SIlver Screen:कबीर बेदी ने कुछ नहीं छुपाया, जिंदगी का हर सच बताया!    

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SIlver Screen:कबीर बेदी ने कुछ नहीं छुपाया, जिंदगी का हर सच बताया!    

 

कबीर बेदी ने अपने करियर में बहुत ज्यादा हिंदी फिल्मों में काम नहीं किया। पर, उन्होंने जो भी फ़िल्में की, उसमें उनके किरदार को भुलाया नहीं जा सकता। वे ऐसे अभिनेता रहे, जिन्हें किसी दायरे में नहीं बांधा जा सकता। उन्होंने डाकू की भूमिका भी की और निर्दयी पति की भी! लेकिन, जो भी किरदार निभाया, वो दर्शकों को हमेशा याद रहा। कबीर बेदी को लोग फिल्मों से ज्यादा उनकी निजी जिंदगी के लिए याद रखते हैं। उन्होंने अपनी बायोग्राफी ‘स्टोरीज आई मस्ट टेल : द इमोशनल लाइफ ऑफ द एक्टर’ (कही-अनकही) में अपनी जिंदगी से जुड़े कई खुलासे बड़ी बेबाकी से किए और कई रहस्यों पर से परदा उठाया। अपनी बायोग्राफी में उन्होंने निजी जिंदगी से लगाकर अपनी तीन मोहब्बत का भी खुलासा किया। अपनी आत्मकथा में उन्होंने बताया कि कैसे परवीन बाबी से प्यार के बाद उन्होंने पत्नी प्रोतिमा से अपना रिश्ता तोड़ लिया था। यह घटनाक्रम इतने दिलचस्प तरीके से लिखा गया, कि पढ़ने वाला बंधा रह जाता है। उन्होंने इस बात का भी जिक्र किया कि पत्नी प्रोतिमा के साथ शुरू में सब-कुछ ठीक था। लेकिन, फिर रिश्तों में तनाव आने लगा। इसका कारण यह था कि दोनों तरफ से लगाव की कमी थी। कबीर बेदी को यह लिखने में भी संकोच नहीं हुआ कि जब प्रोतिमा को परवीन से उनके संबंधों के बारे में पता चला तो उन्होंने परवीन से अपनी नजदीकी को बढ़ाने में ज्यादा रूचि ली।

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कबीर बेदी फिल्मों में ऐसा नाम हैं, जिनका जिक्र किए बिना फिल्मी हस्तियों की गिनती अधूरी है। वे 1970 के दशक से फिल्मों में एक जगमगाता सितारा रहे। वे ऐसी शख्सियत हैं, जिन्होंने अपने रीयल लाइफ को ‘रील लाइफ’ की तरह जिया। अनोखे अंदाज के लिए पहचाने जाने वाले कबीर बेदी ने अपनी जिंदगी को किसी बंधन में नहीं बांधा। उन्होंने सिर्फ भारत में ही नहीं, अमेरिका और कई यूरोपीय देशों में भी नाम कमाया है। इटली में भी उनके चाहने वाले कम नहीं रहे। वे ऐसे अभिनेताओं में शामिल रहे, जिन्होंने हॉलीवुड फिल्मों में भी अपनी प्रतिभा दिखाई और शोहरत पायी। उन्होंने फिल्मों, रंगमंच और टेलीविजन की दुनिया में अद्भुत कारनामों के जलवे बिखेरे। अपनी आकर्षक पर्सनैलिटी के कारण वे कई महिलाओं के भी केंद्र में रहे। इसके चलते उनके कई लव-अफेयर भी चर्चित रहे हैं। मॉडलिंग से अपने करियर की शुरुआत करने वाले कबीर बेदी ने अपनी जिंदगी में जो चाहा, वो पाया।

