Silver Screen: चुलबुली सी अभिनेत्री जया इतनी गुस्सैल क्यों हो गई!
जया भादुड़ी को जिन लोगों ने शुरूआती दौर में देखा है, उन्हें पता है कि वे बेहद मासूम, हंसमुख और सौम्य नायिका रही हैं। पहली फिल्म ‘गुड्डी’ में वे स्कूल जाने वाली स्टूडेंट बनी थीं। इस फिल्म में उन्हें देखकर लगा था कि वे अपने करियर में काफी आगे जाएंगी। ये सोच सही भी निकला। उसके बाद ‘मिली’ जैसी संवेदनशील फिल्म में उन्हें बच्चों के साथ खेलते-कूदते और ‘मैंने कहा फूलों से हंसो तो वो खिलखिला के हंस दिए’ जैसा मस्ती भरा गीत गाते देखा। लेकिन, आज की जया बच्चन और उस समय की जया में बहुत फर्क आ गया। अब वे अपने गुस्सैल स्वभाव को लेकर हमेशा सुर्ख़ियों में रहती है। संसद से सड़क तक उनके गुस्से के किस्से मीडिया में छाए रहते हैं। वे बरसों से राज्यसभा की सदस्य हैं, पर जब भी उनकी चर्चा होती है तो उनके गुस्से और गुस्सैल बयानों का प्रसंग ही ज्यादा आता है। वे पुरानी फिल्म अभिनेत्री जरूर हैं, पर फिल्मों में कम ही नजर आती हैं।
ये भी कहा जाता है कि जया बच्चन ने जानबूझकर सुर्खियां बटोरने के तरीके ढूंढती हैं। मीडिया के साथ उनके झगड़े ने उन्हें काफी प्रसिद्धि दिलाई। किसी आयोजन या एयरपोर्ट पर मीडिया से उनकी झड़प ख़बरों में रहती है। इस वजह से लोग उन्हें असभ्य और गुस्सैल भी मानते हैं। पिछले कुछ सालों से वे इन्हीं वजहों से याद भी की जाती रही हैं। लेकिन, उन्होंने खुद स्पष्ट भी किया कि उनकी ये गुस्सैल आदत असभ्यता नहीं है। करण जौहर के शो ‘कॉफी विद करण’ में जया बच्चन ने अपने सार्वजनिक जीवन से जुड़े इस मुद्दे का खुलासा किया था। उनका कहना था कि उन्हें पसंद नहीं कि कोई उनकी इच्छा के बगैर उसकी तस्वीरें लें। जया ने यह भी कहा था कि जब उनके आसपास भीड़ जमा हो जाती है, तो उन्हें क्लॉस्ट्रोफोबिया हो जाता है। दरअसल, ये तरह की बीमारी है और ऐसे लोग भीड़ में अपने आपको संभाल नहीं पाते! वे खुद को चिढ़चिढ़ी, नकचढ़ी, प्रतिक्रियावादी या असभ्य नहीं मानती। वे भले ही अपने आपको ये सब नहीं मानती हों, पर आज जया बच्चन की पहचान इसी तरह की बन गई।
जया बच्चन अपने जमाने की एक सशक्त और नैसर्गिक अभिनेत्री रही। उन्होंने संवेदनशील अभिनय की नई इबारत रची है। अभिनय के अलावा जया बच्चन ने प्रेम के मामले में भी सबको पीछे छोड़ा। करियर में अपने से जूनियर अमिताभ बच्चन से उन्होंने न केवल प्रेम किया, बल्कि उनकी लगातार असफलता के बावजूद हमेशा उनके साथ खड़ी रही। अमिताभ को पहली बार जिस फिल्म से पहचान मिली, उस ‘आनंद’ में डॉक्टर का रोल दिलवाने में भी जया बच्चन की बड़ी भूमिका रही थी। अपने पसंदीदा निर्देशक हृषिकेश मुखर्जी से जिद करके जया ने अमिताभ को डॉक्टर भास्कर की भूमिका दिलाई। लेकिन, अमिताभ से शादी के बाद जया बच्चन ने बच्चों की देखभाल के लिए फिल्मों से किनारा कर लिया। बीच में अभिनेता संजीव कुमार के अनुरोध पर ‘नौकर’ फिल्म में जरूर काम किया। इसी तरह यश चोपड़ा के कहने पर रेखा और अमिताभ के साथ अपने जीवन से मिलती-जुलती फिल्म ‘सिलसिला’ करने का साहस भी दिखाया। फिर एक लम्बे अंतराल के बाद उन्होंने अमिताभ और शाहरुख और रितिक रोशन की फिल्म ‘कभी खुशी कभी गम’ में काम किया। अब वे लंबे अरसे बाद करण जौहर की फिल्म ‘रॉकी और रानी की प्रेम कहानी’ में धर्मेंद्र, शबाना आज़मी और रणवीर सिंह, आलिया भट्ट के साथ दिखाई देंगी।
