सोलहवीं विधानसभा का षष्‍ठम् सत्र…दे गया सफलता का मंत्र…

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सोलहवीं विधानसभा का षष्‍ठम् सत्र…दे गया सफलता का मंत्र…

कौशल किशोर चतुर्वेदी

अमूमन जैसा विधानसभा सत्रों में होता है वैसा ही मध्य प्रदेश की सोलहवीं विधानसभा के षष्‍ठम् सत्र में भी हुआ। विपक्ष ने सरकार का पुरजोर विरोध किया। कभी बीन बजाया, कभी गिरगिट दिखाया, कभी माला पहनी तो कभी पुलिस की वर्दी पहन कर घोटालों की खिलाफत की। कभी विजय शाह का इस्तीफा मांगा तो वॉकआउट करने में भी कोई कसर नहीं छोड़ी। जब हंगामा किया तो जी भर कर किया लेकिन जब चर्चा की बात आई तब भी जी भर कर चर्चा की। पर विपक्ष की ऐसी नकारात्मकता देखने को नहीं मिली जिससे सरकार और विधानसभा अध्यक्ष सत्र को हंगामे के बीच ही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करने को मजबूर हो जाएं। और मध्य प्रदेश की 9 करोड़ आबादी जनप्रतिनिधियों को मनमानी करने के लिए और जनता का पैसा बर्बाद करने के लिए कोसने का काम करे। सत्ता पक्ष की तरफ से भी विपक्ष को आईना दिखाने का काम किया गया, आवाजें तल्ख हुईं, पर वह नौबत नहीं आई कि पक्ष और विपक्ष के बीच खड़ी लोकतंत्र की मजबूत दीवार जर्जर होकर पूरे सदन को निराशा और नकारात्मकता से भरकर सत्र को गर्त में धकेल दे। और इसीलिए यह दावा किया जा सकता है कि मध्य प्रदेश की सोलहवीं विधानसभा का षष्‍ठम् सत्र पक्ष और विपक्ष को जन-जन की उम्मीदों पर खरा उतरने के लिए सफलता का महामंत्र दे गया है। लोकतंत्र की मूल भावना भी यही है कि पक्ष-विपक्ष दो पहियों की तरह गाड़ी को सफलतापूर्वक मंजिल तक पहुंचाएं। और मंजिल तक पहुंचाने के लिए एक हुनरमंद गाड़ी हांकने वाले का होना जरूरी है। ऐसे में विधानसभा अध्यक्ष के रूप में नरेंद्र सिंह तोमर ने यह साबित कर दिया है कि वह व्यावहारिक रूप से तटस्थ रहते हुए पक्ष और विपक्ष की आवाज को रिकॉर्ड में दर्ज करने में सभी का भरोसा अर्जित करने की क्षमता रखते हैं।

जैसा कि विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर ने सत्र के अनिश्चितकाल के लिए स्थगित होने से पहले कहा कि मध्‍यप्रदेश की सोलहवीं विधान सभा का षष्‍ठम् सत्र अब समाप्ति की ओर है। इस सत्र में 08 बैठकें सम्‍पन्‍न हुईं, जिसमें विधायी, वित्‍तीय तथा लोक महत्‍व के अनेक कार्य सम्‍पन्‍न हुए।

इस सत्र में सदन ने अन्‍य कार्यों के अलावा वर्ष 2025-26 की प्रथम अनुपूरक मांगों को अपनी स्‍वीकृति प्रदान की। इस सत्र में कुल 3377 प्रश्‍न प्राप्‍त हुए, जिसमें 1718 तारांकित 1659 अतारांकित प्रश्‍न थे। ध्‍यानाकर्षण की कुल 840 सूचनाएं प्राप्‍त हुईं, जिनमें 32 सूचनाएं ग्राह्य हुईं। शून्‍यकाल की 308 सूचनाएं एवं 592 याचिकाएं प्राप्‍त हुई तथा 14 शासकीय विधेयक पारित किये गये। इसके साथ ही अनेक समितियों के 51 प्रतिवेदन भी प्रस्‍तुत हुए। विधानसभा की अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति वर्ग के कल्‍याण संबंधी एवं पिछड़े वर्गों के कल्‍याण संबंधी समितियों के लिए 11-11 सदस्‍यों का निर्वाचन किया गया। इस सत्र में नियम 139 के अधीन अविलंबनीय लोक महत्‍व के विषय प्रदेश में लगातार कम होते भू-जल स्‍तर एवं जल संग्रहण संरचनाओं के सतत समाप्‍त होने से उत्‍पन्‍न स्थिति के संबंध में सदन में लगभग 5 घण्‍टे 40 मिनट गंभीरता से विस्‍तृत चर्चा करने के साथ ही नियम 142-क के अधीन अल्‍पकालीन चर्चा भी हुई। इस सत्र में सदन की बैठकें देर रात तक तथा भोजनावकाश समाप्‍त कर चली, जिसके द्वारा सारगर्भित चर्चा कर विषयों को निपटाया गया। इस सत्र में शासन की ओर से 5 वक्‍तव्‍य भी सदन में प्रस्‍तुत हुए, जिसमें माननीय मुख्‍यमंत्री जी द्वारा विकसित भारत, विकसित मध्‍यप्रदेश को दृष्टिगत रखते हुए ‘मेक-इन मध्‍यप्रदेश’ एवं ‘निवेश प्रोत्‍साहन’ पर दिये गये अपने वक्‍तव्‍य में प्रदेश की समृद्धि, राष्‍ट्रीय प्रगति में प्रदेश की भूमिका और प्रदेश में रोजगार के बेहतरीन अवसर सुनिश्चित किये जाने हेतु किये जा रहे प्रयासों और भविष्‍य की संभावनाओं से सदन को अवगत कराया गया। इस पर माननीय नेता प्रतिपक्ष द्वारा भी सकारात्‍मक प्रतिक्रिया व्‍यक्‍त की गई।

