Silver Screen: छोटे परदे पर अपराध कथाएं सबसे ज्यादा बिकाऊ मसाला!

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Silver Screen: छोटे परदे पर अपराध कथाएं सबसे ज्यादा बिकाऊ मसाला!

जिस तरह दूसरे बाजार हैं, उसी तरह मनोरंजन का भी एक बड़ा बाजार है। जब से छोटे परदे की अहमियत बढ़ी है, ये बाजार और ज्यादा फल-फूल गया। इसी बाजार का एक प्रमुख आइटम है ‘अपराध।’ समाज में घटने वाली सामान्य आपराधिक घटनाओं को सनसनी बनाकर पेश करने में छोटे परदे को महारत हासिल कर ली है! जब टीवी पर ख़बरों की दुनिया का विस्तार हुआ, तब अपराध से जुडी ख़बरों को इतनी ज्यादा अहमियत नहीं थी! लेकिन, धीरे-धीरे जब अपराध की ख़बरें बिकाऊ माल लगने लगी, तो इन पर कार्यक्रम बनने लगे! ख़बरों में भी हिंसा वाली घटनाओं का हिस्सा अलग दिखाया जाने लगा! जब चैनल वालों का इस पर भी मन नहीं भरा तो अपराधिक ख़बरों को नए कलेवर में स्टोरी बनाकर पेश किया जाने लगा! जुर्म, सनसनी, डायल 100, क्राइम रिपोर्टर, क्रिमिनल, दास्ताने-जुर्म और एसीपी अर्जुन जैसे कई कार्यक्रम न्यूज़ चैनलों पर आने लगे। ऐसा भी समय आया भी था, जब रिमोट पर किसी भी खबरिया चैनल का बटन दबाओ देखने को ‘क्राइम न्यूज़’ ही मिलती थी! जब इसी छोटे परदे और मोबाइल स्क्रीन पर ‘ओटीटी’ आया तो इस पर अपराध ही सबसे ज्यादा दिखाया जाने लगा और उसके दर्शक बढे। आज ओटीटी पर सबसे ज्यादा लोकप्रिय सीरीजों में अपराध से जुड़ी कथाएं ही हैं।

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वास्तव में तो जब से ओटीटी आया, तब से अपराध आधारित वेब सीरीज की बाढ़ सी आ गई। बड़े परदे के बड़े फ़िल्मकार भी कोई न कोई अपराध कथा लेकर ओटीटी पर हाजिर दिखाई देते हैं। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि अच्छी अपराध कथाएं अपनी स्टोरी लाइन की वजह से देखने वाले को हिलने नहीं देती। एक एपिसोड देखने का टाइम निकालने वाले दर्शक भी स्टोरी की रोचकता को देखकर आगे के एपिसोड देखने का लोभ छोड़ नहीं पाते और उलझे रहते हैं। सस्पेंस और ट्विस्ट एंड टर्न एलिमेंट्स वाले अपराध वाले शो के सबसे ज्यादा पॉपुलर होने का कारण यही है, कि उनमें दर्शकों को बांधने की क्षमता होती है। ओटीटी के लगभग सभी प्लेटफॉर्म पर अपराधों से जुड़ी वेब सीरीज की भरमार है। .

सबसे ज्यादा पसंद की जाने वाली अपराध कथाओं में ‘पाताल लोक’ मानी जाती है, जो एक खूंखार अपराधी की कहानी है। इस क्राइम और सस्पेंस ड्रामा सीरीज में एक अलग ही लेवल का अपराध दिखाया गया। कहानी का मुख्य पात्र हथौड़ा त्यागी नाम का एक बदमाश होता है, जो लोगों को हथौड़े से मारने के लिए जाना जाता है। वहीं, दूसरी ओर जयदीप अहलावत इंस्पेक्टर हाथी राम की भूमिका में है। हथौड़ा त्यागी के किरदार में एक्टर अभिषेक बनर्जी की एक्टिंग देखने वाले को भी भयभीत कर देती है। ऐसी ही एक वेब सीरीज है ‘मिर्जापुर’ जिसने ओटीटी के दर्शकों की संख्या बढ़ाई थी। उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल क्षेत्र के जघन्य अपराधों को दर्शाती ये सीरीज अद्भुत साबित हुई। अब तक इसके दो सीजन ‘मिर्जापुर’ और ‘मिर्जापुर-2’ आ गए। अगले सीजन का दर्शकों इंतजार है। यह सीरीज पूर्वांचल के बाहुबली अखंडानंद त्रिपाठी और दो नए जांबाज लड़कों गुड्डू और बबलू की कहानी है।