अपनी पहचान के विपरीत जया के विचारों में भी बदलाव महसूस किया गया। पिछले दिनों वे अपनी नातिन नव्या नवेली के साथ पॉडकास्ट पर बेबाक बातें करती नजर आयी थी। हद तो तब हो गई जब जया ने शिष्टता की सारी सीमाएं लांघकर ऐसा बयान दे बैठी, जिससे उनकी नकारात्मक छवि बनी। उन्होंने जो कहा उसे सुनने के बाद लोगों का कहना था कि वे अपनी ही नातिन को ये कैसे संस्कार सिखा रही है। बल्कि, लगता है जया खुद ही बोल्ड हो गईं। जया ने युवा पीढ़ी को सलाह देते हुए कहा था कि उन्हें लगता है कि लोगों को अपने सबसे अच्छे दोस्त से शादी करनी चाहिए। अगर नव्या शादी किए बिना बच्चा पैदा करना चाहती है, तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं होगी। उनका यह बयान काफी ज्यादा चर्चा में आया। जया बच्चन ने पॉडकास्ट में रिश्ते में शारीरिक आकर्षण के महत्व पर भी खुलकर बात की थी। उनका कहना था कि अगर किसी रिश्ते में शारीरिक संबंध नहीं है, तो वो लंबे समय तक नहीं चल सकेगा! उन्हें लगता है कि आप प्यार, ताजी हवा और एडजस्टमेंट पर टिके नहीं रह सकते। प्रेमी और प्रेमिका के बीच शारीरिक आकर्षण और विवाह से पूर्व शारीरिक संबंध बहुत जरूरी है।
अच्छी अभिनेत्री और सफल गृहणी और मां की भूमिका के साथ जया बच्चन ने समाजवादी पार्टी के जरिए राजनीति के दांव पेच भी आजमाए। लेकिन, माना जाता है कि रिश्ते निभाने में जया बच्चन सफल नहीं रही! भले ही वे अमिताभ की पहली पसंद रही हो, लेकिन उनके ससुर हरिवंश राय ने जया को ही नहीं उसके परिवार को भी कभी पसंद नहीं किया। अपनी आत्मकथा में हरिवंश राय बच्चन ने बडी साफगोई से लिखा भी था कि उन्हें जया को अपनी बहू बनाना पसंद नहीं था। यही कारण था कि उन्होंने अनमने मन से इस शादी के लिए हामी भरी थी। उन्होंने शादी के प्रसंग के बारे में यह भी लिखा था कि शादी के समय जो मिलनी की जो रस्म होती है, उसमें भी जया के पिता ने लड़की के पिता होने के बावजूद जो एटीट्यूड दिखाया उससे उन्हें ख़ुशी नहीं हुई। उन्होंने अनमने मन से उनसे गले मिलते हुए कह दिया था कि वैसे तो मुझे आप पसंद नहीं हैं, लेकिन अपने बेटे की खातिर मैं आपसे गले मिल रहा हूं। इसके बाद जया से उनकी अकसर खटपट होती रही। अपने जीवन के अंतिम समय में वह इतने नाराज थे, कि उन्होंने आत्मकथा में यहां तक लिखा कि उन्होंने अपनी पत्नी से यह कहते हुए दिल्ली वापस लौटने को कहा था कि बच्चे बड़े हो गए हैं, अब हमें लौट जाना चाहिए। देवर अजिताभ और उनके परिवार से भी जया की कभी नहीं पटी। यही कारण है कि अमिताभ को फिल्म उद्योग में लाने वाले अजिताभ अपने परिवार के साथ विदेश में बसे हुए हैं।
ये भी कहा जाता है कि जया भादुड़ी के कारण ही अभिषेक और करिश्मा कपूर से शादी नहीं हो सकी। इस रिश्ते को लेकर रणधीर कपूर तो तैयार थे, लेकिन बबीता ने यह कहते हुए इंकार कर दिया था कि मैं जया के घर अपनी बेटी को नहीं ब्याह सकती। यह भी कहने वाले कम नहीं हैं कि जया की अपनी बहू ऐश्वर्या बच्चन से भी ज्यादा नहीं पटती। कई बार ऐश्वर्या और अभिषेक बच्चन के घर छोड़कर जाने की बातें भी सुनाई देती है। अमिताभ को लेकर भी जया ने कई बार ऐसे बयान दिए, जिससे लगा कि वे अपने पति को अपमानित करने की मुद्रा में हैं। पति के जन्मदिन के दिन भी वे अमिताभ को अकेला छोड़कर अपने राजनीतिक आका मुलायम सिंह यादव की अंत्येष्टि में हिस्सा लेने चली गई थी।
जया बच्चन अपनी समकालीन अभिनेत्रियों की तरह सुंदर तो नहीं रही। लेकिन, अपने अभिनय से वे उस दौर की अभिनेत्रियों से हमेशा आगे रही। बाद में जब वे अभिनेत्री से राजनेत्री बनी तो उनकी सीरत के साथ सूरत भी बदल गई। आमतौर पर फिल्म उद्योग से जुड़ी हस्तियां अपने रूप रंग को लेकर सजग रहती हैं। लेकिन, जया बच्चन ने इसे हमेशा नजर अंदाज कर सफेद बालों और चिढ-चिढे चेहरे के जरिए तरह-तरह की फब्तियां ही ज्यादा सुनी। रील लाइफ में जया बच्चन ने बेटी से लेकर मां और प्रेयसी से लगाकर पत्नी तक के रिश्ते बखूबी निभाए, लेकिन रियल लाइफ में पता नहीं क्यों सब कुछ होते हुए भी वे न तो अपने रिश्ते ईमानदारी से निभा पाई और न अपने चिढ़चिढ़े स्वभाव से निजात पा सकीं।