राजस्थान में पर्ची और खर्ची की सरकार, लोकसभा चुनाव से पहले अंतरराज्यीय जल समझौतों पर भिड़े भाजपा और कांग्रेस के दिग्गज

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राजस्थान में पर्ची और खर्ची की सरकार, लोकसभा चुनाव से पहले अंतरराज्यीय जल समझौतों पर भिड़े भाजपा और कांग्रेस के दिग्गज

गोपेन्द्र नाथ भट्ट की विशेष रिपोर्ट

अंतरराज्यीय जल समझौतों पर हमेशा घाटे में रहें देश के भौगोलिक दृष्टि से बड़े प्रदेश राजस्थान में इस बार विधान सभा चुनाव जीत सत्ता में आई भाजपा की भजन लाल शर्मा सरकार ने पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना ईआरसीपी और यमुना जल विवाद को सुलझाने में फुर्ती दिखाते हुए लोकसभा आम चुनाव से पहले भारत सरकार और संबंधित प्रदेशों के साथ एमओयू कर तेजी से आगे बढ़ने का प्रयास किया है । इसमें केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शक्तावत अहम भूमिका निभा रहे है।

यमुना जल समझौते को लेकर गुरुवार को भाजपा और कांग्रेस के दिग्गज आपस ने भिड गए। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने भाजपा को पर्ची की सरकार और भाजपा के राज्यसभा सांसद घनश्याम तिवाड़ी ने कांग्रेस को खर्ची की सरकार कहा।प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि भाजपा ने प्रदेश के हितों को नजर अंदाज कर हरियाणा के साथ यमुना समझौता किया है।इससे राजस्थान को मात्र 1917 क्यूसेक जल ही मिलेगा जबकि बकौल हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर हरियाणा को 24 हजार क्यूसेक पानी मिलेगा जबकि समझौते के अनुसार उन्हे कम 13 हजार क्यूसेक और राजस्थान के शेखावाटी के झुंझुनूं सीकर चूरू आदि को अधिक पानी मिलना था।

इधर यमुना जल समझौते को लेकर राज्यसभा सांसद घनश्याम तिवाड़ी ने गुरुवार को मीडिया के समक्ष ताजेवाला हेड से यमुना जल समझौते को लेकर राज्य सरकार का आभार व्यक्त किया और उन्होंने ट्रिपल इंजन की सरकार को धन्यवाद दिया.

उन्होंने कहा कि 1994 यमुना के फ्लड वाटर पर समझौता हुआ था. इस समझौते में पानी कि मात्रा तय नहीं की गई थी. दूसरा समझौता वर्ष 2003 में हुआ, जिसमें पानी मात्रा तय की गई. इसमें तय किया गया था कि ताजेवाला हेड का पानी शेखावाटी में आएगा.30 साल तक कांग्रेस की नीतियों के कारण शेखावाटी को पानी नहीं मिल सका.

आज कांग्रेस चीफ डोटासरा कह रहे कि यमुना जल का कोई समझौता नहीं हुआ.अब जो प्रदेश की भजनलाल सरकार ने समझौता किया है. उसके तहत यमुना से 577 एम सी एम पानी मिलेगा. 577 एम सी एम का मतलब 5 बार बीसलपुर बांध भर जाए. गोविंद सिंह डोटासरा को घनश्याम तिवाड़ी ने आड़े हाथों लेते हुए कहा कि आप भजनलाल सरकार को पर्ची की सरकार कह रहे हो लेकिन आपकी सरकार 5 साल तक खर्चे कि सरकार रही. आप 5 साल तक होटल में बंद रहे कांग्रेस सरकार अब खंबे नोचने का काम कर रही है. मैं ई आर सी पी के लिए भी मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को बधाई देता हूं. यह केवल कागजी समझौता नहीं है. इसके लिए केंद्र सरकार भरपूर पैसा देगी. भजनलाल सरकार ने राजस्थान के 21 जिलों के लिए पानी का इंतजाम कर दिया है. इसलिए कांग्रेस के पास बोलने के लिए कुछ नहीं है.