ऐसी ही एक अपराध सीरीज ‘रक्तांचल’ है जिसकी कहानी अपराध और राजनीति के इर्द-गिर्द घूमती है। यह वेब सीरीज उत्तर प्रदेश में 90 के दशक में चल रही राजनीतिक और आपराधिक हलचल को दर्शाती है। रक्तांचल एक ऐसे लड़के की कहानी है जो अपने पिता की हत्या का बदला लेने के लिए अपराध की दुनिया में कदम रखता है। अपराध की दुनिया में वह इतना आगे बढ़ जाता है कि फिर उसका वापस आना संभव नहीं होता। वह अपनों से भी कई बार ठगा जाता है। उसका सबसे बड़ा दुश्मन उसे मारने के लिए पूरी ताकत लगा देता है। लेकिन, वह एक बार फिर वापसी कर उसे कड़ी टक्कर देता है। सीरीज में यह भी दिखाया गया है कि किस तरह अपराध और सियासत की सांठगांठ चलती है। सीरीज के दो सीजन आ चुके हैं।

बिहार के राजनीतिक और आपराधिक पृष्ठभूमि को दर्शाती वेब सीरीज ‘रंगबाज’ में सियासत और क्राइम का गठजोड़ दिखाया गया है। बताया गया कि किस तरह एक बाहुबली के आगे पूरा सिस्टम चरमरा जाता है। वह कई हत्याओं गुनाहों में शामिल है। लेकिन, उसके खिलाफ न कोई गवाही देता है और न कोई सबूत मिलता है। बताया जाता है कि ये सीरीज बिहार की राजनीति और अपराध की सच्ची घटनाओं से प्रेरित है। ओटीटी पर सिर्फ अपराध ही नहीं बिकता, इसकी आड़ में पुलिस की सक्रियता भी दर्शकों की पसंद है। ‘दिल्ली क्राइम’ के दो सीजन पसंद किए जाने का कारण यही है, कि इसमें अपराध के साथ पुलिस को भी उसी तरह सक्रिय बताया गया। शेफाली शाह, रसिका दुग्गल और राजेश तैलंग की इस वेब सीरीज ने दुनियाभर में काफी लोकप्रियता हासिल की। पहले सीजन में ‘निर्भया रेप केस’ जैसी जघन्य अपराध की कहानी दिखाई गई, तो सीजन 2 में एक और थ्रिलिंग क्राइम स्टोरी को दिखाया गया. जिसने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था। ‘सीजन-2’ में 2013 के कच्छा-बनियान गिरोह की रियल लाइफ घटना बयां की गई थी जो बुजुर्गों को निशाना बनाते थे और उन्हें बेरहमी से मार डालते थे। एक वेब सीरीज ‘रुद्र: द एज ऑफ डार्कनेस’ से एक्टर अजय देवगन ने ओटीटी डेब्यू किया था। ये सीरीज भी काफी पसंद की गई। ये शो ब्रिटिश सीरीज लूथर की रीमेक है और 2022 में रिलीज हुए सबसे अच्छे क्राइम शो में से एक रही। मुंबई पुलिस की स्पेशल क्राइम यूनिट पर आधारित यह शो डीसीपी रुद्रवीर सिंह के इर्द-गिर्द घूमता है, जिन्हें जटिल मामलों को सुलझाने के लिए जाना जाता है।

