Snakebite: अविलंब जीवन रक्षक प्रतिविष चिकित्सा

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Snakebite: अविलंब जीवन रक्षक प्रतिविष चिकित्सा

डॉ. तेज प्रकाश पूर्णानंद व्यास

नागपंचमी के पावन पर्व पर, जब हम नाग देवता का सम्मान करते हैं, तो यह और भी महत्वपूर्ण हो जाता है कि हम उनके साथ जुड़े जीवन-रक्षक ज्ञान को भी समझें और जन सामान्य में साझा करें। यह लेख सर्पदंश की आपातकालीन स्थिति में क्या करना चाहिए, इसके बारे में अमूल्य जानकारी देता है।

सर्पदंश: समय की बचत ही जीवन है

भारत में पाए जाने वाले लगभग 300 सर्प प्रजातियों में से, मानव जीवन के लिए घातक विषैले सर्प मुख्य रूप से ‘बिग फोर’ के नाम से जाने जाते हैं। इन चार सर्पों के दंश पर अविलंब प्रतिविष (एंटीवेनम) चिकित्सा ही जीवन रक्षक है।
भारत के ‘बिग फोर’ विषैले सर्प हैं:
* भारतीय कोबरा (नाग)
* कॉमन करैत
* रसेल वाइपर
* सॉ-स्केल्ड वाइपर

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इनमें से किसी भी सर्प के दंश पर, पीड़ित को तत्काल अस्पताल ले जाना अत्यंत महत्वपूर्ण है। इंदौर में शासकीय एमवाय चिकित्सालय जैसे बड़े अस्पतालों में प्रतिविष चिकित्सा उपलब्ध है। सर्पदंश के उपरांत झाड़-फूंक, भोपा, गंडा-तावीज या किसी भी अप्रमाणित पारंपरिक उपचार के चक्कर में समय गंवाना मूर्खता है, जिससे बहुमूल्य जीवन का नुकसान हो सकता है।

 

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भारत के चार प्रमुख विषैले सर्पों के दंश के लक्षण:

भारत में मानव जीवन के लिए अत्यंत घातक माने जाने वाले ‘बिग फोर’ सर्प प्रजातियाँ हैं: भारतीय कोबरा (नाग), कॉमन करैत, रसेल वाइपर और सॉ-स्केल्ड वाइपर। प्रत्येक सर्प का विष अपने विशिष्ट गुणों के कारण शरीर पर भिन्न-भिन्न प्रकार से प्रभाव डालता है, जिससे लक्षणों में भी विविधता आती है।
1. भारतीय कोबरा (नाग) दंश के लक्षण (न्यूरोटॉक्सिक विष का भयावह प्रभाव)
भारतीय कोबरा का विष मुख्य रूप से हमारे तंत्रिका तंत्र (न्यूरोटॉक्सिक) पर सीधा प्रहार करता है, जिससे शरीर की महत्वपूर्ण क्रियाएँ बाधित होने लगती हैं। इसके भयावह लक्षण निम्नलिखित हैं:

पलकों का गिरना (Palpebral Ptosis): यह एक प्रारंभिक और महत्वपूर्ण संकेत है, जिसमें आँखों की पलकें भारी होकर अनैच्छिक रूप से गिरने लगती हैं, जिससे दृष्टि बाधित होती है।

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बोलने या निगलने में कठिनाई (Dysarthria/Dysphagia): विष के प्रभाव से जीभ और गले की मांसपेशियाँ प्रभावित होती हैं, जिससे आवाज लड़खड़ाने लगती है और भोजन या तरल पदार्थ निगलने में असहनीय परेशानी होती है।

मांसपेशियों में गंभीर कमजोरी (Muscular Weakness): शरीर के विभिन्न हिस्सों में मांसपेशियों की शक्ति क्षीण होने लगती है, जो धीरे-धीरे बढ़ती हुई लकवे (Paralysis) में बदल सकती है।

 

 

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श्वसन संबंधी आपातकाल (Respiratory Distress/Failure): यह सबसे खतरनाक लक्षण है, क्योंकि विष श्वसन मांसपेशियों को पंगु बना देता है, जिससे सांस लेने में अत्यधिक कठिनाई होती है और अंततः सांस रुक सकती है, जो तत्काल जीवन के लिए खतरा बन जाता है।

