स्मृति शेष : नवल किशोर नैथानी पेपर टेक्नोलॉजी के विशेषज्ञ ज्ञाता से जीवन का संदेश!

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स्मृति शेष : नवल किशोर नैथानी पेपर टेक्नोलॉजी के विशेषज्ञ ज्ञाता से जीवन का संदेश!

कर्मयोगी की रिपोर्ट

जीवन में कभी ऐसे व्यक्तित्व से रू-ब-रू होने का अवसर मिल जाता है, जिनकी स्मृतियां जीवन पर्यंत जीवंत रहती हैं। सहजता, सरलता, सौम्यता व सकारात्मक मनुष्य का मौलिक गुण है, लेकिन ये गुण अब विरले लोगों में ही मिलता। लोगों के जीवन में इतनी कृत्रिमता आ गई है कि उनके व्यवहार में सहजता का बोध ही नहीं होता। यदि गुणवान व्यक्तित्व मिल जाते हैं तो वे खून के रिश्तों से ज्यादा सुख देते हैं।

रुड़की में आज भी जब अपने घर से निकलता हूं तो एक आत्मीय सा घर बरबस ध्यान खींचता है। कभी उस घर में सकारात्मक ऊर्जा का सूत्र शब्द ‘स्वस्ति सुमन’ लिखा होता था। नीचे नाम लिखा होता था नवल किशोर नैथानी। कई मित्र पूछते थे तुम्हारे भाई हैं। मैं कहता था भाई से बढ़कर। अब नवल जी हमारे बीच नहीं है। वो घर बिक चुका है। जिस व्यक्ति ने खरीदा है अपनी प्रवृत्ति का नाम रखा है। लेकिन जब भी उस गली से गुजरता हूं घर की तरफ नजर चली ही जाती है।

नवल जी एक बड़े अधिकारी रहे हैं। देश-विदेश में पेपर टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में उनका नाम रहा है। कई साल विदेशों में भी रहे। श्री नवल किशोर नैथानी ने बनारस विश्वविद्यालय से केमिकल टेक्नोलॉजी में एमएससी गोल्ड मेडल के साथ उत्तीर्ण की थी। वे भारत के इंस्टीट्यूट ऑफ पेपर टेक्नोलॉजी के संस्थापक निदेशक थे। यह संस्थान अब आईआईटी रुड़की हिस्सा है। नवल जी पेपर टेक्नोलॉजीज उद्योग में एक विशेषज्ञ की हैसियत रखते थे।

घर के पास होने व नैथानी होने के नाते उनसे मुलाकात हुई। हमारे गांव नैथाना से थे, तो आत्मीय भाव था। एक रिश्ता ऐसा ही खून के रिश्तों से बढ़कर। हमारे रक्त संबंधों में कई लोग शीर्ष की सफलता वाले रहे, लेकिन आत्मीय भाव की कमी खली। बड़े खजूर के पेड़ सरीखे … पंछी को छाया नहीं। लेकिन नवल जी हमेशा आत्मीय भाव से मिलते थे। मेरे लेख जब किसी अखबार में छपते, तो चर्चा करते और गाहे-बगाहे हालचाल पूछते। आज जब भी रुड़की जाना होता है नजरें उन्हें तलाशती हैं।

यूं तो जीवन के कई प्रसंग याद हैं लेकिन उनकी दो बातें मुझे गहरे तक छू गई। एक बार बातचीत पर जिक्र चला तो उन्होंने बताया कि जब मैं सेवानिवृत्त हुआ तो मेरे सहकर्मी मेरे पास आए और बोले कि लंबे जीवन अनुभवों में से कुछ बांटिए! तब नवल जी ने अपने सहकर्मियों से कहा कि दो बातें जीवन में सदा याद रखना। एक अपने रिटायर सहकर्मी का सदा ख्याल रखना। हालचाल पूछते रहना। व्यापक अनुभव व ऊर्जा की उम्र में व्यक्ति सेवानिवृत्त होता है। व्यवस्थागत कारणों से वह रिटायर होता है। फिर एकाकी जीवन जीने को बाध्य हो जाता है। विभाग, समाज व परिवार में वह उपेक्षित महसूस करता है।

दूसरा यह कि जब भी कोई व्यक्ति आपके पास काम के लिए आता है, तो प्रयास करने के बाद भी यदि आप उसका काम नहीं करा पाते तो उसे अहसास न होने दें कि आपने प्रयास नहीं किए। मैंने जीवन में उनकी ये दो बात हमेशा याद रखी। वे याद आते हैं। वे जहां भी होंगे ऋषि कर्म में रत होंगे। वे सदा मेरे जीवन के अहसासों में विद्यमान रहेंगे।