Silver Screen: महकता रोशन परिवार ‘रहें ना रहें हम महका करेंगे, बन के कली बन के सबा!’

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Silver Screen: महकता रोशन परिवार ‘रहें ना रहें हम महका करेंगे, बन के कली बन के सबा!’

– हेमंत पाल

फिल्म इंडस्ट्री में वैसे तो सिर्फ कलाकारों का अभिनय ही चलता है। लेकिन, इंडस्ट्री में फ़िल्मी खानदानों की भी अलग ही चमक-धमक है।  इनकी जड़ें फ़िल्मी दुनिया में गहराई तक है। राज कपूर परिवार की कई पीढियां फिल्म की कई विधाओं से जुड़ी रही, आज भी रणवीर उस परिवार के प्रतिनिधि हैं। कपूर परिवार का इतिहास तो पृथ्वीराज कपूर के समय से शुरू होता है। ऐसा ही ‘सागर परिवार’ है, जिसका पौधा रामानंद सागर ने रोपा था और आज भी ये पल्लवित है। इनके अलावा सलमान खान का परिवार भी है, जिसे उनके पिता सलीम खान की स्क्रिप्ट राइटिंग ने आकार दिया। इसके अलावा धर्मेंद्र और अमिताभ बच्चन के परिवारों का भी जलवा है। लेकिन, इनके बीच जिस परिवार का कभी जिक्र नहीं होता, वो है ‘रोशन परिवार।’ संगीतकार रोशन लाल नागरथ के दो बेटों एक्टर-निर्देशक राकेश रोशन और संगीतकार राजेश रोशन के अलावा एक्शन के सरताज ऋतिक रोशन को कौन नहीं जानता।

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संगीतकार रोशन ने अपने समय काल में कई कालजयी गीतों की रचना की। उनके कई गीत आज भी गुनगुनाए जाते हैं। उनकी संगीत विधा को उनके एक बेटे राजेश रोशन ने आगे बढ़ाया और आज भी उसे जिंदा रखे हैं। ‘रोशन परिवार’ का एक बेटा राकेश रोशन एक्टिंग तरफ मुड़ गया। लेकिन, वे बहुत ज्यादा सफल नहीं हुए। इसके बाद वे निर्देशन में आए और अपना अलग मुकाम बनाया। अपने बेटे ऋतिक रोशन की फिल्मों की सफलता में राकेश रोशन का बहुत बड़ा हाथ है। इस ‘रोशन परिवार’ को आज संगीत के अलावा निर्देशन और एक्शन हीरो के लिए पहचान मिली है। इस परिवार की दूसरी और तीसरी पीढ़ी ने अपने अच्छे काम और समय की धारा के साथ भी अपनी राह बनाई। ‘रोशन परिवार’ की कहानी बस इतनी सी है। इस परिवार की तीन पीढियों ने मनोरंजन की दुनिया को रोशन किया, लेकिन उन्हें अंधकार से भी रूबरू होना पड़ा। इस परिवार की सबसे बड़ी ताकत इनके पारस्परिक संबंध है। आज भी परिवार अलग रहते हुए भी एकजुट है। कहते हैं कि ऋतिक रोशन हीरो बनने तक अपने चाचा राजेश रोशन के साथ सोते थे। आज भी उनकी अपने पिता से ज्यादा अपने चाचा से पटती है। एक दूसरे का साथ निभाना और एक दूसरे के लिए खड़े रहने की यह प्रवृत्ति ही रोशन को अलग रखती है।

