
श्रृंगेश्वर धाम: माही-मधुकन्या संगम पर लगेगी आस्था की डुबकी
– राजेश जयंत
मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले में स्थित श्रृंगेश्वर धाम, माही और मधुकन्या नदियों के संगम पर बसा एक प्राचीन तीर्थ स्थल है। गुरु पूर्णिमा और श्रावण सोमवार जैसे पावन अवसरों पर यहां हजारों श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाने पहुंचते हैं। श्रद्धालुओं की सुरक्षा और सुविधा को ध्यान में रखते हुए जिला प्रशासन ने व्यापक तैयारियां की हैं। कलेक्टर नेहा मीना और एसपी पद्म विलोचन शुक्ल ने स्वयं स्थल पर पहुंचकर सुरक्षा व्यवस्था का गहन निरीक्षण किया, जिससे यह पर्व शांतिपूर्ण और सुरक्षित ढंग से संपन्न हो सके। यह स्थान प्राकृतिक सुंदरता, पौराणिक मान्यताओं और गुरु-शिष्य परंपरा के लिए प्रसिद्ध है।
*धार्मिक महत्व और गुरु परंपरा*
श्रृंगेश्वर धाम का नाम ऋषि श्रृंगी से जुड़ा है, जिनके बारे में मान्यता है कि माही नदी में स्नान करने से उनके सिर के सींग गल गए थे। यहां गुरु पूर्णिमा पर गुरु-शिष्य परंपरा का भव्य उत्सव मनाया जाता है, जिसमें श्रद्धालु अपने गुरु का पूजन, आशीर्वाद और सेवा करते हैं। स्थानीय संतों और महंतों की परंपरा आज भी यहां जीवित है, जो साधना और सेवा का संदेश देती है।

*माही-मधुकन्या संगम की महिमा*
माही नदी का उद्गम धार जिले से होता है और मधुकन्या के साथ इसका संगम धार्मिक दृष्टि से अत्यंत पुण्यकारी माना जाता है। स्कंद पुराण में भी यहां स्नान, दान और जप का विशेष महत्व बताया गया है। गुरु पूर्णिमा, श्रावण सोमवार और शिवरात्रि पर विशेष धार्मिक आयोजन होते हैं, और यहां का शिवलिंग श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र है।

*प्रशासन की तैयारियां और सुरक्षा प्रबंध*
इस वर्ष कलेक्टर नेहा मीना और पुलिस अधीक्षक पद्म विलोचन शुक्ल ने खुद श्रृंगेश्वर धाम पहुंचकर तैयारियों का गहन निरीक्षण किया।
– नदी किनारों को बाँस-बल्ली से सुरक्षित किया गया है, और स्नान के लिए कम गहरे स्थान चिन्हित किए गए हैं।
– 40 कोटवारों की ड्यूटी, एसडीईआरएफ टीम और कुशल गोताखोर तैनात हैं।
– सूचना के लिए बैनर, अतिरिक्त बैरीकेडिंग, पटवारियों की ड्यूटी, नाविकों की मदद और सेण्ट्रल अनाउंसमेंट सिस्टम की व्यवस्था की गई है।
– 15 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए स्नान की अलग व्यवस्था नवनिर्मित कुण्ड में की गई है।
– पुलिस ने सभी महत्वपूर्ण स्थानों पर ड्यूटी लगाई और आपदा प्रबंधन के लिए सतर्कता के निर्देश दिए।

*आधुनिक विकास और भविष्य*
श्रृंगेश्वर धाम को धार्मिक पर्यटन के रूप में विकसित किया जा रहा है। सिंहस्थ 2028 को ध्यान में रखते हुए यहां शिवलिंग टूरिस्ट सर्किट, गार्डन, बैठने की व्यवस्था और सुरक्षा रैलिंग जैसी सुविधाएं विकसित की जा रही हैं।
श्रृंगेश्वर धाम न केवल आस्था, गुरु परंपरा और पौराणिकता का प्रतीक है, बल्कि प्रशासन की सतर्कता और आधुनिक व्यवस्थाओं के कारण भी श्रद्धालुओं के लिए सुरक्षित और आकर्षक बना हुआ है। यहां हर श्रद्धालु को शांति, शक्ति और आध्यात्मिक ऊर्जा का अनुभव मिलता है।





