द्वारा श्रीकृष्ण पाथेय को लेकर एक परिचर्चा का आयोजन किया गया। परिचर्चा कि शुरुआत में उज्जैन से आए पुरातत्वविद, इतिहासकारों का अमका झमका विकास समिति के सदस्यों द्वारा अम्बिका माता का चित्र भेट कर एवं पुष्प माला, दुपट्टा पहनाकर स्वागत किया गया।
हरण नहीं वरण स्थल : डॉ रमण सोलंकी
परिचर्चा को सम्बोधित करते हुए पुरात्विद डॉ रमण सोलंकी ने बताया कि मंदिर की शैली एवं यहां परिसर में स्थित मूर्तियां हजारों वर्ष पूर्व की है। इन्हें सहेजने की आवश्यकता है। सोलंकी ने कहा कि भगवान श्री कृष्ण ने रुक्मणी का हरण नहीं उनका वरण किया था। हमें हरण नहीं वरण शब्द का उपयोग करना चाहिए। विक्रम विश्वविद्यालय कार्य परिषद सदस्य राजेश कुशवाहा ने कहा कि द्वापर काल में भगवान श्री कृष्ण जिन रास्तों से होकर गुजरे उस मार्ग को खोज कर विकसित करने की योजना है। प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने उत्तर प्रदेश, गुजरात, राजस्थान और मप्र के वे स्थान जहा से श्री कृष्ण गुजरे, उन सभी स्थानों का विशेष महत्व है जिसमे उज्जैन का नारायणा, जानापाव एवं अमझेरा सहित स्थानों को सरकार ने विकसित करने का संकल्प लिया है।

अश्विनी शोध संस्थान के निदेशक डॉ आरसी ठाकुर ने कहा कि हमारा जो गौरव पूर्ण इतिहास रहा है वो आने वाली पीढ़ी देखे और समझे इसको लेकर हमे कार्य करना चाहिए। साथ ही यह स्थान महत्वपूर्ण है हम सबको मिलकर इसका प्रचार कर यहां आने वाले पर्यटकों एवं दर्शनार्थियों के लिए क्या क्या सुविधाएं होना चाहिए इन पर विचार करने कि आवश्यकता है।
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परिचर्चा को डॉ अजय शर्मा, हेमंत शर्मा ने भी संबोधित किया। संचालन तिलकराज सोलंकी एवं आभार राजेंद्र कुमार शर्मा ने माना। इस दौरान एसडीओ पी विश्वदीप सिह परिहार, टीआई राजू मकवाना समिति के अध्यक्ष प्रकाश राठौड़, शिवा मकवाना, अर्पित शर्मा, सुमित पंडित, निशित पंडित आदि मौजूद थे।
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