यमुना जल समझौते में भाजपा नहीं कांग्रेस भ्रमित कर रही है. समझौते कि मिनिट्स लिखी गई है, सभी चीजें जनता के सामने है. कांग्रेस लगातार झूठ बोल रही है. इसलिए भाजपा को प्रेसवार्ता करके जानकारी देनी पड़ी. हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने बिल्कुल सही कहा है. मोदी है तो मुमकिन है, राजस्थान को पानी जरूर मिलेगा कांग्रेस पार्टी ने पिछले 5 साल कुछ नहीं किया. तो उसे इस तरीके के सवाल पूछने का अधिकार भी नहीं. प्रश्न मैं कांग्रेस से पूछ रहा हूं कि उन्होंने इस पानी को 5 साल तक क्यों नहीं आने दिया ?

उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों प्रदेश की महत्वाकांक्षी पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना की संशोधित परियोजना पर भारत सरकार राजस्थान सरकार और मध्य प्रदेश सरकारों के मध्य एम ओ यू पर हस्ताक्षर हुए है। इससे अब 13 के स्थान पर 21 जिलों को सिंचाई जल और पेयजल का लाभ मिलेगा । इसी तरह यमुना जल पर एक महत्वपूर्ण समझौता हुआ है तथा केंद्रीय जलशक्ति मंत्रालय, हरियाणा और राजस्थान के मध्य त्रिपक्षीय एमओयू पर हस्ताक्षर हुए है। समझौते के अनुसार ताजेवाला हेड वर्क्स से राजस्थान के शेखावाटी क्षेत्र के तीन जिलों सीकर,झुंझुनू और चुरु को यमुना का पानी मिलेगा ।

यह त्रिपक्षीय समझौता राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, केन्द्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की उपस्थिति में नई दिल्ली में हुआ केन्द्र सरकार, हरियाणा सरकार और राजस्थान सरकार के मध्य हुआ । इस एमओयू के तहत ताजेवाला से पानी के प्रवाह प्रणाली के क्रम में डीपीआर बनाने पर सहमति बनी है । इस योजना के मूर्त रूप लेने के बाद राजस्थान को ताजेवाला हेड-वर्क्स से यमुना नदी का पानी मिल सकेगा और बारिश में व्यर्थ बह जाने वाले जल का भी समुचित उपयोग हो सकेगा। इस अवसर पर राजस्थान और हरियाणा सरकार तथा केन्द्रीय जलशक्ति मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारीगण भी उपस्थित रहे।

एमओयू के बाद मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने कहा कि प्रोजेक्ट में भूमिगत पाइपलाइनों के माध्यम से यमुना नदी का पानी राज्य के तीन जिलों सीकर, चूरू और झुंझुनू को उपलब्ध कराया जायेगा। उन्होंने कहा कि यह परियोजना दोनों राज्यों के लिए हितकारी साबित होगी। इस समझौते पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने कहा कि पूर्ववर्ती सरकार द्वारा ध्यान नहीं दिए जाने के कारण यह योजना काफी समय से लंबित थी। इसके धरातल पर उतरने के बाद राजस्थान को उसके हिस्से का पूरा पानी मिलेगा और शेखावाटी क्षेत्र के तीन जिलों सीकर, चूरू और झुंझुनू की पेयजल समस्या का समाधान हो सकेगा। उन्होंने राजस्थान के हित में इस एमओयू के लिए हरियाणा के मुख्यमंत्री एवं जलशक्ति मंत्री का आभार प्रकट किया।
उल्लेखनीय है कि यमुना जल पर मई 1994 में हुए समझौते के अनुसरण में राजस्थान को हरियाणा स्थित ताजेवाला हेड पर मानसून के दौरान 1917 क्यूसेक जल आवंटित है। वर्तमान में ताजेवाला हेड से राजस्थान को जल लाने हेतु कैरियर सिस्टम उपलब्ध नहीं है। राज्य द्वारा वर्ष 2003 में हरियाणा की नहरों को रिमॉडलिंग कर राजस्थान में उक्त जल लाए जाने हेतु व पुनः वर्ष 2017 में भूमिगत प्रवाह प्रणाली के माध्यम से जल लाने हेतु हरियाणा सरकार को एमओयू भेजा गया जिस पर हरियाणा राज्य की सहमति प्राप्त नहीं हो सकी थी। पिछले 30 वर्षों के दौरान राजस्थान द्वारा लगातार इस मुद्दे को अपर यमुना रिव्यू कमिटी व अन्य अंतराज्यीय बैठकों में निरंतर रखा गया।
अब मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और केन्द्रीय जलशक्ति मंत्री शेखावत के सम्मिलित प्रयासों से ताजेवाला हेड पर आवंटित जल के राजस्थान में पेयजल उपयोग हेतु प्रथम चरण की संयुक्त रूप से डीपीआर बनाने हेतु एमओयू किया गया है। इस मौके पर केन्द्रीय जलशक्ति मंत्रालय की सचिव देबाश्री मुखर्जी, राजस्थान के अतिरिक्त मुख्य सचिव जल संसाधन अभय कुमार तथा कमिश्नर एवं शासन सचिव जल संसाधन हरियाणा पंकज अग्रवाल द्वारा एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए।

