धीरे धीरे सधे कदम, पहुंच गए चांद पर हम।

2706

कविता:धीरे धीरे सधे कदम, पहुंच गए चांद पर हम।

धीरे धीरे सधे कदम, पहुंच गए चांद पर हम।
कोशिश करके सिद्ध किया है, नहीं किसी से हम हैं कम।।

कोशिश कर करके ही चींटी,
बड़े पहाड़ों पर चढ़ जाती।
कोशिश करके ही मकड़ भी,
चक्रव्यूह सा जाल बनाती।
बना घोंसला सिद्ध किया है,
गौरैया ने अपना दम।।
धीरे धीरे ।।

चन्द्रयान -दो की असफलता,
त्रुटियों का सब लिया पता।
युध्द जीतकर विक्रम ने फिर,
दमखम सबको दिया बता।।
पल पल चौकस नजर अब,
मेहनत नहीं जरा भी कम।।
धीरे धीरे0।।

यह भारत की देवभूमि है,
पवनपुत्र ने निगला सूरज।
आज चन्द्रमा की छाती पर,
चन्द्रयान उतरा है सज-धज।।
उगा दिया चन्दा पर सूरज,
खुशियों से हैं आंखें नम।।
धीरे धीरे0।।

WhatsApp Image 2023 08 23 at 19.41.16

निशिवासर संकल्प शक्ति से
ऋषिपुत्रों के स्वेद कणों में।
नव-इतिहास रचा भारत ने
विश्वपटल पर स्वर्ण क्षणों में।।
बढ़ा आत्मविश्वास देश का,
हम दुनिया में आज प्रथम।
धीरे धीरे0।।

 अशोक चन्द्र दुबे ‘अशोक’
प्रधान सम्पादक
विप्र वाणी, भोपाल

बादल राग: डॉ. सुमन चौरे, लोक संस्कृति विद् एवं लोक साहित्यकार

Today’s thought:जीवन मे किसी बेसहारा की मदद करके देखो!