मध्‍यप्रदेश विधान सभा देश की सर्वश्रेष्‍ठ विधान सभाओं में से एक है जो अपने नवाचारों के लिये पहचानी जाती है। इसी क्रम में दिनांक 28 जुलाई 2025 को संपन्‍न कार्य मंत्रणा समिति की बैठक में चर्चा अनुसार मध्‍यप्रदेश राज्‍य के पूर्व मुख्‍यमंत्री तथा मध्‍यप्रदेश विधान सभा के पूर्व अध्‍यक्ष जो अब हम सबके बीच में नहीं है, उनके जन्‍मदिवस के अवसर पर विधान सभा परिसर में उनका चित्र लगाकर श्रद्धा सुमन अर्पित किया जाना प्रारंभ किया गया, जिसके परिप्रेक्ष्‍य में दिनांक 1 अगस्‍त 2025 को मध्‍यप्रदेश राज्‍य के प्रथम मुख्‍यमंत्री पं. रविशंकर शुक्‍ल, दिनांक 3 अगस्‍त को मध्‍यप्रदेश विधान सभा के पूर्व अध्‍यक्ष श्री गुलशेर अहमद तथा दिनांक 5 अगस्‍त 2025 को पूर्व मुख्‍यमंत्री पं. द्वारका प्रसाद मिश्र के जन्‍मदिवस के अवसर पर विधान सभा के सेन्‍ट्रल हॉल में उन्‍हें पुष्‍पांजलि के साथ श्रद्धा सुमन अर्पित किये गये।

लोकतंत्र विचार-विमर्श, सामंजस्‍य और सर्वसम्‍मति से किसी निर्णय पर पहुंचने की पद्धति है। हमारी संसदीय व्‍यवस्‍था भी इन्‍हीं आदर्शों पर आधारित है। सदन की कार्यवाही नियम-प्रक्रियाओं से संचालित होती हैं और ये नियम प्रक्रियाएं तभी तक कायम रह सकती हैं जब सदस्‍यों में इनका पालन करने तथा स्‍वीकारने की भावना हो। पक्ष और विपक्ष की दलीय प्रतिबद्धताएं भिन्‍न हो सकती हैं लेकिन सबसे ऊपर होता है लोकहित, जिसके लिये ये सारी प्रणाली संचालित है। माननीय सदस्‍यों द्वारा इस सत्र में विधायी, वित्‍तीय और अनेक लोक महत्‍व के विषयों पर की गई चर्चायें इस बात का प्रतीक है कि माननीय सदस्‍य अपने कर्त्‍तव्‍यों और कार्यों के प्रति कितने सजग और प्रतिबद्ध है।

इस सत्र के सुचारू संचालन के लिए, मैं सदन के नेता माननीय मुख्‍यमंत्री जी, माननीय नेता प्रतिपक्ष, संसदीय कार्य मंत्री सहित सभी माननीय मंत्रीगणों, सभापति तालिका के सदस्‍यों, सभी माननीय सदस्‍यों, प्रिंट और इलेक्‍ट्रानिक मीडिया से जुडे़ महानुभावों, विधान सभा के प्रमुख सचिव, विधान सभा सचिवालय तथा शासन के अधिकारियों, कर्मचारियों और सुरक्षाकर्मियों को धन्‍यवाद देता हूं।

