इटारसी। भारतीय संस्कृति की मर्यादा के महाकुंभ, भगवान श्री राम विवाह संग निःशुल्क सामूहिक विवाह का देश भर में अनूठा ऐतिहासिक आयोजन 28 नवंबर को इटारसी की धरा पर 38 वें वर्ष में होने जा रहा है। श्री देवल मंदिर काली समिति द्वारा पिछले 37 वर्षो से राम विवाह एवं निशुल्क विवाह सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है। 28 नवम्बर,सोमवार को भगवान राम एवं माता सीता के साथ 20 जोड़ों का विवाह हिन्दू रीति से संपन्न कराया जाएगा। रविवार को विवाह समारोह के तहत जनकपुरी बने श्री देवल मंदिर में भगवान राम का मंडप पूजन कराया गया, साथ में भगवान सत्यनारायण की कथा, हल्दी समेत अन्य वैवाहिक कार्यक्रम हुए।
मंडप के मौके पर महिलाओं ने ढोलक मंजीरे की धुन पर बधाई एवं मंगल गीत गाकर भगवान के मंडप पूजन की खुशियां मनाईं। प्रसाद वितरण किया गया। पंडित बलराम तिवारी, रामानंद शर्मा ने मंडप पूजन कराया। देवल मंदिर काली समिति के सदस्य जयप्रकाश करिया पटेल एवं अन्य साधु संतों की मौजूदगी में कथा भी हुई। मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम का विवाह श्री पंचमी पर हुआ था, इसे विवाह पंचमी भी कहते हैं। ज्ञात रहे कि इस पंचमी पर रामलला की जन्मस्थली अयोध्या, बुंदेलखंड के अयोध्या कहे जाने वाले ओरछा और इटारसी में श्री देवल मंदिर काली समिति द्वारा श्री राम विवाह एवं निशुल्क श्री राम विवाह का आयोजन परंपरानुसार हो रहा है।
28 नवंबर को भगवान राम की विशाल बारात द्वारकाधीश बड़ा मंदिर से निकाली जाएगी। बारात मार्ग पर जगह-जगह स्वागत द्वार, तोरण एवं रंग-बिरंगी रोशनी की साज-सज्जा की गई है। पुरानी इटारसी को जनकपुरी के रूप में दुल्हन की तरह सजाया जा रहा है। सोमवार 28 नवबंर को गोधूलि बेला में श्री द्वारिकाधीश मंदिर से शाम 6 बजे श्री राम जी की बारात पुरानी इटारसी के देवल मंदिर जनकपुरी के लिए प्रस्थान करेगी। रात 12 बजे पाणिग्रहण संस्कार होगा।
कार्यक्रम में मप्र के अलावा दूसरे राज्यों से साधु-संतों का आगमन होने लगा है। वर-वधु दोनों पक्षों के स्वजन भी मंदिर में पहुंच रहे हैं। हजारों लोगों का भंडारा होगा, इसके लिए भी तैयारियां प्रारंभ हैं। पूरा मंदिर और पुरानी इटारसी उल्लास और उमंग में डूबी हुई है।
ज्ञात रहे कि यह
श्री राम विवाह उत्सव सात दिवसीय होता है। कार्यक्रम में रामलीला मंचन, सुंदरकांड, अखंड सीताराम कीर्तन, रामसत्ता, कन्या भोज, भंडारा, आध्यात्मिक देवी जागरण जैसे आयोजन होंगे। रात 10 बजे बारात स्वागत, रात 11 बजे वरमाला, रात 12 बजे पाणिग्रहण संस्कार होगा। 29 नवबंर की सुबह 7 बजे विदाई समारोह होगा। कुरीतियों का खात्मा कर गरीब परिवारों की बेटियों का सामूहिक विवाह पिछले 37 सालों से हो रहा है।
भगवान राम की करीब 3 किमी. लंबी बारात में हाथी, घोड़े, बग्गी, दिलदिल घोड़ी, अखाड़े, रामसखियां, बैंड पार्टियां आकर्षण का केन्द्र रहती हैं। एक बग्गी में राम दरबार सजाया जाता है, साथ में सभी दूल्हे राजा बारात लेकर जनकपुरी देवल मंदिर बारात लेकर पहुंचते हैं। यहां राजा राम और बारात की अगवानी होती है। मंडप में नवयुगल भगवान राम एवं सीता के साथ एक ही मंडप में फेरे लेते हैं। इस अनूठे आयोजन में देश भर के अखाड़ों से जुड़े साधु-संत एवं विद्वान शामिल होते हैं। इस परंपरा की शुरूआत महंत पं. दामोदर प्रसाद शर्मा ने कराई थी। पूरे आयोजन की बागडोर करिया पटेल एवं युवाओं की टीम संभालती है। हर गांव-शहर के लोग इस आयोजन में सहभागी बनते हैं। गांव-गांव से भंडारे के लिए अनाज एवं दानराशि एकत्र की जाती है, सरकारी सहयोग के बिना पूरा कार्यक्रम होता है, समिति नव दंपत्ति को पूरी गृहस्थी का सामान, उपहार एवं जेवरात सभी जोड़ों को भेंट करती है।