Silver Screen : परदे पर मां के कुछ किरदार ऐसे रहे, जिन्हें भुलाया नहीं जा सकता!

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Silver Screen : परदे पर मां के कुछ किरदार ऐसे रहे, जिन्हें भुलाया नहीं जा सकता!

 

– हेमंत पाल

 

फिल्मों के कई तरह के किरदार होते हैं। नायक और नायिका के अलावा खलनायक, कॉमेडियम और कुछ कैरेक्टर एक्टरों की भी भूमिका होती है। ज्यादातर फिल्मों में एक और महत्वपूर्ण किरदार होता है मां का। फिल्म में पिता हो या नहीं, मां जरूर होती है। असल जीवन में ही नहीं, फिल्मी परदे पर भी मां कथानक का अहम हिस्सा है। किरदार अंदाज चाहे जो भी रहा हो, सभी ऑनस्क्रीन मां ने हमेशा दर्शकों पर अपनी अलग छाप छोड़ी। कई बार तो ऐसी फिल्मों में मां के किरदारों ने ही सबसे ज्यादा प्रभावित किया। फिल्मकारों ने मां के अर्थ को बेहतर तरीके से किरदार में उतारने में कोई कसर नहीं छोड़ी। हिंदी फिल्में पिता के बिना पूरी हो जाएं, पर मां के किरदार के बगैर कम ही पूरी होती है। मां के किरदार को फिल्मों में अलग-अलग तरह से पेश किया गया।

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कुछ अभिनेत्रियों ने मां के किरदार को इतनी बखूबी से निभाया कि परदे पर मां की बात हो, तो इनकी ही छवि उभरती है। यही मां फिल्म में कई बार कहानी में मोड़ लाने का भी काम करती है। याद करें तो मदर इंडिया, दीवार और ‘वास्तव’ ऐसी ही फ़िल्में हैं, जिन्हें मां की भूमिका के लिए ही याद किया जाता है। सिर्फ यही नहीं, ऐसी फिल्मों की फेहरिस्त बहुत लंबी है, जिनके कथानक में मां का किरदार कई बार नायक-नायिका से ज्यादा प्रभावशाली रहा। मां के कई यादगार किरदार है, जिनमें निरूपा रॉय, वहीदा रहमान, नरगिस, रीमा लागू, राखी, फरीदा जलाल और रेखा हैं। ये अभिनेत्रियां अपने अभिनय के लिए जानी जाती हैं। इनके अलावा दुर्गा खोटे ने भी ऑनस्क्रीन मां के रूप में अपनी अलग पहचान बनाई। उन्होंने कई फिल्मों में मां का संवेदनशील किरदार निभाकर दर्शकों को प्रभावित किया फिल्मकारों ने मां के सशक्त किरदारों को अपनी फिल्मों में बखूबी तरीके से पेश किया। कई बार ऐसा भी हुआ कि मां के किरदार से ही फिल्में दर्शकों को आकर्षित करने में सफल रही हैं। कभी मां को समर्पित, कभी सकारात्मक, कभी संघर्षशील तो कभी दोस्ताना रूप में सिल्वर स्क्रीन पर इस किरदार को प्रस्तुत किया गया।

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‘मदर इंडिया’ में नरगिस ने राधा का किरदार निभाया, जो एक मां है और अपने दोनों बेटों को बेहतर जीवन देने के लिए संघर्ष करती है। ‘दीवार’ में निरूपा रॉय ने एक ऐसी माँ का किरदार निभाया जो अपने बेटों के लिए सब कुछ करती है, पर एक बेटा रास्ता भटक जाता है। रीमा लागू ने भी ऐसी ही भूमिका ‘वास्तव’ में निभाई थी। वर्ष 1957 में आयी फिल्म ‘मदर इंडिया’ में नरगिस की भूमिका का आज भी उल्लेख किया जाता है। फिल्म में नरगिस ने सुनील दत्त और राजेन्द्र कुमार की मां की भूमिका को जीवंत किया था। उन्होंने ऐसी मां का किरदार निभाया, जिसके हाथ अपने बेटे के अन्याय करने पर उसे जान से मारने से भी नहीं हिचकते। इस भूमिका के लिए नरगिस को सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के फिल्मफेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

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ऐसे ही जब सिनेमा में मां के किरदार का जिक्र होता है, तो निरूपा राय के नाम को भुलाया नहीं जा सकता। उन्हें फिल्मों की आदर्श मां माना जाता है। उन्हें अमिताभ बच्चन की ऑनस्क्रीन मां भी कहा जाता है। क्योंकि, उन्होंने कई फिल्मों में अमिताभ की मां की भूमिका निभाई। दीवार, खून पसीना, मुकद्दर का सिकंदर, अमर अकबर एंथनी और ‘सुहाग’ जैसी फिल्मों में अमिताभ की मां का रोल निभाया। रेखा जैसी रोमांटिक अभिनेत्री ने भी कई फिल्मों में मां की भूमिका निभाई है, इनमें मुस्कुराहट, कोई मिल गया और ‘सत्य और प्रेम’ जैसी फिल्में शामिल हैं। फिल्मों में अभिनय करने वाली पहली मिस इंडिया नूतन ने भी कई फिल्मों में मां की भूमिका की। इनमें मेरी जंग, नाम, मुजरिम, युद्ध और ‘कर्मा’ जैसी फिल्में उल्लेखनीय हैं। ‘मेरी जंग’ में अपने सशक्त अभिनय के लिए नूतन को सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री के पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

