Bhopal : दो दिन पहले गुस्से से उबलने वाले प्रदेश पंचायत और ग्रामीण विकास मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया के तेवर ठंडे पड़ गए। सिंधिया के साथ कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आए सिसोदिया ने अपने बयान से पलट गए।
महेंद्र सिंह सिसोदिया ने कहा कि अब मुझे कोई शिकायत नहीं है। बताते हैं कि पंचायत मंत्री को CM ने बुलाकर फटकार लगाई, उसके बाद उन्होंने नई बात करना शुरू कर दिया। पहले उन्होंने अपने प्रभार क्षेत्र शिवपुरी में थानेदारों के तबादले पर SP को आड़े हाथ लिया। फिर सिसोदिया ने चीफ सेक्रेटरी इकबाल सिंह बैंस को निरंकुश प्रशासक कहा था। शिवपुरी में थाना प्रभारियों के तबादलों के बाद और गुना में सही प्रोटोकॉल नहीं मिलने से वे कुछ ज्यादा ही भड़के हुए थे। उन्होंने शिवपुरी कलेक्टर को पत्र लिखकर SP पर कार्रवाई प्रस्तावित करने की भी बात भी कही थी।
उन्होंने CM की तारीफ करते हुए उन्हें देश का सर्वोच्च मुख्यमंत्री तक बताया। उधर, कांग्रेस ने इस पर चुटकी लेते हुए उठापटक का संकेत कहा था।
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उन्होंने कहा कि CM से काफी विस्तृत बात हुई है। अब कोई शिकवा-शिकायत नहीं है। सब कुछ नॉर्मल है। अब इस पर प्रतिक्रिया देने का कोई अर्थ नहीं है। मैं CM शिवराज सिंह का एक मंत्री हूँ और जैसा आदेश मुख्यमंत्री का होगा, वैसा ही करेंगे। उन्होंने कहा कि अगर प्रोटोकॉल का पालन नहीं हो रहा है तो निश्चित रूप से अधिकारी के खिलाफ दंड होना चाहिए। उन्ही को कारण बताओ नोटिस जारी करने की बात मैंने कही।
पंचायत मंत्री ने ये कहा
शुक्रवार को गुना में देर शाम पंचायत मंत्री ने कहा कि CM बहुत अच्छे हैं। लेकिन, CS जैसे अधिकारी के बारे में मेरे पास शब्द नहीं हैं। इतना निरंकुश प्रशासक और पूरा निरंकुश प्रशासन। इस निरंकुशता का आधार मुख्य सचिव हैं। उन्होंने यह भी कहा था कि उनकी नाराजगी मुख्य सचिव को लेकर है और हर उस व्यक्ति के साथ है जो हमारी पार्टी और संगठन के साथ काम नहीं करता। जो डुप्लीकेसी के साथ काम करते हैं, वो ही मेरे सबसे बड़े शत्रु हैं। सिसोदिया यहीं नहीं रुके, उन्होंने कहा कि ऐसे CS हैं जो मंत्रियों के फोन तक नहीं उठाते।
दो बड़े आरोप भी लगाए
पुलिस में हुए ट्रांसफर पर सिसोदिया ने कहा कि यह पुलिस प्रशासन का अधिकार है, कि वो ट्रांसफर कर सकता है, लेकिन, SP को चाहिए कि जनप्रतिनिधि के नाते बताए। ट्रांसफर कर दिए, जब फाइल मांगी तो वह भी नहीं भेजी गई। मेरी जानकारी में जो नाम लाए गए थे, मैंने उन पर सहमति नहीं दी। नाराजगी के साथ कलेक्टर को 29 अगस्त को पत्र लिखा, जिस पर आज तक जवाब नहीं बताया गया। नीति के तहत SP का ये दायित्व बनता है कि जनप्रतिनिधि जिससे सहमत नहीं था, अप्रूवल नहीं करें।
गुना के मकसूदनगढ़ में गुरुवार को एक शपथ ग्रहण कार्यक्रम था। वहां गया तो प्रोटोकॉल अधिकारी ताम्रकार नहीं थे। इस पर नोटिस दिया और कलेक्टर को भेजा, इस पर भी कोई जवाब नहीं मिला। यह निरंकुशता ही तो है।