Silver Screen: शाहरुख़ से पहले भी कई कलाकारों ने सफल कमबैक किया!

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Silver Screen: शाहरुख़ से पहले भी कई कलाकारों ने सफल कमबैक किया!

शाहरुख़ की फिल्म ‘पठान’ हिट क्या हुई, उसके साथ कई कहानियां भी जुड़ गई। इस फिल्म की सफलता का अलग-अलग तरीके से मूल्यांकन किया जाने लगा! चार साल बाद शाहरुख फिर हीरो बनकर आए और एक फिल्म से धमाल कर दिया। ये बात भी है, कि फिल्म के साथ एक विवाद भी जुड़ा, पर उन सबको नकारते हुए फिल्म ने एक इतिहास रच दिया। लेकिन, ये पहली बार नहीं हुआ। पहले भी कई हीरो सफलता के शिखर से फिसलकर नीचे गिरे और फिर संभलने की कोशिश में कई बार फ्लॉप हुए! लेकिन, फिर कुछ ऐसा चमत्कार हुआ कि वे फिर सफलता की सीढ़ियां चढ़ गए। यही कहानी शाहरुख़ ने अपनी पिछली फिल्म ‘फैंस’ और ‘जीरो’ से लिखी थी। ये दोनों फ़िल्में बुरी तरह नकारी गई थी। इसके बाद लंबे इंतजार के बाद ‘पठान’ आई और उसने शाहरुख़ को फिर उसी ऊंचाई पर पहुंच गए। हिट और फ्लॉप का यह सिलसिला बरसों पुराना है। सफल कलाकार भी असफलता के दौर से गुजरे हैं। गुरुदत्त ने ‘बाज’ के बाद ‘मिस्टर एंड मिसेज 55’ फिल्म दी। ‘कागज के फूल’ के बाद ‘चौदहवीं का चांद’ दी। राज कपूर ने ‘मेरा नाम जोकर की घोर असफलता के बाद ‘बॉबी’ से सफलता का इतिहास रचा। देव आनंद तो कहलाते ही लीप हीरो थे। उनकी तीन फिल्में फ्लॉप होने के बाद चौथी फिल्म सुपर हिट होती थी।

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रणबीर कपूर का करियर भी उतार-चढाव वाला रहा। कभी उनकी फिल्मों ने आसमान छुआ तो कभी धड़ाम से गिर पड़ी। उनकी पहली फिल्म ‘सांवरिया’ भी खास नहीं चली, पर बाद में ‘रॉक स्टार’ से उन्हें पहचान मिली। इसके बाद 2018 में आई ‘संजू’ ब्लॉकबस्टर साबित हुई। फिर एक लंबा अंतराल आ गया। ‘शमशेरा’ से वापसी की, पर इस फिल्म ने कोई कमाल नहीं किया। लेकिन, इसके बाद की फिल्म ‘ब्रह्मास्त्र’ ने उन्हें फिर ऊंचाई पर पहुंचा दिया। इसके बाद आई ‘तू झूठी मैं मक्कार’ में भी उनकी अदाकारी को सराहा गया। हिंदी फिल्मों के सबसे कामयाब नायक अमिताभ बच्चन ने भी कामयाबी और नाकामयाबी का लम्बा दौर देखा है। लगातार सफल फिल्मों के बाद उनकी कई फ़िल्में नहीं चली। 1999 में अमिताभ की चार फिल्में कोहराम, लाल बादशाह, सूर्यवंशम और ‘हिंदोस्तान की कसम’ फ्लॉप हुई। उन पर फ्लॉप एक्टर का ठप्पा लग गया। लेकिन, इसके बाद ‘मोहब्बतें’ ने उन्हें फिर पुरानी जगह दे दी। अमिताभ ने कैरेक्टर रोल से अपनी दूसरी पारी शुरू की, जो आज तक जारी है।

कमबैक की सफल कोशिश करने वालों में विनोद खन्ना भी थे। उन्होंने 1983 में ‘दौलत का दुश्मन’ के बाद फिल्में छोड़ दी थी। चार साल बाद उन्होंने फिल्म ‘इंसाफ’ से वापसी की थी। ये फिल्म जबरदस्त हिट हुई। फिर विनोद खन्ना की सत्यमेव जयते, जमीन जैसी हिट फिल्में आई। कमबैक के एक साल बाद विनोद की फिल्म ‘दयावान’ आई, ये भी बड़ी हिट रही। 2013 की होम प्रोडक्शन की फिल्म ‘यमला पगला दीवाना-2’ के बाद बॉबी देओल को भी फिल्में मिलना बंद हो गई थीं। 2017 में ‘पोस्टर बॉयज’ में काम जरूर मिला, लेकिन ये फिल्म फ्लॉप रही। इसके बाद सलमान के साथ बॉबी को ‘रेस-3’ मिली। लेकिन, उन्हें सबसे ज्यादा फ़ायदा प्रकाश झा की वेब सीरीज ‘आश्रम’ से हुआ। इसके तीन सीजन से बॉबी देओल की नई पहचान बनी।