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फ़िल्मी दुनिया के अपने सफर का जिक्र करते हुए कबीर बेदी ने लिखा कि वे 1700 रुपए लेकर मुंबई आए थे। तब उन्हें करियर और भविष्य की ज्यादा समझ नहीं थी। जब काम के लिए कोशिश की, तो सभी ने खलनायक की भूमिका की बात की। क्योंकि, कद-काठी से वे न किसी के भाई लगते थे, न दोस्त और न नायक। सभी डायरेक्टरों का कहना था कि तुम खलनायक के ही लायक हो। कबीर ने लिखा कि प्रोफेशनल लाइफ के अलावा पर्सनल लाइफ में भी मैं खलनायक ही बना रहा। असल जीवन में भी मेरी तीन शादियां हुईं। पहली शादी डांसर प्रोतिमा से हुई। शुरुआत बहुत खुशियों भरी थी, लेकिन यह साथ चार साल से ज्यादा नहीं चला। दूसरी शादी अमेरिकी मूल की निक्की से हुई और तीसरी शादी परवीन बॉबी से जिससे भी लम्बा साथ नहीं रहा। कबीर का मानना है कि शादी कोई बंधन नहीं, बल्कि जीने का एक बेबाक अंदाज है। कबीर के मुताबिक, मैं शादी के बंधन में बंधकर नहीं रह सका। फिल्मों की तरह निजी जीवन में भी खलनायक की भूमिका में ही जीता रहा। मैं आज भी वैसा ही जीवन जी रहा हूं,जिसका मुझे दुख नहीं।

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कबीर बेदी ने अपने नजरिए के बारे में भी लिखा कि खुद की क्षमता पर से कभी भरोसा नहीं उठने देना चाहिए। सफलता निश्चित रूप से आपके कदम चूमेगी। क्योंकि, अवसर कभी दस्तक नहीं देता, इसे सही समय पर अनुभव करना पड़ता है। विश्वास कमाने की चीज है, इसलिए अजनबी लोगों पर आसानी से विश्वास नहीं किया जाना चाहिए। पहले परखें, विश्वास करें इसके बाद ही आगे बढ़ें। कबीर बेदी ने अपनी इस किताब में जीवन से जुड़ी कई कहानियां साझा की। दिल्ली में पढ़ते थे, तब बीटल्स उनकी मुलाक़ात। फिर अचानक घर और कॉलेज को छोड़कर फिल्मों में एक्टर बनने के लिए मुंबई जाना। विज्ञापन की दुनिया के रोमांच के अलावा विदेश में ‘सांदोकान’ जैसी इटेलियन फिल्म की सफलता और फिर नाकामयाबी। उन्होंने अपने दार्शनिक इंडियन पिता और इंग्लैंड में जन्मी माँ की दिलचस्प प्रेम कहानी का भी जिक्र किया, जो बौद्ध भिक्षुक थीं। कबीर बेदी ने स़िजो़फ्रेनिया पीड़ित अपने बेटे को बचाने का संघर्ष का भी खुलासा किया।

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कबीर बेदी का आत्मकथ्य ‘कही-अनकही’ ऐसे साधारण आदमी का असाधारण स्पष्टवादी संस्मरण है, जिसने अपने जीवन की कोई बात नहीं छुपाई। न प्यार की तीन कहानियों की और न करियर की बात। यह दिल्ली के एक मध्यवर्गीय परिवार के युवक की जिंदगी की कहानी है, जिसने करियर की ऊंचाई को भी छुआ और नाकामी भी देखी। दरअसल, ये आदमी के संवरने, बिखरने और फिर अपने दम पर खड़े होने की दास्तान है। इस शख्स ने अपनी इस किताब में बेहद साफगोई से अपने जीवन के हर पन्नों को खोला, इसलिए यह किताब पठनीय दस्तावेज़ बनी। उनकी स्वच्छंदता कभी विवाद, कभी सुर्खी तो कभी दिलचस्पी बनी। कबीर बेदी ने अपनी आत्मकथा में दिल को खोलकर रख दिया। इस किताब में जब वे अपना दिल खोलते हैं, तो कई कहानियाँ निकलती हैं। जब वे दिल्ली में पढ़ते थे, तो बीटल्स के साथ उनकी पहली जादुई मुलाक़ात का भी अकसर जिक्र लेते हैं। अचानक घर, दोस्तों और कॉलेज को छोड़कर मुंबई जाना।

