

तो क्या ममता, विजयन, सिद्धारमैया को ‘नीति’ से निराशा है …
कौशल किशोर चतुर्वेदी
नीति आयोग की बैठक यानि देश के सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को विकास के लिए एक मंच पर लाकर विचार विमर्श करना है। बैठक की अध्यक्षता पीएम करते हैं सो नरेंद्र मोदी ने की। पर बैठक से पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी, कर्नाटक सीएम सिद्धारमैया और केरल सीएम ने दूरी बनाई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में दिल्ली के भारत मंडपम में नीति आयोग की 10वीं गवर्निंग काउंसिल की बैठक 24 मई 2025 को संपन्न हुई। बैठक की थीम “विकसित राज्य से विकसित भारत 2047” रखी गई। ऐसे में इस अहम बैठक से कुछ बड़े राज्यों के मुख्यमंत्रियों का नदारद रहना दुर्भाग्यपूर्ण है। माना जा सकता है कि बंगाल सीएम ममता बनर्जी, कर्नाटक सीएम सिद्धारमैया और केरल के मुख्यमंत्री विजयन ने बैठक से दूरी बनाकर यही संकेत दिया है कि मोदी नीति से वह पूरी तरह निराश हैं।
बैठक में राज्यों को अपने-अपने संसाधनों और भूगोल के अनुसार दीर्घकालिक और समावेशी विकास की योजनाएं तैयार करने के लिए कहा गया है, ताकि 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाया जा सके। इसमें मानव विकास, आर्थिक वृद्धि, सतत आजीविका, तकनीक और सुशासन जैसे क्षेत्रों पर फोकस की बात की गई। केंद्र ने यह भी कहा है कि राज्यों को डेटा-आधारित कार्यप्रणाली, प्रोजेक्ट मॉनिटरिंग यूनिट्स और आईसीटी-सक्षम इंफ्रास्ट्रक्चर के जरिये परिणाम आधारित बदलाव लाने होंगे।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बैठक से दूरी बनाई। सूत्रों के मुताबिक उन्होंने न तो दिल्ली का रुख किया और न ही कोई प्रतिनिधि भेजा। यह पहला मौका नहीं है जब ममता बनर्जी ने नीति आयोग की बैठक में भाग नहीं लिया हो। वहीं कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया भी इस बैठक में शरीक नहीं हुए। हालांकि उनके करीबी सूत्रों ने स्पष्ट किया कि यह कोई बहिष्कार नहीं था बल्कि मुख्यमंत्री की पहले से तय मैसूरु यात्रा के चलते वे बैठक में शामिल नहीं हो सके। उन्होंने अपना वक्तव्य दिल्ली भिजवाया है, लेकिन यह साफ नहीं है कि बैठक में उनकी तरफ से कौन आएगा। केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने भी बैठक में शिरकत नहीं की। यह सीधे तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में नीति आयोग की बैठक के प्रति बहिष्कार जैसा भाव है। कहा जाए तो इस मामले में विजयन से बेहतर स्टालिन, सिद्धारमैया से बेहतर तेलंगाना के रेवंत रेड्डी और ममता से बेहतर भगवंत मान साबित हुए हैं। बैठक में पहुंचे मुख्यमंत्रियों में उत्तर प्रदेश के योगी आदित्यनाथ, गुजरात के भूपेंद्र पटेल, उत्तराखंड के पुष्कर सिंह धामी, छत्तीसगढ़ के विष्णुदेव साय, मध्य प्रदेश के मोहन यादव, आंध्र प्रदेश के एन. चंद्रबाबू नायडू, तमिलनाडु के एमके स्टालिन, ओडिशा के मोहन चरण माझी, पंजाब के भगवंत मान, जम्मू-कश्मीर के उमर अब्दुल्ला, तेलंगाना के रेवंत रेड्डी, त्रिपुरा के माणिक साहा और हिमाचल प्रदेश के सुखविंदर सिंह सुक्खू शामिल रहे।
नीति आयोग की बैठक में 36 में से 31 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों ने भाग लिया है। ये जानकारी नीति आयोग के सीईओ बीवीआर सुब्रमण्यम ने साझा की है। उन्होंने बताया कि इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेश निवेशकों को आकर्षित और रोजगार सृजन के लिए नीतिगत बाधाएं दूर करें। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अगर केंद्र सरकार और राज्य मिलकर टीम इंडिया की तरह काम करें तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है। बैठक में मौजूद सभी लोगों ने सर्वसम्मति से पाकिस्तान में आतंकी ढांचे को नष्ट करने के लिए भारत की तरफ से शुरू किए गए ऑपरेशन सिंदूर का समर्थन किया। हालांकि ऑपरेशन सिंदूर का विरोध तो उनके मन में भी नहीं है जो बैठक से नदारद रहे। पर खुश कितने हैं, यह वही जानें।
खैर ममता, विजयन और सिद्धारमैया जैसे दिग्गज ‘नीति आयोग’ से निराश हैं या मोदी के नेतृत्व में नीति आयोग की बैठक उन्हें रास नहीं आ रही है…यह सोचने वाली बात है। या फिर यह तीन प्रमुख नेता ‘मोदी की हर नीति’ से खफा हैं, भले ही ऑपरेशन सिंदूर पर सेना का सम्मान रखना इनकी नीति रही हो। पर नीति आयोग की बैठक से नदारद रहकर उन्होंने यही संदेश खुलकर दिया है कि हमें न कोई वहम है और न ही हमारे प्रति कोई वहम पालने की भूल करे …इससे यह भी साफ है कि टीम इंडिया की तरह राजनीति का मैदान कभी नहीं सज पाएगा…।