 

ऐसे ही ऐश्वर्या राय का करियर कौन नहीं जानता! 2010 में ‘गुजारिश’ जैसी फ्लॉप फिल्म के बाद ऐश्वर्या करीब 5 साल फिल्मों से दूर रहीं। 2015 में ‘जज्बा’ से ऐश्वर्या ने वापसी की कोशिश की, पर फिल्म फ्लॉप रही। 2018 में फिर ‘फन्ने खां’ ने उनका साथ नहीं दिया। ऐश्वर्या चार साल इंडस्ट्री से दूर रहीं। लेकिन, ‘पोन्नियिन सेल्वन-1’ से उन्होंने कमबैक किया। इस फिल्म ने देश में ही 266.54 करोड़ रुपए कमाए और फिल्म हिट रही। ऐसे ही काजोल ने 2001 आई ‘कभी खुशी कभी गम’ के बाद पांच साल फिल्मों से परहेज किया। 2006 में आमिर के साथ ‘फना’ से वापसी की। फिर 2010 में ‘टूनपुर का सुपरहीरो’ से वापसी की कोशिश की, जो कामयाब नहीं हुई। वे लगभग पांच साल गायब रहीं। 2015 में ‘दिलवाले’ से वापसी की, जिसने अच्छा कारोबार किया। श्री देवी ने भी आठ साल बाद 2012 में ‘इंग्लिश विंग्लिश’ से कमबैक किया था। ये फिल्म हिट साबित हुई। लेकिन, इसके 5 साल बाद श्रीदेवी ‘मॉम’ में नजर आई, ये फिल्म भी जबरदस्त हिट रही थी।

संजय दत्त भी ऐसे अभिनेता हैं, जिन्होंने करियर और जिंदगी दोनों में बहुत संघर्ष किया। उनकी पहली फिल्म ‘रॉकी’ थी। फिल्म की रिलीज के पांच दिन पहले संजय की मां नरगिस का निधन हो गया। बीमारी के बावजूद नरगिस बेटे की फिल्म के प्रीमियर पर आना चाहती थीं। सुनील दत्त भी नरगिस को ‘रॉकी’ के प्रीमियर तक लाना चाहते थे। लेकिन, उससे पहले ही नरगिस दुनिया से चल बसीं। संजय दत्त की पहली फिल्म हिट रही। लेकिन, ‘रॉकी’ की सफलता बरकरार नहीं रह पाई। उनकी फिल्में लगातार फ्लॉप होती रही। संजय दत्त पूरी तरह से ड्रग्स की गिरफ्त में आ चुके थे। सभी मान चुके थे कि उनका करियर खत्म हो गया। इसके बाद हिट और फ्लॉप का दौर चलता रहा। नाम (1986), साजन (1991), खलनायक (1993), वास्तव (1999), मुन्नाभाई एमबीबीएस (2003) और ‘लगे रहो मुन्नाभाई’ (2006) वे फ़िल्में थीं, जिन्होंने संजय दत्त के कैरियर को संवारा! मुन्ना भाई सीरीज की फिल्मों से न केवल संजय के करियर को फायदा हुआ, बल्कि मुंबई बम कांड की वजह से खराब हुई उनकी छवि भी सुधर गई।

गोविंदा भी उन एक्टर में हैं, जो लगातार हिट और फ्लॉप होते रहे। उनकी पहली फिल्म ‘इल्जाम’ बड़ी हिट थी। पहली हिट देने के बाद उन्होंने तन बदन, ड्यूटी और ‘जख्मों का हिसाब’ जैसी फ्लॉप फिल्में दीं। 1994 में आई ‘इक्का राजा रानी’ भी नहीं चली। 90 के दशक में उनका सुनहरा दौर शुरू हुआ। उन्होंने खुद को एक कॉमेडी हीरो स्थापित किया और आंखें, राजा बाबू, कुली नं 1 जैसी कई हिट कॉमेडी फिल्में दीं। लेकिन, फ्लॉप फिल्मों ने गोविंदा का साथ नहीं छोड़ा और बनारसी बाबू, अग्निचक्र, दो आंखें बारह हाथ, छोटे सरकार, जोरदार, माहिर, गैंबलर और ‘किस्मत’ जैसी फ्लॉप फिल्में दीं। इसके बाद एक ऐसी फिल्म आई जिसने गोविंदा को फिर चमका दिया। ये फिल्म थी 2006 में सलमान खान के साथ आई ‘पार्टनर!’ कमबैक के इस दौर में उन्होंने फिर सफलता का स्वाद चखा। लेकिन, उसके बाद फिर लगातार फ़िल्में फ्लॉप हुई। 2011 में आईं नॉटी एट 40, लूट, दीवाना मैं दीवाना, किल दिल और ‘हैप्पी एंडिंग’ भी नहीं चली। उनकी आखिरी फ्लॉप फिल्म थी ‘आ गया हीरो’ पर कॉमिक हीरो की कभी वापसी नहीं हुई।