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दस्तूर है कि रोशनी को कभी छिपाकर नहीं रखा जा सकता है, यही वजह है कि आज ‘रोशन परिवार’ का नाम सिनेमा की दुनिया में शिद्दत के साथ चमचमा रहा है। सिने जगत में पिछले 6 दशक से छाया ये परिवार अपनी बहुमुखी प्रतिभा से बहुत कुछ कहता है। माना जाता रहा है, कि इस परिवार का सरनेम ‘रोशन’ होगा जिसके उत्तराधिकारी राकेश रोशन, राजेश रोशन और ऋतिक रोशन हैं। लेकिन, सच्चाई यह है कि इस परिवार का सरनेम नागरथ है, जो उनके पिता रोशनलाल नागरथ की वजह से ‘रोशन’ पर आकर रुक गया। रोशन परिवार कश्मीरी ब्राह्मण परिवार की पौध है, जो अपने गीत-संगीत में कश्मीरी बयार की तरह ताजगी ही नहीं बल्कि केसर सी महक भी लाते हैं। यही महक इस पीढ़ी के पुरोधा रोशन की संगीत रचना ‘रहें ना रहें हम महका करेंगे बन के कली बन के सबा बाग़े वफ़ा में’ की याद ताजा कर देती है।

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रोशन परिवार के बारे में आज के दर्शक इतना ही जानते हैं कि 25 साल पहले अभिनेता ऋतिक रोशन ने फिल्म ‘कहो ना प्यार से’ अभिनय में कदम रखा था। फिल्म की सफलता ने उन्हें रातों रात स्टार बना दिया। फिल्म के निर्देशक ऋतिक के पापा राकेश रोशन थे। राकेश ने भी फिल्म इंडस्ट्री में अपनी पारी अभिनय से आरंभ की। लेकिन, उनकी प्रतिभा को वह सम्मान नहीं मिला। उन्होंने निर्देशन में हाथ आजमाया और शोहरत हासिल की। उनके भाई राजेश रोशन ने संगीत की राह पकड़ी। दोनों भाइयों के इंडस्ट्री में आने का आधार बने उनके पिता संगीतकार रोशन। वही रोशन जिन्होंने हिंदी सिनेमा को बड़े अरमानों से रखा है, सारी सारी रात तेरी याद सताए, रहते थे कभी जिनके दिल में, रहें न रहें हम न महका करेंगे, मन रे तू काहे, जो वादा किया वो निभाना पड़ेगा, तुम अगर मुझको न चाहो तो कोई बात नहीं और ‘जिंदगी भर नहीं भूलेगी वो बरसात की रात’ जैसे कई यादगार गानों को संगीतबद्ध किया।

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यह बात कम लोग जानते हैं, कि रोशन परिवार के सभी सदस्यों को संगीत में महारथ है। राजेश रोशन तो घोषित रूप से संगीतकार हैं, लेकिन गीत संगीत पर राकेश रोशन और ऋतिक रोशन का हाथ भी कहीं से तंग नहीं है। यह गुण उन्हें न केवल संगीतकार रोशन से विरासत में मिला, बल्कि उनकी मां इरा रोशन भी संगीत की जानकार थी। उन्होंने रोशन के अधूरे काम को पूरा किया और ‘अनोखी रात’ के मशहूर गीत ‘महलों का राजा मिला रानी बेटी राज करेगी’ जैसा कर्णप्रिय गीत भी कम्पोज किया। बाद में रोशन बंधुओं ने अपनी मां के भजनों का एक एलबम भी जारी किया था। पिछले करीब 6 दशक में रोशन परिवार ‘रहे न रहे हम महका करें’ गाने की तरह संगीत की दुनिया में महक रहे हैं। उनके नाम को बाद में परिवार ने सरनेम की तरह अपना लिया। यह नई बात है, क्योंकि अभी तक यही प्रचारित किया जाता रहा कि ‘बच्चन परिवार’ पहला परिवार है, जिसने अपने सरनेम श्रीवास्तव को जातिसूचक मानकर ‘बच्चन’ तख्खलुस को अपना सरनेम बना लिया।

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कहते हैं कि वंश परिवार की बेल ज्यादा ऊपर तक नहीं फैलती। कुछ बनने के लिए बहुत कुछ खोना और खपना भी पड़ता है। रोशन परिवार ने खुद को खपाकर अपने आप को बनाया। रोशन के जीवित रहने तक तो उनके बेटों को कोई जानता नहीं था। लेकिन, उनकी असमय मौत ने बड़े बेटे को लड़कपन से सीधे जिम्मेदार इंसान बना दिया था। छोटे बेटे को उन संगीतकारों का सहायक बनकर अपना करियर शुरू करना पड़ा, जो कभी रोशन के आगे सिर झुकाया करते थे। इस पर कोई यदि सोचे कि ऋतिक रोशन को तो सब कुछ प्लेट में रखकर मिला होगा, तो यह भी गलत है। उन्होंने सबसे ज्यादा संघर्ष कर अपनी शारीरिक कमजोरियों पर नियंत्रण पाने के बाद ही फिल्मी अखाड़े में कूदने का काम किया।