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विज्ञापन की दुनिया में उनके रोमांच भरे पल, विदेश में उनका असाधारण रूप से सफल करियर और अनेक तकलीफ़देह नाकामयाबी। उन्मुक्त प्रतिमा बेदी और चकाचौंध से भरी परवीन बाबी के साथ उनके संबंध, जिसने उनके जीवन की दिशा ही बदल दी। इसके कारण कई खराशें रह गई। तीन बार हुए तलाक़ के हादसे के बाद भी उन्हें सुकून हासिल हुआ। क्योंकि, उनकी मान्यताएं बदल गई। उन्होंने अपनी जिंदगी का मकसद बदल लिया। उनकी उथल-पुथल जिंदगी की ये कहानियां हॉलीवुड, बॉलीवुड और यूरोप में रची-बसी हैं। उन्होंने अपने दार्शनिक भारतीय पिता और ब्रिटेन में पैदा हुई अपनी माँ की दिलचस्प प्रेम कहानी भी सुनाई है, जो बहुत आला दर्जे की बौद्ध भिक्षु थीं। और सबसे मार्मिक है अपने सिजोफ्रेनिक बेटे को बचाने का संघर्ष। उनकी आत्मकथा ‘कही-अनकही’ एक ऐसे व्यक्ति की असाधारण यादें हैं, जिसमें कुछ भी नहीं छुपाया गया, न प्यार में और न किस्सागोई में। यह दिल्ली के एक मध्यवर्गीय लड़के की कहानी है जिसका करियर आज विश्वव्यापी है। साथ ही, यह एक इंसान के बनने, बिगड़ने और फिर से खड़े होने की उतार-चढ़ाव से भरी कहानी भी है।

कबीर ने बॉन्ड की फिल्म ‘ऑक्टोपसी’ में मुख्य खलनायक का किरदार निभाया था। इसके साथ ही कबीर ने मशहूर टीवी शो ‘ओपेरा’ में भी काम किया। कबीर बेदी का करियर और जिंदगी हमेशा ही भारतीय शैली से अलग रही है। उन्होंने अपने जीवन में कई पुरस्कार और उपलब्धियां हासिल की। उनके दुनियाभर में उनके कई प्रशंसक हैं। उन्होंने भारत और यूरोप में फिल्मों और विज्ञापन के लिए कई पुरस्कार जीते हैं। अपनी जीवनी में उन्होंने लिखा कि वे अपने आपको बहुत अकेला महसूस कर रहे थे। वे पूरी तरह से अकेले और खाली पड़ गए थे। तभी उनकी जिंदगी में परवीन बाबी आई जिसने उनके उस खालीपन को भर दिया। कबीर बेदी ने खुलासा किया कि उनकी पत्नी प्रतिमा ने परवीन बाबी और कबीर के रिलेशनशिप को लेकर 1997 में एक पत्रिका में इंटरव्यू दिया था, जिसमें उन्होंने बताया कि कबीर को परवीन के साथ रिलेशनशिप में आने के लिए मैंने ही बढ़ावा दिया था। कहा था कि आप आराम से परवीन के साथ रिश्ते में रह सकते हो। अपनी जिंदगी की सच्चाई को इतनी साफगोई से बखान करना हर किसी के लिए संभव नहीं है। यही कारण है कि वे कबीर बेदी हैं।

Author profile
Hemant pal
हेमंत पाल

चार दशक से हिंदी पत्रकारिता से जुड़े हेमंत पाल ने देश के सभी प्रतिष्ठित अख़बारों और पत्रिकाओं में कई विषयों पर अपनी लेखनी चलाई। लेकिन, राजनीति और फिल्म पर लेखन उनके प्रिय विषय हैं। दो दशक से ज्यादा समय तक 'नईदुनिया' में पत्रकारिता की, लम्बे समय तक 'चुनाव डेस्क' के प्रभारी रहे। वे 'जनसत्ता' (मुंबई) में भी रहे और सभी संस्करणों के लिए फिल्म/टीवी पेज के प्रभारी के रूप में काम किया। फ़िलहाल 'सुबह सवेरे' इंदौर संस्करण के स्थानीय संपादक हैं।

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