कामयाबी में वापसी करने की कोशिश में आमिर खान भी रहे, पर उनकी कोशिश सकारात्मक नहीं रही। 2022 में वे भी चार साल बाद ‘लाल सिंह चड्ढा’ में हीरो बनकर आए, पर दूसरी पारी में वे पहले जैसा जादू चला पाने में सफल नहीं हुए। फिल्म की रिलीज से पहले इसका सोशल मीडिया पर खूब बॉयकॉट हुआ। फिल्म बॉक्स ऑफिस पर बुरी तरफ फ्लॉप हुई। इससे पहले 2018 में उनकी अमिताभ बच्चन के साथ आई फिल्म ‘ठग्स ऑफ हिंदोस्तान’ आई थी, वह फिल्म भी फ्लॉप रही थी। ऐसी ही स्थिति शिल्पा शेट्टी की भी रही। ये अभिनेत्री 2007 में रिलीज हुई अपने’ में नजर आई थीं। यह फिल्म औसत रही। इसके बाद वे 14 साल तक गायब रहीं। 2021 में रिलीज हुई ‘हंगामा 2’ से वापस लौटीं, जो ओटीटी पर रिलीज हुई थी। दर्शकों से इसे अच्छी रिएक्शन मिली। लेकिन, बड़े परदे पर 2022 में आई फिल्म ‘निकम्मा’ से वापसी की कोशिश की, जो सफल नहीं हुई।

माधुरी दीक्षित ने ‘देवदास’ (2002) के बाद फिल्मों से ब्रेक लिया था। पांच साल बाद जब माधुरी ने ‘आजा नच ले’ से कमबैक किया, पर बात नहीं बनी। इस फिल्म के बाद माधुरी ने फिल्मों से ब्रेक ले लिया। ‘बॉम्बे टॉकीज’ और ‘ये जवानी है दीवानी’ के गानों में कैमियो करने के बाद माधुरी ने फिर 2014 में ‘डेढ़ इश्किया’ से फिर कमबैक कोशिश की। पर,ये फ़िल्में भी कोई खास कमाल नहीं दिखा सकी। यही स्थिति करिश्मा कपूर की रही। 2006 में ‘मेरे जीवन साथी’ के बाद से ही करिश्मा कपूर ने फिल्मों से दूरी बना ली थी। शादी के सालों बाद करिश्मा ने 2012 में ‘डेंजरस इश्क’ से कमबैक किया, पर ये फिल्म भी नहीं चली। कांग्रेस के सांसद बनने के बाद 1991 में राजेश खन्ना ने फिल्मों से दूरी बना ली थी। कई फिल्में ऑफर हुईं, लेकिन उन्होंने इंकार कर दिया। चार साल तक राजनीति में फोकस करने के बाद राजेश खन्ना ने 1994 में ‘खुदाई’ से कमबैक किया, पर फिल्म बुरी तरह फ्लॉप हो गई थी। श्रीदेवी ने 2004 में ‘मेरी बीवी का जवाब नहीं’ के फ्लॉप होने के बाद फिल्मों से दूरी बना ली थी। दरअसल, हिट और फ्लॉप फिल्म के कलाकारों के जीवन का हिस्सा बन गया है! अब सबकी किस्मत दिलीप कुमार और अमिताभ बच्चन जैसी तो नहीं होती जो ‘हिट और फ्लॉप’ के चक्कर से बहुत दूर रहे!

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हेमंत पाल

चार दशक से हिंदी पत्रकारिता से जुड़े हेमंत पाल ने देश के सभी प्रतिष्ठित अख़बारों और पत्रिकाओं में कई विषयों पर अपनी लेखनी चलाई। लेकिन, राजनीति और फिल्म पर लेखन उनके प्रिय विषय हैं। दो दशक से ज्यादा समय तक 'नईदुनिया' में पत्रकारिता की, लम्बे समय तक 'चुनाव डेस्क' के प्रभारी रहे। वे 'जनसत्ता' (मुंबई) में भी रहे और सभी संस्करणों के लिए फिल्म/टीवी पेज के प्रभारी के रूप में काम किया। फ़िलहाल 'सुबह सवेरे' इंदौर संस्करण के स्थानीय संपादक हैं।

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