उल्लेखनीय है कि समझौते के अनुसार यमुना का पानी ताजे वाले हैड से राजस्थान को आवंटित है जो राजस्थान के चूरू एवं झुन्झुनू जिलों में सिंचाई तथा पीने के लिए उपयोग में लाया जायेगा। इस पानी हेतु 1994 में पांच राज्यों के (हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश व दिल्ली) मुख्यमंत्रियों के मध्य समझौते में राजस्थान को ताजे वाले हैड से 1917 क्युसेक एवं औखला हैड से 1281 क्युसेक पानी भरतपुर के लिए दिया जाना तय हुआ जो कि 14 अप्रेल 2002 के केन्द्रीय जल आयोग को भिजवाया गया जिसे उसकी तकनीकी परामर्शदात्री समिति द्वारा 7 फरवरी, 2003 को परियोजना का अनुमोदन करने के पश्चात् केन्द्रीय जल-आयोग ने 12 मार्च, 2003 को स्वीकृति जारी कर दी। उसके बाद जल की उपलब्धता के लिए एक रिव्यु कमेटी का गठन किया गया, जिसने अपनी रिपोर्ट दे दी है। उस रिपोर्ट में पानी की उपलब्धता के बारे में बताया गया है।

इस सम्बन्ध में राजस्थान सरकार का यह रहा है कि हरियाणा ताजे वाले हैड से पानी पश्चिमी यमुना, कैनाल व उसकी प्रणाली को रिमोड लिंग करके उस पानी को राजस्थान की सीमा तक पहुंचाया जाये। जिसकी रिमोडलिंग का खर्चा राजस्थान सरकार वहन करेगी तथा ऐसा करना तकनीकी वित्तीय दृष्टि से सही भी है जबकि हरियाणा सरकार वैस्टर्न यमुना कैनाल के बराबर अलग अपनी कैनाल बनाकर पानी ले जाने की बात करती है जो कि उचित नही है, क्योंकि यह सब समय निकालने के बहाने रहे है। अब केन्द्र सरकार ने इसमें हस्तक्षेप करके हरियाणा सरकार को एम.ओ.यू. के लिए सहमति दिलाई है क्योंकि चूरू एवं झुन्झुनू जिले डार्क जोन में आते है तथा इस कारण से जल स्तर भी तेजी से गिरा है। इससे यहां पीने के पानी की भारी मात्रा में किल्लत है तथा इस क्षेत्र में यमुना के पानी के अलावा और कोई साधन सम्भव नहीं है। इसके अलावा इस क्षेत्र में यमुना से सिंचाई प्रस्तावित है। यह क्षेत्र भी भूजल रिचार्ज के लिए अच्छा है। यहां भूमिगत एक्वाफायर स्थित है जहां कृत्रिम रूप से भूमि में रिचार्ज किया जा सकता है। भरतपुर में भी औखला हैड से पानी आना प्रस्तावित है। इसका भी इसके साथ ही काम शुरू करने की जरूरत है।

