तो जल्दी सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनेगा भारत…

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तो जल्दी सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनेगा भारत…

जी-20 के जरिए दुनिया में अपनी धाक जमाकर भारत ने साबित कर दिया है कि अब वह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के ढांचे में बदलाव और भारत की स्थायी सदस्यता के मुद्दे पर अपना दावा और ज्यादा पुख्ता करेगा। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता के लिए भारत को पांच स्थायी सदस्यों में से 4 का समर्थन मिला हुआ है। चीन को छोड़कर सभी देशों ने भारत की स्थाई सदस्यता का समर्थन किया है। अब जी-20 के प्लेटफार्म पर एक और सदस्य को शामिल कर इसकी अध्यक्षता कर रहे भारत के प्रधानमंत्री और दुनिया के ताकतवर नेता नरेंद्र मोदी ने अपनी मंशा जता दी है। मोदी ने समापन समारोह में अपने अंदाज में कहा कि फ्रेंड्स…आज हर वैश्विक संस्था को अपनी प्रासंगिकता बढ़ाने के लिए रिफॉर्म करना आवश्यक है।
इसी सोच के साथ हमने कल ही अफ्रीकन यूनियन को जी-20 का स्थाई सदस्य बनाने की ऐतिहासिक पहल की है। इसी तरह, हमें मल्टीलेटरल डेवलपमेंट बैंक के मैंडेट का विस्तार भी करना होगा। इस दिशा में हमारे फैसले इमेडिएट भी होने चाहिए, और इफेक्टिव भी होने चाहिए। और मोदी ने यह भी साफ कर दिया कि विश्व को एक बेहतर भविष्य की तरफ ले जाने के लिए ये जरूरी है कि वैश्विक व्यवस्थाएं वर्तमान की वास्तविकताओं के मुताबिक हों। आज “संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद” भी इसका एक उदाहरण है। जब यूएन की स्थापना की गयी थी, उस समय का विश्व आज से बिलकुल अलग था। उस समय यूएन में 51 फाउंडिंग मेंबर्स थे। आज यूएन में शामिल देशों की संख्या करीब 200 हो चुकी है। बावजूद इसके, यूएनएससी यानि युनाइटेड स्टेट्स सिक्योरिटी काउंसिल में स्थाई सदस्य आज भी उतने ही हैं। तब से आज तक दुनिया हर लिहाज़ से बहुत बदल चुकी है। ट्रांसपोर्ट हो, कम्यूनिकेशन हो, हेल्थ, एजुकेशन, हर सेक्टर का कायाकल्प हो चुका है। ये न्यू रिएलिटीज हमारे न्यू ग्लोबल स्ट्रक्चर में रिफ्लेक्ट होनी चाहिए।
तो समय हवाला भी दिया मोदी ने कि ये प्रकृति का नियम है कि जो व्यक्ति और संस्था समय के साथ स्वयं में बदलाव नहीं लाती है, वो अपनी प्रासंगिकता खो देती है। हमें खुले मन से विचार करना होगा कि आखिर क्या कारण है कि बीते वर्षों में अनेक रीजनल फोरम्स अस्तित्व में आए हैं, और वो प्रभावी भी सिद्ध हो रहे हैं। तो मतलब साफ है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को यदि अपनी प्रासंगिकता को नहीं खोना है तो उसे अपने ढांचे में बदलाव लाना होगा। और तब जी-4 यानि जापान, जर्मनी, ब्राजील और भारत को इसका स्थायी सदस्य बनने से कोई नहीं रोक सकता। और तब पांचवां नया स्थायी सदस्य दक्षिण अफ्रीका होगा, जिसे अफ्रीकन यूनियन के बतौर सदस्यता दिलाकर अपनी अध्यक्षता में मोदी ने जी-20 को जी-21 बना दिया है। आज जी-20, वन अर्थ, वन फेमिली, वन फ्यूचर के विजन को लेकर, आशावादी प्रयासों का प्लेटफ़ॉर्म बना है। ऐसे फ्यूचर की बात हुई है, जिसमें ग्लोबल विलेज से आगे बढ़कर ग्लोबल फेमिली को हकीकत बनता देखने की सोच है। एक ऐसा फ्यूचर, जिसमें देशों के केवल हित ही नहीं जुड़े हों, बल्कि हृदय भी जुड़े हों। तब ऐसे में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में केवल पांच स्थायी सदस्यों की दादागिरी में कब तक दुनिया के हितों की अनदेखी भारत और अन्य प्रबल दावेदार सहते रहेंगे।
आज भारत जैसे अनेक देशों के पास ऐसा कितना कुछ है, जो हम वह विश्व के साथ साझा कर रहे हैं। भारत ने तो चंद्रयान मिशन के डेटा को मानव हित में सबके साथ शेयर करने की बात की है। और यह भाव भी व्यक्त किया है कि जब हम हर देश की सुरक्षा, हर देश की संवेदना का ध्यान रखेंगे, तभी वन फ्यूचर का भाव सशक्त होगा। ब्राज़ील के राष्ट्रपति लूला-डी-सिल्वा को जी-20 की अध्यक्षता सौंपते हुए भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मन में यह भाव भी आया होगा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य बनने की मंजिल भी हम दोनों के अब बहुत करीब है। हालांकि भारत के पास नवंबर तक G-20 प्रेसीडेंसी की जिम्मेदारी है। अभी ढाई महीने बाकी हैं।तो जी-20 का वन अर्थ, वन फैमिली, वन फ्यूचर का रोडमैप सुखद हो। संपूर्ण विश्व में आशा और शांति का संचार हो। 140 करोड़ भारतीयों की इसी मंगलकामना के साथ संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता का मार्ग भी जल्दी और प्रभावी तरीके से प्रशस्त हो…।
जी20 राष्ट्रों के नेताओं ने राजघाट पर महात्मा गांधी की प्रशंसा की। गांधी जी के शाश्वत आदर्श एक समुदाय, समग्र और समृद्ध वैश्विक भविष्य के हमारे सामूहिक दृष्टिकोण का मार्गदर्शन करते हैं। ‘वन फ्यूचर’ सत्र में मोदी ने कहा,” दुनिया के अच्छे भविष्य के लिए वैश्विक निकायों को आज की वास्तविकताओं को ध्यान में रखन जरूरी होगा।” वहीं चीन अब बेनकाब हो गया है। जी-20 सम्मलेन में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने रविवार को जी-20 शिखर सम्मेलन में अपने देश के संसदीय लोकतंत्र में कथित चीनी हस्तक्षेप से पैदा चिंताओं का जिक्र किया।ब्रिटेन की एक मीडिया रिपोर्ट में दो व्यक्तियों के खिलाफ जासूसी के आरोपों का खुलासा होने के बाद उन्होंने अपने देश की इस चिंता का जिक्र किया। तो अब उम्मीद की जा सकती है कि चीन के विरोध के बावजूद भारत जल्दी ही संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य के रूप में एक नया वैश्विक मुकाम हासिल करेगा…।