मानसिक भटकाव और सुस्ती (Mental Disorientation/Drowsiness): रोगी भ्रमित, सुस्त या अचेत अवस्था में जा सकता है, जिससे प्रतिक्रिया करने की क्षमता कम हो जाती है।

 

 

2. कॉमन करैत दंश के लक्षण

(घातक न्यूरोटॉक्सिक विष का अदृश्य प्रहार)
कॉमन करैत का विष भी अत्यंत शक्तिशाली न्यूरोटॉक्सिक होता है। इसके दंश की विशेषता यह है कि यह अक्सर रात में होता है और प्रारंभिक दर्द या सूजन न होने के कारण इसका पता लगाना मुश्किल हो सकता है, जिससे बहुमूल्य समय बर्बाद हो जाता है:

मांसपेशियों में गंभीर दर्द और ऐंठन: विशेषकर पेट और पीठ की मांसपेशियों में असहनीय दर्द और अकड़न महसूस होती है।

पलकों का गिरना (Ptosis) और धुंधली दृष्टि: कोबरा के समान ही पलकों का गिरना और आँखों के सामने धुंधलापन आना।

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बोलने और निगलने में कठिनाई: बोलने में अस्पष्टता और निगलने में गंभीर समस्याएँ।

श्वसन पक्षाघात (Respiratory Paralysis): यह भी कोबरा के समान ही श्वसन प्रणाली को प्रभावित करता है, जिससे सांस लेने में गंभीर समस्या होती है और अंततः पूर्ण श्वसन विफलता हो सकती है।

चेतना का स्तर घटना: रोगी धीरे-धीरे सुस्त होता जाता है और अंततः अचेत अवस्था में जा सकता है।

अक्सर बिना दर्द के दंश: दंश स्थल पर अक्सर कोई खास दर्द या सूजन नहीं होती, जो इसे और भी कपटी बनाता है, क्योंकि पीड़ित को तुरंत खतरे का एहसास नहीं होता।

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3. रसेल वाइपर दंश के लक्षण (रक्त और ऊतकों पर विनाशकारी प्रभाव)

रसेल वाइपर का विष मुख्य रूप से रक्त (हीमोटॉक्सिक) और ऊतकों (साइटोटॉक्सिक) को गंभीर रूप से प्रभावित करता है, जिससे शरीर के आंतरिक और बाहरी दोनों हिस्सों में रक्तस्राव और ऊतक क्षति होती है:

दंश स्थल पर असहनीय दर्द, सूजन और लालिमा: दंश के स्थान पर तीव्र, जलन वाला और धड़कन वाला दर्द होता है, साथ ही तेजी से बढ़ती हुई सूजन और गहरा लाल या बैंगनी रंग का बदलाव आता है।

व्यापक रक्तस्राव (Hemorrhage): यह एक प्रमुख लक्षण है, जिसमें दंश स्थल से लगातार खून बहना, मसूड़ों से रक्तस्राव, नाक से खून आना, पेशाब या मल में खून आना, और शरीर के अन्य छिद्रों से अनियंत्रित रक्तस्राव हो सकता है।

रक्त का थक्का जमने में गंभीर समस्या (Coagulopathy): विष रक्त के थक्के जमने की प्राकृतिक प्रक्रिया को पूरी तरह से बाधित कर देता है, जिससे आंतरिक और बाहरी रक्तस्राव का खतरा बढ़ जाता है।

ऊतक क्षति और नेक्रोसिस (Tissue Necrosis): दंश स्थल के आसपास की त्वचा काली पड़ सकती है और ऊतक मरना शुरू हो सकता है, जिससे गैंग्रीन (Gangrene) की स्थिति उत्पन्न हो सकती है और प्रभावित अंग को काटना पड़ सकता है।

मतली और उल्टी: विष के प्रणालीगत प्रभाव के कारण गंभीर मतली और बार-बार उल्टी हो सकती है।

निम्न रक्तचाप (Hypotension) और सदमा (Shock): शरीर में रक्त की हानि और विष के प्रभाव से रक्तचाप तेजी से गिर सकता है, जिससे रोगी सदमे की स्थिति में जा सकता है, जिसमें त्वचा पीली और चिपचिपी हो जाती है और बेहोशी आ सकती है।

किडनी फेलियर (Renal Failure): गंभीर मामलों में, विष गुर्दों को गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है, जिससे किडनी फेलियर हो सकता है।

4. सॉ-स्केल्ड वाइपर दंश के लक्षण (हीमोटॉक्सिक और साइटोटॉक्सिक विष का प्रभाव)