इससे पहले यही दौर मनोरंजन के टीवी चैनलों पर था। सोनी-टीवी पर ‘सीआईडी’ सीरियल 19 साल तक चला। ये शो इस चैनल के सबसे लोकप्रिय शो में से एक रहा। इसी चैनल पर ‘क्राइम पेट्रोल’ भी समाज में घटे अपराधों के नाट्य रूपांतरण वाला शो रहा, जिसे दर्शकों काफी सराहा। इन शो की टीआरपी अन्य शो से कहीं बेहतर देखी गई। वास्तव में इस तरह के टीवी शो की शुरुआत 1997 में सुहैब इलियासी ने की थी! वे सबसे पहले ‘इंडियाज मोस्ट वांटेड’ शो लेकर आए। उन्हें टीवी पर ऐसा क्राइम शो बनाने की प्रेरणा लंदन के चैनल-फोर पर दिखाए जाने वाले शो से मिली थी। भारतीय दर्शकों में ये टीवी शो बेहद लोकप्रिय हुआ था। ‘इंडियाज मोस्ट वांटेड’ का हर एपिसोड किसी एक फरार ‘मोस्ट वांटेड’ अपराधी पर होता था! अपराधी की वास्तविक तस्वीर के साथ उस कारनामे की कहानी को नाट्य रूपांतरण बनाकर दिखाया जाता था! तब इस शो की लोकप्रियता का आलम ये था, कि कई बड़े फरार अपराधी दर्शकों की मदद से दबोच लिए गए! यही टीवी शो बाद में ‘फ्यूजिटिव मोस्ट वांटेड’ नाम से ‘दूरदर्शन’ के परदे पर भी दिखाया गया।

धीरे-धीरे छोटे परदे के ये क्राइम शो इतने लोकप्रिय हो गए कि इनका एक अलग दर्शक वर्ग तैयार हो गया! ये क्राइम शो हॉरर मूवी जैसा कथा संसार रचते थे। इन शो को देखने का जूनून कुछ वैसा ही था जैसा कभी अपराध पत्रिकाएं ‘मनोहर कहानियां’ और ‘सत्यकथा’ पढ़कर लोग पूरा करते थे। जब अन्य मनोरंजन चैनलों पर सास, बहू मार्का सीरियलों की धूम थी, तब ‘सोनी-टीवी’ पर ‘सीआईडी’ ने अपनी धाक जमाई! मनगढ़ंत अपराध कथाओं की गुत्थी को नाटकीय तरीके से सुलझाने वाली एससीपी प्रद्युम्न की टीम को इतना पसंद किया गया कि ये सीरियल 19 साल तक चलता रहा। ‘सोनी’ के ‘क्राइम पेट्रोल’ में भी अपराधों की चीरफाड़ की जाती है, ताकि दर्शक अपराधी की मानसिक स्थिति को भी समझ सकें!

सवाल उठता है कि क्या अपराधियों को ग्लैमराइज तरीके से पेश किया जाना जरूरी है? जब लोग टीवी पर समाज में घटने वाले अपराध को सिर्फ खबर की तरह देखना चाहते हैं, तो उसे बढ़ा-चढ़ाकर क्यों दिखाया जाता है? ख़बरों में अपराध, मनोरंजन में अपराध के बाद फिर अपराधों का नाट्य रूपांतरण! मनोरंजन चैनलों पर तो इस तरह के शो बार-बार रिपीट किए जाते हैं! दर्शाया ये जाता है कि लोग इस तरह की ख़बरों से सीख लेकर सजग रहें! जबकि, वास्तव में ऐसा होता कहां है? बल्कि, इस तरह के शो से अपराधिक लोगों ने जरूर सीख लेना शुरू कर दी! वे पुलिस कार्रवाई को भी समझने लगे और क़ानूनी दांव पेंचों को भी! इससे ये बात भी साबित हो गई कि अपराध सबसे ज्यादा बिकने वाला विषय है! फिर उसे अखबारों में अपराध कथाओं की तरह पेश किया जाए! पत्रिकाओं में सत्यकथा बनाकर या फिर टीवी की ख़बरों में क्राइम रिपोर्ट बनाकर! पर सबसे ज्यादा घातक है अपराध का मनोरंजन जाना! वही आज सच बनकर सामने भी आ रहा है!

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हेमंत पाल

चार दशक से हिंदी पत्रकारिता से जुड़े हेमंत पाल ने देश के सभी प्रतिष्ठित अख़बारों और पत्रिकाओं में कई विषयों पर अपनी लेखनी चलाई। लेकिन, राजनीति और फिल्म पर लेखन उनके प्रिय विषय हैं। दो दशक से ज्यादा समय तक 'नईदुनिया' में पत्रकारिता की, लम्बे समय तक 'चुनाव डेस्क' के प्रभारी रहे। वे 'जनसत्ता' (मुंबई) में भी रहे और सभी संस्करणों के लिए फिल्म/टीवी पेज के प्रभारी के रूप में काम किया। फ़िलहाल 'सुबह सवेरे' इंदौर संस्करण के स्थानीय संपादक हैं।

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