New Delhi : कोरोना काल में लोगों ने अपनी प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए डॉक्टरों की सलाह के बिना गिलोय के खूब कैप्सूल खाए, अब वे नुकसान से रहे हैं। इससे कई लोगों के पेट में खून के थक्के बन गए और लीवर फंक्शन बिगड़ गया है। एक शोध में इसकी पुष्टि हुई है।
आईएमए सीजीपी के रिफ्रेशर कोर्स मे हैदराबाद के डॉ संदीप लखटकिया ने कहा कि एंडोस्कोपिक अल्ट्रासाउंड से पेट में छुपे रोगों को आसानी से पकड़ा जा सकता है।
पेट और आंतों के ट्यूमर, पैनक्रियाइटिस व पथरी का भी पता लगा सकते हैं, उसी समय उसे हटाया भी जा सकता है।
बड़ी आंत 28 व छोटी आंत 15 फीट लंबी होती है।
इसकी गड़बड़ी भी एंडोस्कोपिक अल्ट्रासाउंड से पकड़ सकते हैं। यह ट्यूमर और गैस्ट्रो जिजनास्टमी में भी कारगर है। पित्त की नली में पथरी चिपकने पर निकालना संभव है।
लखनऊ के डॉ राजेन्द्र वी फड़के ने बताया कि इंटरवेंशनल रेडियोलाजी ने मरीजों में रोग की जटिलाओं को काफी हद तक कम किया है।
जनरल सर्जरी की तुलना में अल्ट्रासाउंड गाइडेड, सीआर्म गाइडेड, सीटी व एमआरआई गाइडेड इंटरवेंशन के जरिए जोखिम और दर्द होता है।
उन्होंने कहा कि अब इंटरवेंशनल रेडियोलाजिस्ट एंजियोप्लास्टी, स्टंटिंग, जलोदर टैप, पित्त फ्लूड निकालना, बर्सल इंजेक्शन लगाना भी संभव है। इमेज गाइडेड लीवर बायोप्सी भी आसानी से की जा सकती है।