सॉ-स्केल्ड वाइपर का विष भी रसेल वाइपर के समान ही हीमोटॉक्सिक और साइटोटॉक्सिक प्रभाव डालता है, हालांकि आमतौर पर इसके लक्षण रसेल वाइपर जितने गंभीर नहीं होते, फिर भी यह घातक हो सकता है:

दंश स्थल पर तेज दर्द और सूजन: दंश के स्थान पर दर्द और सूजन होती है, लेकिन यह रसेल वाइपर के दंश जितनी व्यापक या तीव्र नहीं हो सकती।

स्थानीय रक्तस्राव (Local Hemorrhage): दंश स्थल से या त्वचा के नीचे छोटे-छोटे रक्तस्राव (पेटेकिया) दिखाई दे सकते हैं।

रक्त का थक्का जमने में समस्या: रक्तस्राव की प्रवृत्ति बढ़ जाती है, हालांकि गंभीर रक्तस्राव कम आम है।

मतली, उल्टी और पेट दर्द: प्रणालीगत प्रभाव के कारण ये लक्षण भी दिख सकते हैं।

ऊतक क्षति: दंश स्थल पर ऊतक क्षति हो सकती है, लेकिन बड़े पैमाने पर नेक्रोसिस (गैंग्रीन) रसेल वाइपर की तुलना में कम आम है।

बुखार और सामान्य अस्वस्थता: रोगी को बुखार और शरीर में सामान्य कमजोरी महसूस हो सकती है।

अत्यंत महत्वपूर्ण सामान्य चेतावनी:

किसी भी सर्पदंश के बाद, चाहे प्रारंभिक लक्षण कितने भी हल्के या अनुपस्थित क्यों न हों, तत्काल बिना किसी देरी के प्रशिक्षित चिकित्सा सहायता लेना अनिवार्य है।

तथाकथित “ड्राई बाइट्स” (जहां सर्प ने विष नहीं डाला हो) के मामले में भी, किसी भी अप्रत्याशित जटिलता से बचने और रोगी को मानसिक रूप से आश्वस्त करने के लिए पूर्ण चिकित्सा जांच और निगरानी अत्यंत आवश्यक है। जीवन बचाने के लिए समय ही सबसे बड़ा कारक है।

तत्काल चिकित्सा सहायता का महत्व

आज हम एक अत्यंत महत्वपूर्ण विषय पर बात करेंगे जो जीवन और मृत्यु के बीच का अंतर हो सकता है:
सांप के काटने पर तुरंत चिकित्सा सहायता का महत्व

विषैले सर्प के दंश पर उपचार में देरी से बचने की संभावना काफी कम हो सकती है, जिससे मृत्यु भी हो सकती है अथवा गंभीर जटिलताओं का खतरा बढ़ सकता है। विशेष रूप से वाइपर के दंश के समय पर उपचार न मिलने पर गैंग्रीन (ऊतक का सड़ना) हो जाता है, जिससे प्रभावित अंग (जैसे हाथ या पैर) को काटना पड़ सकता है।

ASVS (एंटी-स्नेक वेनम सीरम) प्रतिविष उपचार को समझना

जब सांप का विष शरीर में फैलता है (सिस्टमिक एनवेनोमेशन), तो उसका प्राथमिक उपचार जिला शासकीय चिकित्सालय में पॉलीवैलेंट ASVS प्रतिविधि का उपयोग ही किया जाते है। यह एंटीवेनम भारत के ‘बिग फोर’ सर्प प्रजातियों के विष के खिलाफ प्रभावी है। इसके कुछ मुख्य पहलू इस प्रकार हैं:

कार्यप्रणाली:

ASVS में ऐसे एंटीबॉडी होते हैं जो सांप के विष में मौजूद विषाक्त पदार्थों को निष्क्रिय करते हैं। सबसे प्रभावी होने के लिए, इसे काटने के तुरंत बाद, आदर्श रूप से पहले 30 मिनट के भीतर या इससे भी पूर्व समय में दिया जाना चाहिए।

चिकित्सा शास्त्री की निगरानी:

प्रतिविष ASVS को डॉक्टर की कड़ी निगरानी में नसों के द्वारा (इंट्रावेनस) दिया जाता है। विष के प्रभाव की गंभीरता और रोगी की प्रतिक्रिया पर निर्भर करती है। उदाहरण के लिए, उत्तर प्रदेश के सर्प रेस्क्यूअर मुरली वाला हौसला को कोबरा दंश के लिए 22 प्रतिविष इंजेक्शन देने पड़े, तब उनका जीवन बचा।

