Signs of Life on This Planet : हम ब्रह्मांड में अकेले नहीं, इस ग्रह पर भी जीवन के चिन्ह मिले, खोजने वाला भी भारतीय वैज्ञानिक!

जानिए, वह ग्रह कौनसा है और वहां ऐसा क्या मिला जिसने वैज्ञानिकों को उत्साहित किया!

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Signs of Life on This Planet : हम ब्रह्मांड में अकेले नहीं, इस ग्रह पर भी जीवन के चिन्ह मिले, खोजने वाला भी भारतीय वैज्ञानिक!

London : पृथ्वी से सात सौ ट्रिलियन मील दूर स्थित ग्रह के2-18बी पर जीवन के संकेत मिले हैं। कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के भारतीय वैज्ञानिक निक्कू मधुसूदन ने दावा किया है कि इस ग्रह के वायुमंडल में ऐसे रसायन मिले, जो सिर्फ जीवित जीवों द्वारा ही उत्पन्न होते हैं। हालांकि, अभी इसकी पुष्टि होना बाकी है। यह खोज ब्रह्मांड में जीवन की संभावनाओं के नए दरवाजे खोल सकती है।

सदियों से इंसान इस सवाल से जूझता आया है कि क्या हम इस ब्रह्मांड में अकेले हैं? अब इस रहस्य पर से पर्दा उठता नजर आ रहा है। वैज्ञानिकों को पृथ्वी से 700 ट्रिलियन मील दूर स्थित एक ग्रह के2-18बी नाम के ग्रह पर ऐसे संकेत मिले, जो जीवन की संभावनाओं की ओर इशारा करते हैं। यह ग्रह पृथ्वी से ढाई गुना बड़ा है। इसके वातावरण की जांच कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों की टीम कर रही है।

के2-18बी के वायुमंडल में वैज्ञानिकों को डाइमिथाइल सल्फाइड और डाइमिथाइल डाइसल्फाइड जैसे केमिकल एलिमेंट्स मिले, जो आमतौर पर पृथ्वी पर केवल जीवित जीवों, जैसे फाइटोप्लांकटन और बैक्टीरिया, द्वारा उत्पन्न किए जाते हैं। अभी इन संकेतों को अंतिम प्रमाण नहीं माना जा सकता। लेकिन, प्रमुख रिसर्चर प्रोफेसर निक्कू मधुसूदन का मानना है कि अगले एक या दो सालों में यह साबित किया जा सकेगा कि के2-18बी पर जीवन की मौजूदगी संभव है।

महासागर होने का भी संकेत मिला

इस ग्रह के वायुमंडल में अमोनिया की अनुपस्थिति ने भी वैज्ञानिकों का ध्यान खींचा है। वैज्ञानिक मानते हैं कि के2-18बी पर एक विशाल महासागर हो सकता है, जो अमोनिया को सोख रहा है। अमोनिया का पाया जाना आमतौर पर जीवन के लिए अहम संकेत होता है, इसलिए इसकी कमी से यह संभावना और मजबूत होती है कि ग्रह पर समुद्र जैसी जीवनदायी संरचना हो सकती है। हालांकि, यह भी संभव है कि सतह के नीचे लावा का महासागर हो, जो जीवन के लिए प्रतिकूल होगा।

सटीक जानकारी जुटाने की कोशिश

वैज्ञानिकों को के2-18बी के वायुमंडल से अब तक ‘तीन-सिग्मा’ स्तर की पुष्टि मिली है। ‘सिग्मा’ वैज्ञानिक सटीकता को मापने का मानक है। आमतौर पर किसी खोज को पुख्ता कहने के लिए ‘पांच-सिग्मा’ की आवश्यकता होती है। हालांकि, तीन-सिग्मा स्तर पर मिले संकेत इस दिशा में एक बड़ा कदम हैं, लेकिन वैज्ञानिक समुदाय को पूर्ण रूप से आश्वस्त करने के लिए अभी और सटीकता की दरकार है।

प्रो निक्कू मधुसूदन का कहना है कि अगर के2-18बी पर जीवन पाया जाता है, तो यह केवल एक ग्रह की कहानी नहीं होगी। बल्कि, इससे पूरे ब्रह्मांड में जीवन की व्यापक संभावनाएं उजागर हो जाएंगी। यह खोज न केवल विज्ञान की दृष्टि से बल्कि मानवता के भविष्य की समझ के लिए भी ऐतिहासिक मानी जाएगी।