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जानी-मानी अभिनेत्री राखी ने भी कई फिल्मों में मां के चरित्र को साकार किया। यदि निरूपा रॉय को अमिताभ की मां कहा जाता है, तो राखी अनिल कपूर की फिल्मी मां थी। राम लखन, प्रतिकार, जीवन एक संघर्ष में राखी अनिल कपूर की मां बनी थीं। खलनायक, सोल्जर, बार्डर, करण-अर्जुन, बाजीगर और ‘अनाड़ी’ जैसी फिल्मों में राखी ने मां का किरदार निभाया। ‘करण-अर्जुन’ फिल्म में उनके मां के किरदार को लोग आज भी याद करते हैं। फिल्म में दुर्गा सिंह का किरदार निभाकर उन्होंने एक मां के अटूट विश्वास को पेश किया था। मां जिसे विश्वास होता है कि उसके बच्चे अपने पिता के हत्यारे से बदला लेने जरूर आएंगे। इन अभिनेत्रियों के अलावा 90 के दशक में रीमा लागू ने कई फिल्मों में इस किरदार को प्रभावशाली तरीके से पेश किया। इनमें रीमा लागू भी है, जिन्हें सलमान खान की मां के रूप में देखा गया है। इनमें मैने प्यार किया, साजन, हम साथ साथ हैं, जुड़वां’ और ‘पत्थर के फूल’ जैसी सुपरहिट फिल्में शामिल हैं। उनकी मां की भूमिका वाली अन्य फिल्मों में कयामत से कयामत तक, आशिकी, हम आपके हैं कौन, कुछ कुछ होता है आदि शामिल हैं।

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अचला सचदेव ने अपने करियर में कई फिल्मों मां और दादी का किरदार निभाया है। उन्हें इन्हीं किरदारों ने एक अलग पहचान दिलाई थी। उन्होंने ‘कभी खुशी कभी गम’ में शाहरुख खान और ऋतिक रोशन की दादी और ‘दिल वाले दुल्हनिया ले जाएंगे’ में काजोल की दादी का किरदार निभाते हुए भी देखा गया। दुर्गा खोटे ने जिस दौर में सिनेमा में कदम रखा, तब महिलाओं के किरदार भी पुरुष निभाया करते थे। दुर्गा खोटे ने कई फिल्मों में मां का किरदार निभाकर अपनी एक अलग पहचान बनाई। कई फिल्मों में प्यार और दुलार से भरपूर मां का किरदार निभाया। ऋषि कपूर की फिल्म ‘कर्ज’ में इन्होंने मां का किरादर निभाकर उसे यादगार बना दिया। ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’ में काजोल की मां को याद किया जाए तो फरीदा जलाल आ जाती है। उन्होंने कई फिल्मों में कभी भावुक तो कभी हंसमुख और मजाकिया मां का किरदार निभाया है। कुछ कुछ होता है’, ‘कभी खुशी कभी गम’, ‘कहो ना प्यार है’, जैसी कई फिल्मों में मां का किरदार निभाकर लोगों का दिल जीता है।

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चुलबुली नायिका की भूमिका निभाने से लेकर मां तक का किरदार निभाने में जया बच्चन का कोई सानी नहीं। उन्होंने ‘हजार चौरासी की मां’ में एक ऐसी मां का किरदार निभाया, जिसके बेटे को नक्सलियों ने मार दिया है। इसके बाद वह फिल्म ‘कभी खुशी कभी गम’ और ‘कल हो ना हो’ में भी मां का किरदार निभाती नजर आईं। ‘कल हो ना हो’ के लिए जया बच्चन को फिल्म फेयर अवार्ड भी मिला। मल्टीपर्पस रोल में किरण खेर ने भी कई भूमिकाएं निभाई। साथ ही मां की इमेज को बदलने में अहम भूमिका निभाई। फिल्म ‘दोस्ताना’ की कूल मदर हो या ‘देवदास’ की कठोर, स्वाभिमानी मां, किरण खेर ने हर भूमिका को जीवंत किया है। ‘हम तुम’ में उन्होंने एक ऐसी मां का किरदार निभाया, जो दोस्त से कम नहीं है। फिल्मों में कई अभिनेत्रियों ने मां के किरदार को रूपहले पर्दे पर निभाया। इनमें लीला चिटनिस, दुर्गा खोटे, दीना पाठक, वहीदा रहमान, आशा पारेख, हेमा मालिनी, रेखा, जया भादुड़ी, डिंपल कपाड़िया, रति अग्निहोत्री, किरण खेर और रेखा शामिल हैं।