प्रारंभिक खुराक:

आमतौर पर, 8-10 शीशियाँ (प्रत्येक 10 मिली) पॉलीवैलेंट ASVS की शुरू में दी जाती हैं। इसे आमतौर पर एक घंटे में नसों में धीमे-धीमे या प्रति मिनट 2 मिलीलीटर की दर से इंजेक्शन के रूप में दिया जाता है।

अतिरिक्त खुराक:

बाद की खुराक की आवश्यकता रोगी की नैदानिक ​​प्रतिक्रिया और लक्षणों या असामान्य प्रयोगशाला परिणामों की निरंतरता से निर्धारित होती है।

सहायक देखभाल:

ASVS के अलावा, सहायक देखभाल भी महत्वपूर्ण है। इसमें दर्द, सूजन, रक्तस्राव और सांस लेने में कठिनाई जैसे लक्षणों का प्रबंधन शामिल हो सकता है। न्यूरोटॉक्सिक एनवेनोमेशन (कोबरा और करैत के काटने में आम) के लिए, कुछ मामलों में एंटीकोलिनस्टेरेस दवाएं जैसे नियोस्टिग्माइन का उपयोग सख्त चिकित्सा पर्यवेक्षण के तहत किया जा सकता है।

अन्य प्रजातियों के खिलाफ अप्रभावशीलता:

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि भारत में वर्तमान में उपलब्ध पॉलीवैलेंट ASVS मुख्य रूप से ‘बिग फोर’ के खिलाफ प्रभावी है। भारत में पाई जाने वाली अन्य विषैली सांप प्रजातियों, जैसे कि हंप-नोज्ड पिट वाइपर, के विष के खिलाफ इसकी प्रभावशीलता सीमित या नगण्य हो सकती है।

तत्काल अस्पताल में भर्ती होने की महत्वपूर्ण आवश्यकता

नागपंचमी पर सांपों के प्रति हमारी श्रद्धा हमें उनकी सुरक्षा और हमारे पर्यावरण के प्रति जिम्मेदार होने की याद दिलाती है। यदि दुर्भाग्यवश कोई सांप का शिकार हो जाए, तो तत्काल अस्पताल पहुंचना ही जीवन बचाने का एकमात्र मार्ग है।

समय संवेदनशीलता:

सांप का विष शरीर में तेजी से फैल सकता है, जिससे ऊतकों और महत्वपूर्ण अंगों को अपरिवर्तनीय क्षति हो सकती है। जितनी जल्दी एंटीवेनम दिया जाएगा, परिणाम उतना ही बेहतर होगा।

सटीक निदान:

प्रशिक्षित चिकित्सा शास्त्री संकेतों और लक्षणों का आकलन कर सकते हैं ताकि यह निर्धारित किया जा सके कि विष का प्रभाव हुआ है या नहीं, और रोगी की स्थिति की निगरानी कर सकते हैं।

उपयुक्त ASVS खुराक:

डॉक्टर मामले की गंभीरता के आधार पर ASVS की सही खुराक निर्धारित करते हैं।

एलर्जी प्रतिक्रियाओं का प्रबंधन:

हालांकि दुर्लभ, कुछ व्यक्तियों को ASVS से एलर्जी की प्रतिक्रिया हो सकती है। अस्पताल ऐसी आपात स्थितियों का प्रबंधन करने के लिए सुसज्जित हैं।

सहायक चिकित्सा देखभाल:

अस्पताल आवश्यक सहायक देखभाल प्रदान कर सकते हैं, जैसे ऑक्सीजन थेरेपी, रक्तस्राव विकारों का प्रबंधन, किडनी फेलियर और श्वसन पक्षाघात, जो जीवन रक्षक हो सकते हैं।

क्या करें और क्या न करें

(प्राथमिक उपचार)
सर्पदंश की स्थिति में, सही प्राथमिक उपचार जीवन बचा सकता है, जबकि गलत कदम स्थिति को और बिगाड़ सकते हैं।

क्या करें:

शांत रहें: घबराएं नहीं। घबराहट से हृदय गति तेज होती है और विष तेजी से फैलता है। पीड़ित को शांत रखने का प्रयास करें।