राजस्थान क्षेत्रफल की दृष्टि से देश का सबसे बड़ा राज्य होने के साथ ही देश का सबसे बड़ा रेगिस्तानी हिस्सा भी है। राज्य में देश का सबसे कम मात्रा में सतही और भू जल उपलब्ध है। राज्य के लोगों की आजीविका का कृषि एवं पशुपालन मूल व्यवसाय होने की वजह से यहां पानी की आवश्यकता सबसे अधिक है, क्योंकि यहां सबसे कम वर्षा जल उपलब्ध होने के साथ-साथ रेगिस्तान प्रधान होने से प्रदेश का तापमान भी बहुत अधिक रहता है। राज्य का 60 प्रतिशत हिस्सा रेगिस्तानी है। इन सारे हालातों के बाद भी राजस्थान के साथ पड़ौसी राज्यों का वर्षों से जल-विवाद चलते रहने से राजस्थान हमेशा अपने हक से वंचित रहा है।

राजस्थान के सबसे बड़े जल स्त्रोत रावी, व्यास, सतलुज नदी से प्रदेश को इंदिरा गांधी नहर परियोजना को मिलने वाला पानी है जिसमें से पंजाब एवं हरियाणा को भी पानी उपलब्ध होता है। इस पूरे तन्त्र पर नियन्त्रण हेतु केन्द्र सरकार ने एक निगम का गठन किया हुआ है जिसका नाम – ‘भाखड़ा व्यास प्रबन्धन निगम’ है। इन तीनों नदियों से प्राप्त पानी एवं पानी का वितरण, प्रबन्धन, रखरखाव, ये समस्त कार्य इसी निगम के पास है। लेकिन पंजाब सरकार ने आज तक रोपड़, हरिके एवं फिरोजपुर हैडवर्कस का नियन्त्रण भाखड़ा व्यास प्रबन्धन निगम को नहीं सौंपा है जो कि गैर-कानूनी है, जबकि पंजाब पुनर्गठन अधिनियम, 1966 अनुच्छेद 79 के प्रावधान के अन्तर्गत इन तीनों हैडवर्कस का नियंत्रण इसी निगम के पास होना चाहिए। इसका 8.68 एम.ए.एफ. पानी राजस्थान राज्य का हिस्सा है, जोकि सम्पूर्ण पानी का 52.47 प्रतिशत है। ऐसी स्थिति में उक्त निगम में एक पर्मानेंट मेम्बर राजस्थान से होना चाहिए, लेकिन इसके विपरीत राज्य का कोई मेम्बर आज तक नहीं रहा जो कि पंजाब पूर्व गठन अधिनियम 1966 के अनुच्छेद 79 के उपानुच्छेद 2(9) में साफ है कि चैयरमेन व दो परमानेन्ट मैम्बर की नियुक्ति का अधिकार केन्द्र सरकार के पास है तथा चैयरमैन प्रभावित राज्यों के अलावा व दो परमानेन्ट सदस्य तीन राज्यों से जिसमें से एक सदस्य ऊर्जा एवं एक सदस्य सिंचाई का होता है।
पंजाब की अमरेंद्र सिंह और प्रकाश सिंह बादल सरकार ने पंजाब विधान सभा में एक संकल्प पत्र पारित कर राजस्थान के हिस्से के 8.68 एम.ए.एफ. पानी में से 0,68 एम.ए.एफ पानी आदिनाक तक राजस्थान को नही दिया है जोकि राजस्थान में तब नहरी संरचना तैयार नहीं होने से पंजाब के उपयोग के लिए दिया गया था। पंजाब राजस्थान को गंदा और विषेला पानी देता ही जिससे मानव पशु और प्रदेश के जमीन को काफी नुकसान हो रहा हे

राजनीतिक जानकारों का कहना है कि मोटे-तौर पर राजस्थान के तीन चार अन्तर्राज्य जल-विवाद है। ये विवाद चुनावों में भी राजनैतिक मुद्दा बनते आए है। केन्द्र सरकार द्वारा इन जल विवादों को गम्भीरता से लेकर राजस्थान की भौगोलिक आर्थिक और सामाजिक परि स्थितियों को देखते हुए राजस्थान को उसका वाजिब हक दिलवाने में और अधिक तेजी से आगे आकर अहम भूमिका निभानी चाहिए अन्यथा वर्षों से अटके जल विवादों का फैसला नहीं होने से राजस्थान जैसे पानी की कमी वाले प्रदेश को नुकसान होता रहेगा।

देखना है राजस्थान को उसके पानी का हक दिलाने के लिए केंद्र सरकार और भी क्या प्रयास करती है तथा भाजपा और कांग्रेस के दावों में कितना दम है यह भी देखने वाली बात होंगी?