होलिका दहन के समय सामूहिक प्रार्थना भी की सिंधी समाज ने

विश्व शांति हो ,कोरोना जैसे रोग फिर ना आए

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होलिका दहन के समय सामूहिक प्रार्थना भी की सिंधी समाज ने

भोपाल: संत हिरदाराम नगर में सिंधी समाज द्वारा होली का दहन के कार्यक्रम अनेक स्थानों पर हुए जिसमें गौ काष्ठ का उपयोग किया गया ।

पारंपरिक रुप से सिंधी समाज द्वारा होलिका दहन में मोटी चपातियां जिसे रोट कहते हैं, बनाई जाती है जो होलिका की प्रतीक हैं।इसे होलिका दहन के निकट पूजन सामग्री के साथ रखा जाता है। गाय के गोबर के कंडो पर रखकर रोट पूजा स्थल पर ही पकाया जाता है। इन पर धागा लपेटा जाता है।ताज्जुब कि वह धागा जलता नहीं है।

ऐसे प्रसाद को उपस्थित लोगों को भी देते हैं।समाजसेवी राज मनवानी और लेखक भगवान बाबानी ने बताया कि कहीं कहीं कंडो पर ही सिके हुए बैंगन या आलू भी रोट के साथ वितरित किया जाता है। अंत में महिला पुरुष बच्चे मिलकर लोकगीत का आनंद लेते हैं। श्रद्धालुओं द्वारा सामूहिक रूप से “पलव” अर्थात विश्व शांति और भाईचारे की प्रार्थना भी की जाती है। आज भी ऐसी प्रार्थना की गई । कोरोना जैसे रोग फिर ना आए यह भी प्रार्थना की गई।मन्नत भी मांगी जाती हैं और अरदास करते हुए मिष्ठान जिसमें पारंपरिक गीहर, चवला, कड़ाव प्रसाद मीठे चावल बांटे जाते हैं। ऐसा ही एक दृश्य आज देखने को मिला।