प्रभावित अंग को स्थिर करें: काटे गए अंग को जितना हो सके, स्थिर रखें (जैसे स्प्लिंट या पट्टी का उपयोग करके)। इसे हृदय के स्तर से नीचे रखें।

आभूषण और कसे कपड़े हटाएँ: काटे गए स्थान के आसपास से अंगूठियां, कंगन, घड़ियाँ और कसे हुए कपड़े तुरंत हटा दें, क्योंकि सूजन होने पर ये रक्त प्रवाह को बाधित कर सकते हैं।

सर्प दंशित ने स्वयं साइकिल या बाइक का उपयोग न करते हुए बाइक या कार से अविलंब प्रतिविष केंद्र ASVS केंद्र जिला चिकित्सालय पहुंचना चाहिए।

क्या न करें (ये प्रथाएं खतरनाक हैं}

घाव को काटना या चूसना: विष निकालने के लिए घाव पर चीरा न लगाएं या मुंह से चूसने का प्रयास न करें। यह संक्रमण और ऊतक क्षति का कारण बन सकता है और विष को नहीं निकालता।

पोटैशियम परमेगनेट भरना हानिकारक है।

टाइट पट्टी (टूर्निकेट) नहीं बांधना:

काटे गए स्थान के ऊपर कसकर पट्टी या रस्सी न बांधें। यह रक्त प्रवाह को रोककर अंग को नुकसान पहुंचा सकता है और गैंग्रीन का खतरा बढ़ा सकता है।

बर्फ या अत्यधिक ठंडा नहीं लगावे:

घाव पर बर्फ या कोई ठंडा पदार्थ न लगाएं। यह रक्त वाहिकाओं को संकुचित कर सकता है और ऊतक को नुकसान पहुंचा सकता है।

झाड़-फूंक, भोपा, गंडा-तावीज में समय व्यर्थ न गंवाएं।

इन अप्रमाणित पारंपरिक उपचारों पर समय बर्बाद न करें। ये न केवल अप्रभावी हैं, बल्कि बहुमूल्य चिकित्सा समय भी बर्बाद करते हैं। तथा दंशित को मृत्यु के मुंह में पहुंचा देते हैं।

किसी भी प्रकार की जड़ी-बूटी या रसायन नहीं लगावे:

घाव पर कोई भी जड़ी-बूटी, तेल, या रसायन न लगाएं।

शराब या उत्तेजक पदार्थ देना

पीड़ित को शराब, चाय, कॉफी या कोई अन्य उत्तेजक पदार्थ न दें।

पॉलीवैलेंट एंटीवेनम तैयार करने वाले केंद्र (भारत में निर्माता/उत्पादन)

भारत में कई दवा प्रयोगशालाएँ पॉलीवैलेंट एंटीवेनम के उत्पादन में शामिल हैं। एंटीवेनम उत्पादन में शामिल कुछ प्रमुख निर्माता और केंद्र शामिल हैं:

हाफकिन इंस्टीट्यूट, मुंबई

सेंट्रल रिसर्च इंस्टीट्यूट (CRI), कसौली

इंडियन हर्पेटोलॉजिकल सोसाइटी (IHS) / इरुला कोऑपरेटिव वेनम प्रोडक्शन सेंटर, चेन्नई (यह सहकारी समिति भारत में एंटीवेनम निर्माताओं को विष का एक प्रमुख आपूर्तिकर्ता है)

सीरम रिसर्च लेब (पुणे)

निजी फार्मास्युटिकल कंपनियाँ, जैसे:

भारत सीरम एंड वैक्सीन लिमिटेड

विन्स बायोप्रोडक्ट्स लिमिटेड

बायोलॉजिकल ई. लिमिटेड

रिलायबल बायोफार्मा प्राइवेट लिमिटेड

नागपंचमी पर, आइए हम प्रकृति के प्रति अपनी श्रद्धा के साथ-साथ, जीवन बचाने के इस महत्वपूर्ण ज्ञान को भी फैलाएं। आपके जीवन में सुख-समृद्धि और सुरक्षा बनी रहे।

 

डॉ. तेज प्रकाश पूर्णानंद व्यास

सर्प वैज्ञानिक, IUCN, SSC, ग्लैंड, स्विट्जरलैंड
निवास:
बी 12, विस्तारा टाउनशिप, एबी बाईपास रोड, नियर ईवा वर्ल्ड स्कूल, इंदौर, 452010