फिल्म इंडस्ट्री में संगीतकार रोशन के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता। उनके संगीत में उनके स्वभाव की मधुरता भी झलकती है। उनका करियर बहुत बड़ा नहीं हो पाया। 70 के दशक की शुरुआत में ही उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया। लेकिन, इसके बाद भी जितना काम उन्होंने किया उसमें ही संगीत श्रोताओं के लिए बेशुमार नगमों की सौगात दी। रफी की आवाज में चित्रलेखा का गीत ‘मन रे तू काहे न धीर धरे’ जिसे उससे रोशन के पूरे संगीत का आकलन किया जा सकता है। इसी तरह मुकेश के साथ ‘ओहो रे ताल मिले नदी के जल में’ गाने की सादगी और स्वाभाविकता तथा लता के साथ ‘रहें न रहें हम’ की शाश्वत सत्यता उनके संगीत के वह बैरोमीटर है, जो उनके कार्य का आकलन करते हैं। कव्वालियों के तो वे शहंशाह थे। ‘बरसात की रात’ में उनका कमाल अविस्मरणीय है। ‘दिल जो न कह सका’ और ‘ताज महल’ के ‘जो वादा किया वो निभाना पड़ेगा’ के साथ तो उनका संगीत चरम पर पहुंचा था। लेकिन, उनके सिद्धांतों ने उनके पैरों में जंजीर बांध रखी, जो आज की दुनिया में सबसे बड़ी बाधा बनी।

अपने पिता की विरासत को फिल्म इंडस्ट्री में अगर किसी ने सही मायने में आगे बढ़ाया और संजोया तो उसमें सबसे पहले राजेश रोशन का ही नाम आता है। पिता की तरह ही राजेश रोशन ने भी संगीत की सेवा की और फिल्म इंडस्ट्री को नई दिशा दी। ‘जूली’ फिल्म के गानों को भला कौन भूल सकता है। यहां तक कि ऋतिक के लिए ‘कहो ना प्यार है’ के गानों का संगीत भी राजेश रोशन ने दिया। उस फिल्म के गानों को आए हुए 25 साल हो गए, लेकिन वो गाने आज भी ताजा लगते हैं। महमूद के सहयोग से आगे बढे राजेश रोशन ने बाद में सभी बड़े निर्माताओं के साथ काम किया। लेकिन, अपनी शर्तों पर काम करने और किसी के पास काम मांगने नहीं जाने के उनके सिद्धांत ने उन्हें सही अर्थों में अपने पिता का उत्तराधिकारी बनाया।

राकेश रोशन का करियर और उसकी सफलता की अलग ही कहानी है। एक्टर के तौर पर उनकी विफलता और एक डायरेक्टर के तौर पर उनकी सफलता को कौन नहीं जानता। काफी संघर्ष के बाद एक महान परिवार से आने वाले सदस्य को इंडस्ट्री में पांव जमाने का मौका मिला। लेकिन, जब मिला तो उन्होंने उसी नएपन के साथ अपने काम को अंजाम दिया, जिसके लिए रोशन परिवार जाना जाता रहा है। परिवार के तीसरे सदस्य ऋतिक रोशन 51 साल की उम्र में अभी भी लीड एक्टर के तौर पर सक्रिय हैं। उन्होंने अपने डांस, पर्सनालिटी और डेप्थ से मॉडर्न युग के हीरो की नई परिभाषा गढ़ी और यूथ की पहली पसंद बने। शुरुआत में ऋतिक का हकलाना, हाथों में एक अंगूठा ज्यादा होना उनकी कमजोरी था। जिस पर उन्होंने जीत हासिल कर युवा दिलों की धड़कन बनने का जो काम किया वह बेमिसाल है।