मैं अपनी और पूरे सदन की ओर से प्रदेशवासियों को आगामी रक्षा बंधन, स्‍वतंत्रता दिवस तथा जन्‍माष्‍टमी पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं देते हुए प्रदेश की समृद्धि तथा खुशहाली की कामना करता हूं। अगले सत्र में हम सब पुन: समवेत होंगे, धन्‍यवाद।

मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने सदन में उपस्थित सभी सदस्यों,विपक्ष, विधानसभा अध्यक्ष और मंत्रियों को उनके योगदान के लिए धन्यवाद दिया।मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि लोकतंत्र में पक्ष और विपक्ष दोनों की आवाज जरूरी होती है। हमने इस सत्र के दौरान सभी मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की। आखिरी क्षण तक सत्र चला और विचारों का आदान-प्रदान सकारात्मक रहा। उन्होंने कहा कि सरकार ने जो भी विषय सत्र के दौरान तय किए थे, वे सफलता के साथ पूरे किए गए हैं।मध्यप्रदेश विधानसभा सत्र के समापन के अवसर पर मुख्यमंत्री ने सदन में दिए अपने संबोधन में सरकार की उपलब्धियों, भविष्य की योजनाओं और विपक्ष द्वारा उठाए गए सवालों पर विस्तार से बात की। उन्होंने कहा कि यह सत्र “सारगर्भित और अनुशासित” रहा और अन्य राज्यों की विधानसभाओं की तुलना में मध्यप्रदेश की कार्यशैली अधिक रचनात्मक और सकारात्मक रही है।मुख्यमंत्री ने सदन में विक्रमादित्य का सम्मान करते हुए कहा कि आपने जब विक्रमादित्य की बात की, उसी दौरान विक्रम विश्वविद्यालय के नामकरण का गौरव भी हमें प्राप्त हुआ। यह हमारी सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत का सम्मान है।

नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने कहा कि यह कुर्सी हमारी जनसेवा की है, न कि व्यापारिक लाभ की। हमें इसे सामाजिक न्याय के माध्यम के रूप में देखना और जनता की आवाज बनकर काम करना होगा। सिंघार ने कहा कि एक समय था जब मध्यप्रदेश देश का सबसे कम सत्र चलाने वाला राज्य बन गया था, लेकिन विधानसभा अध्यक्ष के प्रयासों से इसमें सुधार हुआ है। उन्होंने सुझाव दिया कि विधानसभा की कार्यवाही का सीधा प्रसारण (लाइव टेलीकास्ट) होना चाहिए, ताकि आम जनता तक सदन की कार्यवाही पारदर्शी रूप में पहुंच सके। इस विषय पर विधानसभा अध्यक्ष, मुख्यमंत्री और पूरे सदन को गंभीरता से विचार करना चाहिए। नेता प्रतिपक्ष ने विधायक निधि को लेकर भी अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि 2 करोड़ की विधायक निधि आज की आवश्यकताओं के अनुरूप नहीं है। इसे बढ़ाकर 5 करोड़ किया जाए, ताकि विधायक अपने क्षेत्र में बुनियादी सुविधाओं और विकास कार्यों को बेहतर तरीके से पूरा कर सकें। इसके साथ ही श्री सिंघार ने विधायकों के मानदेय की स्थिति पर भी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि एक विधायक की तनख्वाह महज 30-35 हजार रुपये है, जबकि इससे अधिक वेतन तो कई कर्मचारियों को प्राप्त होता है। उन्होंने इस विषय को लेकर भी विचार की आवश्यकता बताई। सिंघार ने कहा कि जनता को सिर्फ कानून बनने से मतलब नहीं होता, बल्कि उसे जमीन पर बुनियादी सुविधाएं चाहिए सड़क, पानी, शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार। हमें इस सदन से वही आवाज उठानी होगी जो जनता की जरूरतों से जुड़ी हो। नेता प्रतिपक्ष ने अंत में विधानसभा अध्यक्ष, मुख्यमंत्री, सदस्यों सहित मीडिया और विधानसभा के कर्मचारियों को भी धन्यवाद दिया।

सत्र के समापन पर 6 अगस्त 2025 को विधानसभा अध्यक्ष, मुख्यमंत्री, नेता प्रतिपक्ष सभी का पक्ष यह साबित कर रहा है कि मध्य प्रदेश की सोलहवीं विधानसभा का षष्ठम सत्र सफलता का मंत्र देकर गया है। और मध्य प्रदेश के सभी जनप्रतिनिधियों से अब यही उम्मीद लगाई जाएगी कि हर सत्र में लोकहित को ध्यान में रखते हुए इसी तरह की कार्य प्रणाली और सत्र की लंबी अवधि बनी रहे…।